Tuesday 16 March 2021 12:07 PM IST : By Nishtha Gandhi

सोने के गहने खरीद रहे हों, तो इन बातों का रखें ध्यान

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सोने की खरीदारी से पहले गोल्ड कैरेट, मेकिंग चार्ज और टैक्स आदि की जानकारी का होना भी बहुत जरूरी है। कुछ ज्वेलर्स ऐसे भी होते हैं, जो सोने की कीमत बढ़ने के बावजूद पुरानी कीमतों पर सोना बेचते हैं। कुछ ज्वेलर मेकिंग चार्जेज पर 20 प्रतिशत तक का डिस्काउंट देते हैं। यह कैसे होता है, यह जानना आपके लिए जरूरी है।

गहनों का मेकिंग चार्ज

मेकिंग चार्ज यानी वह पैसा जो ज्वेलर गहने बनाने के नाम पर आपसे लेता है। जिस गहने का डिजाइन बनाने में जितनी ज्यादा मेहनत लगती है, मेकिंग चार्जेज उतने ही ज्यादा होते हैं। यह चार्ज 2 प्रतिशत से ले कर 14 प्रतिशत तक हो सकता है। उन गहनों पर 2-4 प्रतिशत तक मेकिंग चार्जेज लगता है, जिनमें कोई बहुत बारीक डिजाइन नहीं होता और जो स्ट्रेट बने होते हैं। मशीन से बनी ज्वेलरी पर 6-8 प्रतिशत तक मेकिंग चार्जेज होते हैं और हाथ से बनी ज्वेलरी पर यह सबसे ज्यादा होता है। कुछ खास गहनों पर यह मेकिंग चार्ज 25 प्रतिशत तक भी होता है। ज्वेलरी पर मेकिंग चार्जेज की सीमा सरकार ने तय कर रखी है। ज्यादातर ज्वेलर्स ग्राहकों से अधिकतम मेकिंग चार्जेज ही वसूल करते हैं। कोई ज्वेलर अगर आपको ज्वेलरी पर डिस्काउंट दे रहा है, तो वह डिस्काउंट दरअसल मेकिंग चार्ज पर देता है।

वेस्टेज चार्ज का फंडा

पुराने जमाने में सोने को आग पर गलाया जाता था और गहने भी हाथ से बनाए जाते थे, इसमें काफी मात्रा में सोना बेकार जाता था। हालांकि अब गहने बनाने का सारा काम मशीनों से होता है, जिस वजह से गोल्ड की वेस्टेज कम होती है। चेन, चूडि़यां, बालियां जैसे गहने, जो रोज पहने जाते हैं, इनमें वेस्टेज कम होती है। लेकिन फिर भी ज्वेलर्स 3 प्रतिशत से 35 प्रतिशत तक वेस्टेज ले लेते हैं। जब आप ज्वेलरी बेचने जाते हैं, तो इसमें लगे सेमी प्रीशियस स्टोन और नकली मोती भी वेस्टेज में ही गिने जाते हैं।

कुछ ज्वेलर्स मेकिंग और वेस्टेज चार्ज को वीए यानी वैल्यू एडिशन के नाम से बिल में लिखते हैं। इन गहनों की कीमत इस तरह से गिनी जाती है- सोने की कीमत (सोने की वजन + वेस्टेज) + मेकिंग चार्ज + वैट

बाय बैक की बातें

जब आप इन गहनों को खरीदने बेचने जाते हैं, तो भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। जैसे कुंदन, छोटे डायमंड और डायमंड पोलकी ज्वेलरी की कोई रीसेल वैल्यू नहीं होती। ऐसे गहने आपसे वापस खरीदते समय ज्वेलर आपको सिर्फ सोने के वजन के हिसाब से उसकी कीमत देता है, क्योंकि सोने को गलाते समय या उसमें से स्टोन निकालते समय ये डैमेज हो जाते हैं।

- गहने खरीदते समय आपने बेशक मेकिंग और वेस्टेज चार्ज दिए हों, लेकिन ज्वेलर उसमें से वेस्टेज के पैसे भी काट लेगा। यह वेस्टेज गहने बनाने के दौरान सोने में मिलाए गए खोट के वजन से कैलकुलेट की जाती है। कई बार आप जो ज्वेलरी 22 कैरेट की समझ कर खरीदते हैं, बेचने के दौरान पता चलता है कि वह दरअसल 18 या उससे कम कैरेट की ही है। इसलिए गहने खरीदते समय भी सोने की शुद्धता की जांच करवा लें।

- अगर स्टोन या पर्ल वाली ज्वेलरी खरीद रहे हैं, तो ज्वेलर से उसके कुल वजन के अलावा ब्रेकअप में वजन भी मांगें। जैसे सोने का वजन कितना है, स्टोन का वजन कितना है। इसका फायदा यह होगा कि ज्वेलरी बेचते समय आप सोने की कीमत और वजन के हिसाब से खुद भी उसकी कीमत का अंदाजा लगा सकते हैं।

- गहने खरीदते समय ज्वेलर से उसके मेकिंग चार्ज की जानकारी मांगें। अगर डिजाइन बहुत सिंपल है, तो फिर ज्वेलर से मेकिंग चार्ज कम करने के लिए कहें।

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- ज्वेलरी खरीदने से पहले सोने की कीमत के बारे में भी जरूर पता करें। यह भी ध्यान रखें कि बुलियन मार्केट में सोने की जो कीमत होती है, वह 24 कैरेट गोल्ड की होती है, जबकि आप ज्वेलरी 22 कैरेट में खरीदते हैं। इस तरह से सोने के गहनों की कीमतों में 2 हजार रुपयों से ज्यादा तक का अंतर हो सकता है।

- हॉलमार्क ज्वेलरी खरीदते समय उसमें 5 निशान लगे होते हैं। पहला ब्यूरो अॉफ इंडियन स्टैंडर्ड का निशान, दूसरा फाइननेस नंबर, तीसरा हॉलमार्क सेंटर का निशान, चौथा ज्वेलर का आइडेंटिफिकेशन मार्क और पांचवां इयर ऑफ मार्किंग।

- गहने खरीदते समय ज्वेलर से बाय बैक पीरियड पॉलिसी के बारे में जानकारी जरूर लें। इसका मतलब है कि पसंद ना आने पर आप इसे कितने दिनों तक उसी रेट पर वापस या एक्सचेंज कर सकते हैं। कुछ ज्वेलर्स एक सप्ताह तक का समय देते हैं, तो कुछ उससे ज्यादा का। लेकिन बेहतर होगा कि आप ज्वेलरी खरीदते समय ज्वेलर से यह पूछ लें।