Thursday 01 September 2022 02:22 PM IST : By Indira Rathore

दिल्ली पुलिस की लेडी सिंघम किरण सेठी

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किरण सेठी पहली महिला पुलिस हैं, जिन्होंने लड़कियों के साथ ही लड़कों को भी सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग दी है। लिम्का बुक में नाम दर्ज कराने वाली इस धाकड़ कराटे गर्ल ने सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चों के लिए भी उल्लेखनीय कार्य किया है। एक खास मुलाकात में किरण सेठी बता रही हैं अपने कार्यों और जीवन के मकसद के बारे में।

वे ऊर्जा से लबरेज हैं। उनकी उम्र 54 के आसपास है, लेकिन उनकी आंखों में बच्चों सी जिज्ञासा और कुछ अलग करने का हौसला साफ नजर आता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं दिल्ली पुलिस की लेडी सिंघम किरण सेठी की, जिन्होंने अब तक 8 लाख लोगों को सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग दी है और रेड लाइट एरिया में सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चों के लिए शिक्षा और वैकल्पिक रोजगार के लिए प्रयासरत हैं। पिछले दिनों दिल्ली पुलिस की यह जांबाज महिला सब इंस्पेक्टर फिर से सुर्खियों में थी। इन्होंने दो बदमाशों को किसी का मोबाइल छीन कर भागते हुए देखा, तो फौरन उनके पीछे लपक लीं। इस खींचातानी में वे बुरी तरह से घायल भी हुईं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी अौर एक स्नैचर को अपने चंगुल से छूटने नहीं दिया। 

सफर की शुरुआत

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वर्ष 1986 में किरण ने 12वीं की परीक्षा पास की और अगले वर्ष ही दिल्ली पुलिस में बतौर कॉन्स्टेबल भर्ती हो गयीं। पढ़ाई का शौक था, इसलिए आगे पढ़ती रहीं। कई विषयों में मास्टर्स किया। एमएसडब्लू, जर्नलिज्म और योगा कोर्स किया। सेल्फ डिफेंस इंस्ट्रक्टर व जूड़ो-कराटे में ब्लैक बेल्ट रहीं। अभी वे एसआई हैं। उन्होंने स्कूल-कॉलेज सहित हॉस्पिटल्स, एमएनसी, सीबीआई और दिल्ली पुलिसकर्मियों के बच्चों को भी सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग दी है। वे गूंगे-बहरे और दृष्टिबाधित बच्चों को भी सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग देती हैं। उन्होंने दहेज, घरेलू विवाद सहित रेप और पॉक्सो एक्ट के सैकड़ों मामले सुलझाए और मध्यस्थता से कई घर बचाए। 

लिम्का बुक में नाम

किरण अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरु शिवकुमार कोहली को देती हैं, जो योग शिक्षक होने के साथ ही गायक भी हैं। वे वरिष्ठ अधिकारियों की भी शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने हर कदम उनका साथ दिया। वे बताती हैं, ‘‘दिल्ली पुलिस की ओर से 8 लाख से ऊपर महिलाओं-पुरुषों को सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग दे चुकी हूं, मेरा नाम अपने गुरु के साथ लिम्का बुक में दर्ज है। 2014 में हुई एक घटना के बाद मुझे लेडी सिंघम और धाकड़ भी कहा जाने लगा। मैं उस दिन ड्यूटी से घर लौट रही थी, देखा अॉटो से जा रही एक दृष्टिबाधित लड़की को दो लड़के अगवा करने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने मुझ पर हमला किया, मगर अंततः मैंने लड़की को छुड़ाया। 2016 में मुझे दिल्ली महिला आयोग की ओर से लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला, 2018 में आई वुमन ग्लोबल अवॉर्ड, 2019 में रक्षक अवॉर्ड और 2020 में राष्ट्रपति पुलिस पदक मिला।’’

