Thursday 29 September 2022 04:51 PM IST : By Gopal Sinha

खतरे में दिल रखें खास खयाल – वर्ल्ड हार्ट डे स्पेशल

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पिछले कुछ समय में एक्टिव लाइफस्टाइल जीने वाले 40-45 साल के कई सेलेब्रिटीज के गुजर जाने की खबरों ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर क्यों युवाओं में हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास आने वाले हार्ट डिजीज से ग्रस्त मरीजों में युवाओं की संख्या पहले के मुकाबले काफी बढ़ी है। क्या बदलती जीवनशैली व खानपान की अनियमितता ने नाजुक से दिल को बड़े खतरे में डाल दिया है? आखिर दिल के युवावस्था में बीमार हो जाने की वजह क्या है? हृदय रोग से संबंधित ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं डॉ. प्रवीण चंद्रा, चेअरमैन, इंटरवेंशनल एवं स्ट्रक्चरल हार्ट कार्डियोलॉजी, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, हार्ट इंस्टिट्यूट, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम, डॉ संजीव गेरा, डाइरेक्‍टर एवं यूनिट हेड, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा, डॉ. संजय मित्तल, डाइरेक्टर, क्लीनिकल एंड प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी, हार्ट इंस्टिट्यूट, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम, डॉ. ऋषि गुप्ता, चेअरमैन कार्डियक साइंसेज, एकॉर्ड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, फरीदाबाद अौर डॉ. आनंद कुमार पांडेय, सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजी, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल, दिल्ली।

सेहतमंद जीवनशैलीवाले लोग भी दिल के रोगी बन रहे हैं। ऐसा क्यों होता है?

भले ही व्यक्ति नियमित रूप से चुस्त रहता हो और व्यायाम करता हो, लेकिन फिर भी आशंका रहती है कि उसकी रक्तनलिकाएं अपना काम ठीक से नहीं कर पा रही हों। रक्तनलिकाओं को कमजोर करने के अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन शराब व सिगरेट पीने, तनाव और सोने के गलत रुटीन के कारण व्यक्ति के शारीरिक रूप से चुस्त होने के बावजूद दिल की समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।

युवाओं में दिल की बढ़ती बीमारी का कारण क्या है?

इन दिनों अस्पतालों में दिल के दौरे से पीड़ित 30 से 40 साल के कई युवा मरीज आते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि इस आयु समूह में कई युवा एवं एग्जिक्यूटिव्स बहुत तनाव झेलते हैं, वे बहुत कुछ हासिल करना चाहते हैं, कंपीटिशन में आगे बने रहना चाहते हैं। तनावपूर्ण जीवन से दिल की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले हारमोन का स्राव बढ़ जाता है और इसके कारण दिल की बीमारी हो जाने की आशंका बढ़ जाती है।

क्या तनाव से दिल के दौरे के मामले बढ़ते हैं?

निरंतर तनाव में रहने वाले युवाओं में दिल की बीमारियां कई गुना बढ़ी हैं। तनाव से नब्ज की चाल, दिल की धड़कन बढ़ जाते हैं और शरीर में अनेक हारमोनल बदलाव होते हैं, जो दिल की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ मामलों में, जब दिल की रक्तवाहिनियों में ब्लॉकेज होती है, तब तनाव से ये ब्लॉकेज बढ़ जाती हैं और दिल का दौरा भी पड़ सकता है।

दिल की बीमारी की रोकथाम के क्या उपाय हैं? दिल की बीमारी से जुड़े जोखिम क्या हैं?

रोकथाम का पहला उपाय है 40 साल की उम्र के बाद स्क्रीनिंग, प्रतिवर्ष दिल की पूरी जांच और विस्तृत स्क्रीनिंग टेस्ट, जिसमें खून में शुगर, कोलेस्ट्रॉल, लिपिड प्रोफाइल, खून की जांच और तनाव की जांच आदि शामिल है। दिल की बीमारी से जुड़े जोखिमों में डाइबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल आदि हैं। सही समय पर जांच कर उनका इलाज कराना चाहिए। सबसे जरूरी हैं सेहतमंद आहार और सेहतमंद जीवनशैली।

इमरजेंसी के वक्त क्या किया जाना चाहिए?

