Thursday 21 September 2023 12:01 PM IST : By Gopal Sinha

कहीं आप भूलने तो नहीं लगे हैं

पिछले कुछ दिनों से शकुंतला जी चीजें रख कर भूलने लगी थीं। कभी चश्मा, कभी घड़ी, तो कभी अपना मोबाइल। कभी-कभी ताे वे अपनी दवाएं लेना तक भूल जाती थीं। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ होनेवाली बीमारियों में से एक है अल्जाइमर, जो एक न्यूरोडिजेनेरेटिव यानी दिमागी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त क्षमता व सोचने की शक्ति पर असर पड़ता है, साथ ही उसके व्यवहार में भी कुछ बदलाव आने लगते हैं। अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे सामान्य रूप है, जिसमें ब्रेन की नर्व सेल्स ठीक से काम करना बंद कर देती हैं, जिसका असर व्यक्ति के रोजमर्रा के कामकाज पर पड़ता है।

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यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया, एम्स दिल्ली और 18 अन्य संस्थानों द्वारा करायी गयी एक स्टडी के अनुसार, अपने देश में करीब 7.4 प्रतिशत यानी लगभग 88 लाख बुजुर्ग (60 साल से अधिक उम्र के) डिमेंशिया से पीड़ित हैं। गंभीर बात यह है कि डिमेंशिया के रोगियों में महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले दोगुनी है। इसकी वजह शिक्षा का अभाव, जीवन के शुरुआती समय में पोषक खानपान में कमी मानी जा सकती है। अब जबकि 2031 तक अपने देश की जनसंख्या का 13.1 प्रतिशत बुजुर्गों के होने का अनुमान लगाया जा रहा है, तो ऐसे में इस समस्या पर गौर करना जरूरी है।

डॉ. सुषमा चावला, दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में पिछले 2 दशकों से भी अधिक समय से डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्तियों के लिए ‘होप एक आशा’ नाम से संस्थान चला रही हैं, जहां ऐसे रोगियों की बेहतरीन देखभाल की जाती है। डॉ. सुषमा चावला ने इस रोग के बारे में हमें काफी उपयोगी जानकारी दी।

अल्जाइमर रोग होने के क्या कारण होते हैं?

उम्र बढ़ने के साथ-साथ ब्रेन में कुछ परिवर्तन होते हैं, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि ऐसे कौन से कारक हैं, जो उन विशिष्ट परिवर्तनों को ट्रिगर करते हैं, जो अल्जाइमर रोग का कारण बनते हैं। कई बार यह रोग कम उम्र में भी हो जाता है। फैमिली हिस्ट्री, उम्र, हार्ट डिजीज आदि इस रोग के होने में भूमिका निभा सकते हैं।

क्या अल्जाइमर रोग आनुवंशिक होता है?

परिवार के किसी सदस्य को अल्जाइमर रोग है, तो जरूरी नहीं कि दूसरे सदस्यों को भी हो जाएगा। हां, रोगी के परिवार के सदस्यों को अल्जाइमर होने की आशंका उन लोगों से अधिक होती है, जिनके परिवार में काेई अल्जाइमर रोगी नहीं है। अधिकतर विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि आनुवंशिक कारक इस रोग के विकसित होने में मदद करते हैं।

अल्जाइमर को विकसित होने में कितना समय लगता है?

अल्जाइमर रोग धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ बिगड़ता जाता है। यह लक्षण दिखने से 20-25 साल पहले ही व्यक्ति के ब्रेन में विकसित होना शुरू हो जाता है, जिसका पता भी नहीं चलता। आप केवल फैमिली हिस्ट्री या आनुवंशिक कारकों के आधार पर अल्जाइमर रोग के जोखिम के बारे में जान सकते हैं। डॉक्टर से मिल कर जोखिम का संकेत देनेवाले बायोमार्कर्स की पहचान की जा सकती है।

अल्जाइमर रोग के शुरुआती लक्षण सामान्य भूलने की बीमारी से कैसे अलग होते हैं?

