Wednesday 08 November 2023 04:05 PM IST : By Nishtha Gandhi

हलवा नगौरी, आलू बेड़मी और दौलत की चाट की दावत के लिए चलें बाजार सीताराम, दिल्ली-6

पुरानी दिल्ली की बात चले और मुंह में पानी ना आए, ऐसा हो नहीं सकता। यहां की चाट-पकौड़ी के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन इसके अलावा जो चीजें अभी भी सीप में मोती की तरह बंद हैं, उनके बारे में बता दिया जाए, तो आप आज ही पुरानी दिल्ली जाने को मजबूर हो जाएंगे, लेकिन जैसे हर सही चीज का एक सही वक्त होता है, वैसे ही पुरानी दिल्ली के हर जायके का भी एक तय वक्त होता है। यहां पर आपकी जेब में चाहे 50 रुपए हों या 50 हजार, दोनों से ही आपका पेट और मन भर जाएगा। जी हां, पुरानी दिल्ली सिर्फ चांदनी चौक ही नहीं है, बल्कि चांदनी चौक के सीने में कई छोटी-बड़ी गलियां और बाजार सांस लेते हैं। हम बात कर रहे हैं, बाजार सीताराम की। यह वही सीताराम बाजार है, जहां से 100 साल से भी पहले कूड़ेमल कुल्फीवाले ने कुल्फी बेचने की शुरुआत की थी। वही सीताराम बाजार, जहां पर आप सुबह 7 बजे भी जाएंगे, तो हलवाइयों की दुकानों से हलवा नगौरी की खुशबू आएगी। छोटी सी गोल-गोल नगौरी को गोलगप्पा समझने की हिमाकत तो बिल्कुल भी ना कीजिएगा, क्योंकि यह आकार प्रकार में भले ही गोलगप्पे की तरह हो, लेकिन शक्लोसूरत में उससे बिल्कुल अलग है। गोलगप्पे को यहां पर पानी के पताशे कहा जाता है। वैसे जानकारी के लिए बता दें कि गोलगप्पे में नमक नहीं डाला जाता है, जबकि नगौरी में थोड़ा सा नमक मिलाया जाता है और यह थोड़ी सी मोटी होती है। लौट कर आते हैं हलवा नगौरी पर, सूजी के हलवे के साथ आलिंगनबद्ध हो कर जब छोटी सी नगौरी मुंह में जाती है, तो परम आनंद की अनुभूति होना तय है। चलिए बताते हैं सीताराम बाजार के कुछ अदभुत स्वाद के बारे में-

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हलवा नगौरीः नगौरी सूजी से बनती है। तीन हिस्से सूजी और एक हिस्सा मैदा मिला कर उसमें थोड़ा सा मोयन व नमक डाल कर आटा गूंधा जाता है। आप चाहें, तो सिर्फ सूजी से भी नगौरी बना सकती हैं। फिर इससे गोलगप्पे के आकार की छोटी-छोटी पूरियां बना कर तली जाती हैं। इन नगौरियों को देसी घी के सूजी के हलवे के साथ परोसा जाता है। लगभग 8 बजे तक यहां के हलवाइयों की दुकानों में रखी पीतल की बड़ी सी परात नगौरियों से भर जाती है। सीताराम बाजार में पले-बढ़े किसी व्यक्ति के आगे हलवा नगौरी का नाम लीजिए और उसकी आंखों में तैरती चमक में बचपन का अक्स देख लीजिए। सुबह 7 बजे स्कूल के लिए घर से खाली टिफिन हाथ में लिए बच्चों की टोली नगौरी की परात के आगे जा कर ही रुकती थी। इन टिफिन बॉक्स में हलवा नगौरी सधे हाथों से पैक होने के बाद ही बच्चे स्कूल जाया करते थे। अब पुरानी की औरतों को कोई कामचोर कहे या वहां के लोगों को चटोरे, इस बात से वहां के रहने वालों को फर्क नहीं पड़ता।

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आलू बेड़मीः पूरियां तो आपने बहुत खायी होंगी, लेकिन बेड़मी पूरी की बात ही अलग है। तेल में डुबकी लगाने के बाद भी यह छोटी सी बेड़मी निर्विकार रहती है यानी इसे हाथ में लेने पर एक बूंद तेल भी आपके हाथ में नहीं लगता, इसलिए कोई इस स्वाद की गंगा को बीमारियों का घर ना कहे। पुरानी दिल्ली का फेमस नाश्ता है बेड़मी पूरी, जो यहां पहले 12 बजे तक बिका करता था। अब कुछ दुकानों पर यह आपको शाम के 4-5 बजे तक भी मिल जाती है। बेड़मी बनाने के लिए आटा सूजी से भी मोटा पिसवाया जाता है। इसे गोल आटा भी कहा जाता है। भरावन के लिए धुली उड़द दाल की दरदरी पिट्ठी बनायी जाती है। इसमें हींग, नमक, मिर्च, धनिया, गरम मसाला व सौंफ डाली जाती है। पिट्ठी को आटे की लोई में भर कर छोटी पूरियां तैयार की जाती हैं। इन पूरियों को दो बार तला जाता है। पहली बार में अधसिंकी बेड़मी उतारी जाती है, फिर दोबारा तेल में डाल कर इन्हें करारा किया जाता है। बेड़मी के साथ मसालेदार आलू-छोले की सब्जी, मेथी की चटनी, कचालू व अचार परोसे जाते है। आलू की सब्जी बनाने के लिए कुकर में सिर्फ उतना ही तेल डाला जाता है, जिसमें हींग जीरा भुन जाए। इसमें हल्दी, नमक, लाल मिर्च, सूखा धनिया, गरम मसाले के अलावा कचरी भी डाली जाती है। यही इस सब्जी का सीक्रेट मसाला है। आलू के साथ छोले, जो आकार में छोटे होते हैं, मिक्स करके परोसे जाते हैं। कुछ हलवाई सब्जी में कोफ्ता भी डालते हैं। मसालेदार दाल का कोफ्ता टेस्ट बम का काम करता है। चांदनी चौक के बहुत से हलवाइयों ने देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण की वजह से सब्जी के स्वाद में थोड़े बदलाव भी किए हैं, लेकिन सीताराम बाजार के हलवाई अभी भी उस पुराने स्वाद की ठसक लिए डटे हुए हैं। जिस ऑथेंटिक शब्द का आज पर्यटक और फूड व्लॉगर्स भरपूर किया करते हैं, उसका मूर्त रूप देखना हो, तो सीताराम बाजार आना होगा।

