Thursday 24 September 2020 08:52 PM IST : By Neelam Sikand

डाइटिंग करने से क्यों होता है डिप्रेशन

हम सभी अौर खासतौर से यंग जनरेशन में डाइटिंग का क्रेज हमेशा बना रहता है। फिर यह डिप्रेशन की वजह कैसे बन जाती है।

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यंग जेनरेशन जब डाइटिंग का मूड बनाती है, तो उसका जोश देखने लायक होता है। इस जोश में वह यह सोच बैठती है िक उसने कई िकलोग्राम वजन कम कर लिया। सोच को फास्ट फॉरवर्ड करने पर खाने का नया डाइट चार्ट बनता है अौर खाने के सामान की नयी िलस्ट बनती है। लेिकन अपनी भूख पर काबू ना रहे अौर इच्छा शक्ति कमजोर पड़ जाए, तो वजन बढ़ने के साथ-साथ डिप्रेशन भी अा घेरता है। इसे ही डाइटिंग डिप्रेशन कहा जाता है।
  देश में तेजी से मोटे युवक-युवतियों की संख्या बढ़ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण अारामपरस्त जीवनशैली होना है। कोलकाता में फोर्टिस हॉस्पिटल, अानंदपुर के इंटरनल मेिडसिन के कंसल्टेंट डॉ. जॉयदीप घोष के अनुसार मोटापा नेशनल बीमारी है अौर इसका इलाज पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेने के साथ-साथ शारीिरक रूप से एक्टिव होने में िछपा है। लेिकन हर महिला मोटापा कम करने के िलए कोई एेसी गोली या नुस्खा चाहती है, िजससे मोटापा काबू में रहे। सचाई यह है िक मोटापे को कंट्रोल करने के िलए इसका इलाज ना तो िकसी गोली में छिपा है अौर ना ही डाइटिंग में।  
डाइट का ध्यान ना करना
मोटापा दूर करने के िलए जब बातों-बातों में डाइटिंग का वायदा अपने अापसे िकया जाता है, तो डाइटीशियन की राय िलए बगैर खुदबखुद एक समय का खाना खाना छोड़ िदया जाता है या िफर चपाती 2 से एक कर दी जाती है। इस तरह की डाइटिंग गलत है, इससे मोटापा ही अाता है। डाइटीशियन की सलाह से डाइट चार्ट बना कर डाइटिंग की जाए, तो सही रहता है। मगर जब महिलाएं डाइट से जुड़ी बातों का कड़ाई से पालन नहीं कर पातीं, तो डिप्रेशन की िशकार महिलाएं तेजी के साथ खाने की तरफ लौटती हैं। यह डाइटिंग का सबसे नुकसानदेह दौर होता है।

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जब महिलाएं यह सोचती हैं िक उन्हें डाइटिंग करनी चािहए उस समय वे खुद को ले कर मोटापे से जुड़े कॉम्पलेक्स की िशकार होती हैं। इसी कॉम्पलेक्स की वजह से बार-बार डाइटिंग की सोचती हैं, िजससे वे मनोवैज्ञानिक दबाव अौर वजन कम करने के प्रेशर के बीच िहचकोले खाती रहती हैं।
िरसर्च से पता चलता है िक डाइटिंग करते समय महिलाएं हमेशा तनाव में िघरी रहती हैं, िजससे डाइजेस्टिव िसस्टम पर असर पड़ता है अौर नयी मुश्किलें पैदा होती हैं।
डाइटिंग अौर मूड
मोटापे से छुटकारा पाने के िलए बार-बार डाइटिंग का सहारा लेना स्वभाव व मूड को नुकसान पहुंचाता है। हमारे िदमाग के काम करने के िलए जरूरी सेरोटोनिन हमें कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त होता है। कैलोरी को िबना िकसी बैलेंस्ड डाइट के कम कर देने से खून में ग्लूकोज की कमी हो जाती है, िजससे कमजोरी अौर चक्कर अाने की िशकायत हो सकती है। मन भी बार-बार कुछ खाने के िलए करता है। यह स्थिति भी डाइटिंग डिप्रेशन का कारण बनती है। डाइटिंग िडप्रेशन से बचने के िलए जरूरी है िक डाइटिंग को ले कर थोड़े-थोड़े समय के बाद अपनाए जानेवाले कामचलाऊ नुस्खों से बचें। कुछ समय के िलए की गयी डाइटिंग मोटापे का ‘स्टॉप गैप अरेंजमेंट’ जैसी होती है। अाप जैसे ही खाने की सामान्य िस्थति में अाते हैं, मोटापा भी लौट अाता है। अापका अपने शरीर से वादा उसे सही पोषक तत्वों से भरपूर डाइट देने का होना चाहिए। भूख लगने पर सही भोजन इसलिए भी जरूरी है, क्योंिक ‘अोवरईटिंग’ से जुड़े िदमाग में बननेवाले रसायन से भी अपने अापको बचाए रखना है। िरसर्च के अनुसार भूख व खाने-पीने पर लगी रोक से बेहाल होने पर व्यक्ति के पेट की भूख अौर खाने की लालसा से जुड़ी भूख के अंतर को समझने की शक्ति पूरी तरह कमजोर पड़ जाती है।  
डाइटिंग डिप्रेशन के दौरान ‘राइट डाइट’ अौर ‘रॉन्ग डाइट’ जैसी बात िदमाग पर हावी रहती है। इस का कारण खाने-पीने की चीजों पर पाबंदी लगा होना है।
शरीर में डाइट के जरिए पहुंचा फैट ही मोटापे का कारण बनती है। शरीर में वसा को स्टोर करने की क्षमता होती है। जब िबना हिलेडुले अधिक मात्रा में फैट शरीर में पहुंचने लगे, तब शरीर में वसा को स्टोर करने की प्रक्रिया तेजी पकड़ती है। घंटों कंप्यूटर के अागे बैठ कर काम करना या टीवी व मोबाइल फोन से चिपके रहने से फैट बर्न नहीं हो पाती। इससे मेटाबॉलिक रेट कम हो जाता है अौर वजन बढ़ जाता है। यही वजह है िक डॉक्टर व डाइटीिशयन कोल्ड िड्रंक्स, फास्ट फूड अौर तलाभुना भोजन खाने से परहेज करने की सलाह देते हैं। शोधकर्ताअों के अनुसार ये चीजें शरीर में ऐसे हारमोन्स पैदा करती हैं, जिनसे खाने पर कंट्रोल रखने की शक्ति कमजोर पड़ जाती है। खाने की अादतें बदल कर इस िस्थति से बचा जा सकता है।
मोटापे में डिप्रेशन तब जोर मारता है, जब अापको अपने खाने-पीने की अाजादी खत्म होती लगती है। इस डाइट कंट्रोल को बंदिश ना समझें अौर यह सोच कर डिप्रेशन से बाहर अाए िक अाप खाना बंद नहीं कर रही, अाप सिर्फ सेहतमंद लाइफस्टाइल की तरफ चल रही हैं। अपने शरीर को सुधारने के िलए मेहनत कर रही हैं।