अल्जाइमर और उम्र बढ़ने के साथ होनेवाली सामान्य भूलने की बीमारी के बीच अंतर करना कठिन है। कई बार शुरुआती अवस्था में अल्जाइमर रोगी को अपनी याददाश्त में आयी कमी के बारे में अच्छी तरह पता होता है और कई बार वह लोगों से छिपा कर भी रख सकता है। आयु संबंधी बदलावों में कभी-कभी नाम भूल जाना, पर बाद में याद आ जाना, बातचीत के दौरान सही शब्दों का चयन ना कर पाना, नयी चीजें सीखने में अरुचि होने जैसे लक्षण दिख सकते हैं। अल्जाइमर के लक्षणों में तारीखों, घटनाओं को भूल जाना, एक ही जानकारी बार-बार पूछना, भ्रम में पड़ना, बातचीत करने में कठिनाई, गलत नाम लेना, दूरी का अंदाजा ना लगा पाना, सोशल एक्टिविटीज में शामिल ना होना, नयी चीजें सीखने में दिक्कत होना जैसे लक्षण आते हैं।

अल्जाइमर रोग काे आमतौर पर डायग्नोस कैसे किया जाता है?

रोगी के लक्षणों और मानसिक क्षमताओं के आधार पर डायग्नोस किया जाता है। डाॅक्टर रोगी की मेडिकल हिस्ट्री, फिजिकल एग्जामिनेशन व अन्य रोगों की जांच करने के साथ-साथ मानसिक क्षमताओं की भी जांच करता है। रोगी का ब्रेन और नर्व्स कितनी अच्छी तरह काम कर रही हैं, यह जानने के लिए कुछ न्यूरोलॉजिकल टेस्ट भी किए जाते हैं। इन सभी जांचों के परिणाम के आधार पर डाॅक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्ति अल्जाइमर से पीड़ित है या डिमेंशिया का हल्का रूप माइल्ड कॉग्निटिव इंपेयरमेंट (एमसीआई) है। कुछ नए बायोमार्कर और ब्रेन स्कैनिंग तकनीकों का ईजाद किया गया है, जो अल्जाइमर रोग के निदान में मदद कर सकते हैं।

माइल्ड कॉग्निटिव डिस्ऑर्डर क्या है? यह अल्जाइमर से किस तरह अलग है?

माइल्ड कॉग्निटिव डिस्ऑर्डर (एमसीआई) एक ऐसी स्थिति है, जो व्यक्ति की याददाश्त या सोच संबंधी समस्याओं से जुड़ी है, लेकिन इतनी भी गंभीर नहीं है कि व्यक्ति अपने रोज के कामकाज ना कर सके। एमसीआई से ग्रस्त कुछ व्यक्ति अल्जाइमर से पीड़ित हो सकते हैं, सभी नहीं।

अल्जाइमर रोगियों की जीवन अवधि क्या है?

ऐसे रोगियों की जीवन अवधि अलग-अलग हो सकती है। कुछ रोगी दूसरों की तुलना में धीरे-धीरे ठीक होते हैं। कुछ रोगी 3 साल तक जीवित रहते हैं, जबकि कई एक दशक से भी अधिक जीते हैं। रोग की पहचान किस उम्र में हुई है, यह रोगी की जीवन अवधि निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ऐसी कौन सी सामान्य गतिविधियां हैं, जो अल्जाइमर रोग के लक्षणों को कम कर सकती हैं और दूसरी बीमारियों से होनेवाली जटिलताओं को रोक सकती हैं?

सही खानपान - खानपान का हमारे मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ताजे फल-सब्जियां लें, ये एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं, जो ब्रेन सेल्स को डैमेज होने से बचाती हैं। डाइट में मेवे शामिल करें। बहुत अधिक मीठा खाने से बचें। मिश्री और देसी सौंफ 60-60 ग्राम और बादाम की 70 ग्राम गिरी मिला कर चूर्ण बना लें। रात को सोते समय आधा चम्मच चूर्ण एक कप गुनगुने दूध के साथ लें।

एक्सरसाइज - रिसर्च से यह संकेत मिलता है कि फिजिकल एक्सरसाइज करने से मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे ब्रेन सेल्स ठीक से काम करती हैं। कोई भी व्यायाम करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

दिमाग को सक्रिय रखें - दिमाग एक्टिव रहेगा, तो चेतना में आ रही कमी की गति धीमी होगी। क्रॉसवर्ड पहेली हल करें, कुछ लिखें, कोई खेल खेलें।

नयी चीजें सीखें - अपना दायरा बढ़ाएं और कोई नयी भाषा, कोई नयी हॉबी या कंप्यूटर सीखें।