बात करें मेथी दाने की चटनी की, तो यह कोई ऐसी-वैसी आम चटनी नहीं है। यह 9 मसालों से तैयार की जाती है, राजा-महाराजा इसे पाचन दुरुस्त रखने के लिए खाते थे, लेकिन स्वाद से कोई समझौता नहीं करते थे। इसमें पीला मेथी दाना, मोटी सौंफ, धनिया, लाल मिर्च, हल्दी, नमक, साबुत अमचूर, हींग और पिसी हुई सूखी कचरी जैसे मसालों को बराबर मात्रा में मिला कर पानी में गाढ़ा होने तक पकाया जाता है। हींग कम डाली जाती है। नमक और अमचूर की मात्रा अन्य मसालों के मुकाबले दोगुनी होती है। इसे मेथी की लौंजी भी कहा जाता है।

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दौलत की चाटः यह तो बात हुई हलवा नगौरी और आलू बेड़मी की, लेकिन लेख की शुरुआत में बात की गयी थी, 50 हजार रुपए खर्च करने की, तो उसके लिए आपको जाना होगा सीताराम बाजार की आर्य समाज गली में। किसी जमाने में ठेला ले कर एक बूढ़ा सर्दियों में घूमा करता था, लेकिन आज गली आर्य समाज में कोने पर एक पक्की दुकान बन चुकी है, जहां बिकती है दौलत की चाट। कहने को चाट है, लेकिन यह ऐसी मिठाई है, जिसे डाइबिटीज के मरीज भी सीमित मात्रा में खा सकते हैं। दरअसल, यह इतनी महंगी होती है कि इसे खाने वाले के लिए यह कहा जाता है कि वह अपनी दौलत को चाट रहा है। इसे बनाने की प्रक्रिया बहुत जटिल है और हर कोई इसे नहीं बना सकता। दूध में थोड़ा सा समंदर झाग (एक प्रकार का केमिकल) और दूध से आधी मात्रा में क्रीम मिला कर उसे ओस में रखा जाता है। सुबह उसे बिलो लेते हैं और उससे निकलने वाली क्रीम को बर्फ में रखे बरतन में इकट्ठा करते हैं। यह बूरा चीनी और कटे मेवे डाल कर सर्व की जाती है। वैसे सीताराम बाजार की गली आर्य समाज के अलावा चांदनी चौक के दरीबां कला में भी आपको दौलत की चाट खाने को मिल जाएगी।

सीताराम बाजार पहुंचने के लिए आप बस, कार या ऑटो रिक्शा से आसफ अली रोड की हमदर्द बिल्डिंग तक पहुंचे और वहां पर हिम्मतगढ़ के अंदर हो कर बस जिधर गलियां मुड़ें, मुड़ते चले जाएं। छोटी संकरी गलियों में बड़ी कड़ाहियों वाले हलवाई आपको हर 10 कदम पर मिल जाएंगे। यहीं पर मोहल्ला इमली से होते हुए आप सीताराम बाजार पहुंच जाएंगे। यहां का हर हलवाई आपका स्वागत मुस्करा कर करे, यह जरूरी नहीं, लेकिन हर हलवाई आपकी स्वाद ग्रंथियों का संतुष्ट करेगा, यह सौफीसदी तय है। अगर मेट्रो से आ रहे हैं, तो चावड़ी बाजार स्टेशन से बाहर निकलें और हौज काजी से होते हुए सीताराम बाजार पहुंच जाएं। लाल दरवाजे के बाहर शंकर हलवाई, कूचापाती राम की गली बेरी वाली के बाहर किशन लाल हलवाई और गली लेहस्वा के तिराहे पर सूरजमल हलवाई यहां के बहुत पुराने और मशहूर हलवाई हैं। अगर किसी ऊंची दुकान में जाने का मन हो, तो चावड़ी बाजार के स्टैंडर्ड स्वीट्स पर जा सकते हैं। यहां के पनीर पकौड़े, जलेबी और हलवा नगौरी का स्वाद भुलाए नहीं भूलता। यह दुकान चावड़ी बाजार के सिरकीवालान या गली चौमुखा मंदिर में स्थित है। चांदनी चौक में बेड़मी खानी हो, तो मालीवाड़े में रेवाड़ीवाला, चावड़ी बाजार के वर्षाबूला चौक में श्याम स्वीट्स भी ट्राई कर सकते हैं। हालांकि बाजार सीताराम में जो जायका मिलेगा, वह कहीं और नहीं मिल सकता, इस बात की पूरी गारंटी है।