सेक्स वर्कर्स के लिए कोशिशें

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किरण फिलहाल दिल्ली के श्रद्धानंद मार्ग स्थित पिंक बूथ पर तैनात हैं। हर रविवार वे पुलिस चौकी में मेडिकल चेकअप कैंप्स लगवाती हैं। पेनडेमिक के दौरान सेक्स वर्कर्स के लिए खाना बंटवाया, उनके बच्चों की शिक्षा और काउंसलिंग के भी प्रयास किए। यहां उन्हें एक छोटी बच्ची भी मिली, जिसका सपना डॉक्टर बनना था। किरण ने सीनियर्स से बात करके बच्ची को शेल्टर होम में शिफ्ट करवाया। शुरू में बच्ची की मां ने विरोध किया, लेकिन उन्हें समझाया कि बच्ची के भविष्य के लिए उसे इस माहौल से निकालना जरूरी है। सेक्स वर्कर्स के लिए सिलाई-कढ़ाई और ट्रेनिंग की व्यवस्था करवायी, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। उनके लिए नियमित योग व ध्यान कैंप्स लगवाती हैं। वे कहती हैं, ‘‘मैंने यह सब इसलिए किया, ताकि वे खुद को कमतर ना समझें। मैं उनके साथ त्योहार भी मनाती हूं। कोविड के दौरान मैंने राशन, गैस सिलेंडर और कपड़े बांटे। कई एनजीओ कार्यकर्ताओं ने मेरी मदद की। प्रेगनेंट महिलाओं को दवा और वैक्सीन भी दिलवायी।’’

लड़कियां सब कुछ कर सकती हैं

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किरण सेठी कहती हैं, ‘‘जब मैं लड़कों को सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग देती हूं, तो कई लोग पूछते हैं कि लड़कों को सिखाने में हिचक नहीं होती। मेरा जवाब होता है कि मैं ट्रेनिंग के दौरान सिर्फ शिक्षक होती हूं। उस वक्त मैं सामने वाले को अपने छात्र की तरह देखती हूं, फिर चाहे उसकी उम्र मुझसे कम या ज्यादा ही क्यों ना हो। लड़कियों के लिए जरूरी है कि अपने व्यक्तित्व को मजबूत बनाए रखें। आत्मविश्वास कभी ना खोएं।’’ 

ड्यूटी के साथ जज्बा भी

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किरण मानती हैं कि वे पुलिस में ना होतीं, तो भी समाज कार्य करतीं, क्योंकि इससे उन्हें खुशी मिलती है। उन्होंने पेनडेमिक के दौरान रेलवे कुलियों के बीच खाना-राशन बंटवाया, स्ट्रे डॉग्स, पशु-पक्षियों के लिए खाने, पानी व इलाज की व्यवस्था करवायी। स्लम एरिया में नुक्कड़ नाटकों, ट्रेनिंग कार्यक्रमों के जरिए साफ-सफाई के अलावा नशे व अब्युसिव रिलेशनशिप के खिलाफ खड़े होने के लिए जागरूक करती हैं। किरण कहती हैं, ‘‘मैं लड़कियों से कहना चाहती हूं कि अधिकारों के लिए लड़ें। अपने मन व शरीर पर अपना नियंत्रण रखें। कुछ गलत हो, तो छिपाएं नहीं, माता-पिता को बताएं और पुलिस में शिकायत करें। सतर्क व जागरूक रहें।’’

खुश रहने के कई बहाने

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किरण पुलिस की सख्त नौकरी में होते हुए भी अपनी रुचि के कामों को करने का समय निकाल लेती हैं। वे नियमित 2-3 घंटे व्यायाम और योग करती हैं। सुबह पुलिसकर्मियों को योग कराती हैं। उन्हें संगीत सुनना पसंद है, घर की साफ-सफाई भाती है, खाना बनाना और घूमना भी पसंद है। वे ज्यादा से ज्यादा दुनिया देखना चाहती हैं, नए दोस्त बनाना और अजनबियों से बात करना भी उन्हें पसंद है। वे कहती हैं, यह उनके काम का हिस्सा भी है और इससे उनका दायरा बड़ा होता रहता है। खुश रहना और अपने आसपास के लोगों को खुश देखना उन्हें पसंद है। किरण कहती हैं, ‘‘व्यक्ति उम्र से नहीं, सोच से बूढ़ा होता है। मैं हमेशा युवाओं से घिरी रहती हूं, इससे मुझे सकारात्मक रहने में मदद मिलती है। मैं हमेशा ऐसी ही रहना चाहती हूं। शरीर की उम्र बढ़ना तो नेचुरल है, लेकिन उम्र के प्रभाव को मन पर हावी नहीं होने देना चाहिए। युवा बने रहने के लिए खुश व सक्रिय जीवन जरूरी है।’’

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