धनतेरस पर हम सभी कुछ ना कुछ खरीदारी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खरीदारी करना शुभ फलदायी होता है। प्राचीन कथाओं के अनुसार एक राजा की मृत्यु इस दिन होनी तय थी। जब उसकी रानी को यह बात पता चली तो उसने पति के प्राण बचाने के लिए पूरे कमरे को सोने, चांदी और जवाहरातों से भर दिया। जब यमराज राजा के प्राण लेने आए, तो रत्न व आभूषणों की चमक से उनकी आंखें चुंधिया गयीं और रानी ने सारी रात उन्हें कहानी सुनाने में उलझा लिया। इसी तरह सुबह हो गयी और यमराज राजा के प्राण लिए बिना ही वापिस लौट गए। एक और मान्यता के अनुसार इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी अमृत से भरा सोने का कलश ले कर प्रकट हुई थीं। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए धनतेरस पर धातु खरीदना शुभ माना जाता है। न्यूमेरोलॉजिस्ट व एस्ट्रोलॉजर मनीष मालवीय का कहना है कि धनतेरस के मौके पर अगर आप दवाएं दान करते हैं, तो बेहद शुभ फल मिलता है। धातु की चीजें खरीदने के अलावा धनतेरस के मौके दो झाड़ू भी खरीदनी चाहिए। इस साल धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5.45 से 7.47 बजे तक है व खरीदारी करने का मुहूर्त दोपहर 12.35 बजे के बाद से है। इसके बाद कभी भी खरीदारी की जा सकती है।
धातु के अलावा इस दिन शरीर को ताकत देने वाली चीजें जैसे मल्टी विटामिन, प्रोटीन पाउडर वगैरह खरीदने चाहिए।
जहां तक हो सके, धनतेरस पर लोहा, प्लास्टिक, बोन चाइना की क्राकरी व शोपीस, शीशे या कांच की वस्तुएं खरीदने से बचें। अगर गणेश लक्ष्मी, हटरी आदि खरीदने हों, तो वे भी इसी दिन खरीदे।
धनतेरस पर राशिनुसार इन धातुओं के बर्तन, आभूषण, सजावट सामग्री की खरीदारी कर सकते है।
मेष - तांबा
वृष - चांदी
मिथुन - कांसा
कर्क - चांदी
सिंह - सोना और तांबे
कन्या - कांसा
तुला - चांदी
वृश्चिक - तांबा
धनु - सोना, पीतल
मकर - स्टील
कुंभ - स्टील
मीन - सोना, पीतल