इमरजेंसी के मामले में यदि किसी को छाती में परेशानी महसूस हो रही है और दिल के दौरे की आशंका हो, तो उसे जल्दबाजी में कुछ नहीं करना चाहिए, उसे दौड़ना नहीं चाहिए। मरीज को ऐसी जगह ले जाया जाना चाहिए, जहां वह लेट कर आराम कर सके, ताकि दिल की धड़कन प्राकृतिक रूप से सामान्य हो सके। घबराहट से स्थिति बिगड़ सकती है। सबसे पहले मरीज को शांति व सुकून दिया जाए, उसे एस्पिरिन दे दी जाए, उसका ब्लड प्रेशर देखा जाए और सुकून के साथ मरीज को अस्पताल ले जाया जाए। इसके बाद ईसीजी करके देखा जाए कि मरीज को दिल का दौरा पड़ा है या नहीं। यदि मरीज को दिल का दौरा पड़ा हो, तो उसका इलाज विशेषज्ञ कार्डियोलॉजिस्ट्स से कराया जाए।

दिल को स्वस्थ रखने के उपाय क्या हैं?

1. धूम्रपान या तंबाकू का सेवन ना करें। देखा गया है कि धूम्रपान का त्याग करने के बाद एक दिन में ही दिल की बीमारी का जोखिम कम हो जाता है।

2. शरीर को चुस्त बना कर रखें। शारीरिक व्यायाम से वजन नियंत्रण में रहता है। इससे अन्य समस्याओं, जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, और टाइप 2 डाइबिटीज को कम करने में भी मदद मिलती है, जो दिल पर दबाव डाल सकती हैं। प्रतिदिन 30 से 60 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी से दिल स्वस्थ बना रहता है।

3. सेहतमंद आहार लें, जिसमें सब्जियां और फल, फलियां, कम फैट युक्त और फैट फ्री डेयरी फूड, साबुत अनाज, और सेहतमंद फैट, जैसे ऑलिव ऑइल शामिल हैं।

4. वजन नियंत्रित रखें। अत्यधिक वजन से दिल की बीमारियां बढ़ानेवाली समस्याएं बढ़ सकती हैं।

5. पूरी नींद लें। रात में 7 से 8 घंटे सोना चाहिए। नींद की दिनचर्या बनाएं और हर रोज एक ही समय पर सो कर एवं उठ कर इस दिनचर्या का पालन करें।

6. तनाव को मैनेज करें, विकल्प तलाशें। शारीरिक गतिविधि, आराम देनेवाले व्यायाम या ध्यान केंद्रित करने से तनाव एवं संपूर्ण स्वास्थ्य के सुधार में मदद मिल सकती है।

7. डॉ. आनंद कुमार पांडेय कहते हैं कि यदि बाईपास सर्जरी हो चुकी है, तो एक्सरसाइज ज्यादा ना करें। कोशिश करें योग और हल्की एक्सरसाइज के माध्यम से शरीर को स्वस्थ्य रखें। सुबह उठ कर नजदीकी पार्कों में जा कर सैर लगाएं, उचित व्यायाम के लिए प्रशिक्षण लें, तनाव कम करने का प्रयास करें।

8. स्वास्थ्य एवं दिल की जांच नियमित रूप से कराएं। नियमित जांच से समस्या पहचानने और समय पर उसका इलाज कराने में मदद मिलती है।

कोविड-19 से रिकवर हुए हैं तो

स्‍वस्‍थ हृदय के लिए ध्‍यान देने के महत्‍व के बारे में डॉ. संजीव गेरा कहते हैं, ‘‘स्‍वस्‍थ हृदय के लिए आपको अपनी जीवनशैली का सावधानीपूर्वक चुनाव करना होगा और उन आदतों से छुटकारा पाना होगा, जो सेहतमंद नहीं हैं। शरीर में असामान्‍य या अधिक ब्‍लड लिपिड्स (फैट) की मात्रा कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों की वजह है, इसलिए सैचुरेटेड फैट का सेवन कम से कम करना चाहिए। इसी तरह, हाई ब्‍लड प्रेशर को साइलेंट किलर कहा जाता है, क्‍योंकि कई लोगों में काफी लंबे समय तक इसके लक्षण दिखायी नहीं देते, लेकिन यह हार्ट अटैक या अचानक कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है। डाइबिटीज और मोटापे पर नियंत्रण रखना जरूरी है।’’

स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक खानपान और नियमित रूप से व्‍यायाम के साथ योग भी आपके हृदय के स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से काफी लाभप्रद होता है और यह अन्‍य शारीरिक श्रमसाध्‍य गतिविधियों की तुलना में आपके हार्ट पर कम दबाव डालता है। डॉ. गेरा कहते हैं कि कोविड पॉजिटिव हो चुके लोगों को नियमित रूप से स्‍वास्‍थ्‍य जांच करवानी चाहिए, ताकि उनके हृदय पर कोविड के किसी भी प्रकार के प्रभाव का पता लगाया जा सके। देखा गया कि कोविड महामारी के दौरान हृदय रोगी ज्‍यादा प्रभावित हुए। उनकी नियमित स्‍वास्‍थ्‍य जांच करवाना जरूरी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनकी हार्ट वेसल्‍स को अधिक नुकसान तो नहीं पहुंचा है।