पर्यावरण प्रदूषण और खराब लाइफस्टाइल कुछ ऐसे कारण हैं, जिनके चलते देश में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। भारत में महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है सर्वाइकल कैंसर। विश्व कैंसर दिवस के मौके पर दिल्ली स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एवं रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) में मेडिकल ओंकोलॉजी के डाइरेक्टर, डॉ. विनीत तलवार के मुताबिक कैंसर की जल्दी जांच हो जाने से इलाज आसान हो जाता है और मरीज के बचने की संभावना भी बहुत ज्यादा रहती है। उन्होंने कहा, 'अगर आप किसी भी परेशानी का 3-4 हफ्ते से इलाज करा रहे हैं और स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है, तो तत्काल जांच करानी चाहिए। अगर हम शुरुआती स्टेज में कैंसर का पता लगा लेते हैं तो बचने की उम्मीद बहुत ज्यादा हो जाती है। कैंसर के प्रकार और स्टेज के हिसाब से सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी से इलाज किया जा सकता है। इसके बारे में पर्याप्त जागरूकता लाने की जरूरत है।'
महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर सबसे आम है, लेकिन साथ ही यह कैंसर का ऐसा प्रकार भी है, पहले ही इसके लक्षणों का पता लगाया जा सकता है व इससे बचना संभव है। पीरियडस में फ्लो बढ़ जाना, असमय रक्तस्राव होना, गंदा स्राव होना सर्वाइकल कैंसर के कुछ सामान्य लक्षण हैं। जांच और एचपीवी संक्रमण से बचाव करने वाली वैक्सीन के जरिये महिलाएं सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम कर सकती हैं। हालांकि अगर समय पर जांच हो और जरूरी सतर्कता बरती जाए तो इससे बचाव और इसका इलाज दोनों संभव हैं। ऐसा होने से कैंसर को पनपने से रोकना संभव है। शारीरिक संबंध बनाने की शुरुआत के तीन साल बाद से पैप स्मियर टेस्ट कराना चाहिए और हर तीन साल में जांच कराते रहना चाहिए।

आरजीसीआईआरसी की वरिष्ठ ओंकोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. अमिता नैथानी ने भी इसकी जल्दी जांच पर जोर दिया। साधारण पैप स्मियर टेस्ट के जरिये इसकी जांच संभव है। सर्वाइकल कैंसर से बचाव के बारे में डॉ. अमिता नैथानी ने कहा, “80 प्रतिशत मामलों में सर्वाइकल कैंसर एचपीवी वायरस के संक्रमण से होता है और इस वायरस का टीका उपलब्ध है। यह टीका 9 से 14 साल की उम्र में दो इंजेक्शन और 14 से 26 साल की उम्र में तीन इंजेक्शन के रूप में दिया जा सकता है।