Thursday 25 January 2024 11:44 AM IST : By Nishtha Gandhi

सदाबहार सिल्क की कितनी वेराइटी

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सिल्क की साड़ी का नाम लेते ही हमारे जेहन में सबसे पहली तसवीर फिल्म अभिनेत्री रेखा की आती है। अपनी कांजीवरम साडि़यों के खूबसूरत कलेक्शन की वजह से हर समारोह में वे अलग ही चमकती हैं। अब तो सिल्क की साड़ियों का फैशन खूब जोर-शोर से लौट आया है। कई महिलाओं को यह भी लगता है कि यह हेवी शरीर वाली महिलाओं के लिए नहीं है, लेकिन सिल्क में इतनी वेराइटी मौजूद है कि यह हर बॉडी टाइप के लिए सूटेबल है।

सिल्क में कितनी वेराइटी

बनारसी साड़ीः यह साड़ी की सबसे पॉपुलर किस्म है। प्योर सिल्क की बनारसी साड़ी बनारस में बनायी जाती है। पहले जमाने में इन साड़ियों में सोने और चांदी का असली तार लगा कर जरी का काम किया जाता था। ब्राइट रंगोंवाली इस साड़ी में गोल्डन जरी वर्क से फ्लोरल या अंबी का डिजाइन बनाया जाता है। बनारसी साड़ी में कई तरह का वर्क मौजूद है, जिसके आधार पर इसका नाम रखा जाता है, जैसे कढ़वा बनारसी, जंगला साड़ी, शिकारगाह साड़ी व तनचोई आदि।

कढ़वा बनारसीः इस साड़ी में जरी का वर्क इस तरह से किया जाता है कि देखने में वह कढ़ाई लगती है।

जंगला व शिकारगाह साड़ीः जंगला साड़ी में रंगबिरंगी फूल पत्तियों का पूरा जाल होता है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, शिकारगाह साड़ी में जंगली जानवरों व शिकार के चित्र उकेरे जाते हैं।

तनचोई साड़ीः इस साड़ी में खूबसूरत ब्रोकेड वर्क किया जाता है। इनमें पेस्ले वर्क यानी अंबी का डिजाइन बनाया जाता है। ज्यादातर इसके पल्ले पर सिल्वर जरी वर्क देखा जाता है।

बालूचरी साड़ीः यह बंगाल की मशहूर साड़ी है। इसमें पौराणिक कथाओं से प्रेरित चित्रों के प्रिंट होते हैं। बंगाल की इन पारंपरिक साड़ियों का इतिहास 500 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। बंगाल के बालूचर में बनने वाली इन साड़ियों में रामायण और महाभारत के पात्रों के चित्र देखने को मिलेंगे।

कांजीवरम साड़ीः दक्षिण भारतीयों की पहचान है कांजीवरम साड़ी। यह भी प्योर सिल्क से बनायी जाती है। यह साड़ी ब्राइट कलर्स में होती है, जिसमें गोल्डन तार ज्यादा होता है। इसकी वजह से इस साड़ी में काफी शाइन होती है। आमतौर पर पूरी साड़ी लगभग प्लेन होती है, लेकिन इसका बॉर्डर और पल्ला बहुत हेवी वर्क वाला होता है। अपने ब्राइट कलर और हेवी लुक के लिए ब्याह-शादियों में यह दुलहनों की पहली पसंद होती है।

पोचमपल्ली सिल्क साड़ीः यह साड़ी कॉटन और सिल्क से मिल कर बनी है। तेलंगाना के छोटे से शहर पोचमपल्ली में बनने वाली इन साड़ियों की पहचान इनका ज्योमेट्रिकल पैटर्न होता है। कॉटन और सिल्क से मिल कर बनी होने के कारण ये छूने में भी अलग लगती हैं।

असली-नकली की पहचान

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- असली जरी और ब्रोकेड छूने में सॉफ्ट लगती है, जबकि आर्टिफिशियल वर्क को छुएंगे, तो वह बहुत हार्ड और खड़ा-खड़ा लगेगा।

- रियल सिल्क फैब्रिक काफी महंगा होता है, जबकि आर्टिफिशियल सिल्क कम दामों में भी मिल जाता है। हालांकि दिखने में यह साड़ी रियल से कम नहीं लगती।

- रियल सिल्क व जरी वर्क सालों तक काला नहीं पड़ता, जबकि नकली वर्क थोड़े ही समय में काला पड़ जाता है।