Friday 30 September 2022 04:47 PM IST : By Ruby Mohanty

हेना चक्रवर्ती, जिनकी पेंटिग्स में है गांधी दर्शन

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हेना बंगाल की हैं, पर बचपन से दिल्ली में रच-बस गयीं। दिल्ली में कॉलेज ऑफ आर्ट्स से पढ़ी-लिखी हेना बचपन से ही पेंटिंग का शौक रखती हैं। दरअसल, हेना को महात्मा गांधी के मूल्यों की जानकारी तब मिली, जब उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद गांधी स्मृति और दर्शन समिति में क्यूरेटर, पुनर्स्थापक और वरिष्ठ कलाकारों के रूप में काम किया। उन्होंने गांधी जी पर आधारित कई पेंटिग्स की एग्जीबिशन लगायी। उनकी पहली एग्जीबिशन महात्मा गांधी के विचार दर्शन और व्यक्तित्व के इर्दगिर्द थी। उनकी पेंटिंग शुद्ध यथार्थवादी है, जिसमें उन्होंने वॉटर कलर, एक्रेलिक, ऑइल और टेम्पर से ले कर पेंसिल और इंक स्केचिंग का इस्तेमाल किया।

कहां से मिली प्रेरणा

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हेना चक्रवर्ती कहती हैं, ‘‘आजकल तो बच्चों को गूगल से काफी जानकारी होती है, पर हमारे जमाने में जो टीचर बोलती थीं, वही जानकारी होती थी। मैं गांधी के बारे में बिलकुल जीरो थी। बचपन से राजघाट में आना-जाना, उठना-बैठना और वहां वक्त बिताना अच्छा था। पर मैं धीरे-धीरे गांधी जी के जीवन, उनके काम और उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होती गयी। इसका असर आगे चल कर मेरी कूची और कैनवास में दिखने लगा। मैं मानती हूं कि महात्मा गांधी कोई राजनीतिज्ञ नहीं थे, वे राष्ट्रपिता थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ी, हरिजन उत्थान के लिए काम किया या स्वतंत्रता के लिए अहिंसा का आंदोलन चलाया, जो भी किया वह सब शांतिपूर्ण तरीके से किया। इसी से मैं प्रभावित हुई। महात्मा गांधी के दर्शन में विश्वास करते हुए मैंने दिल से उन्हें अपनी कला में ढाला। स्कूल-कॉलेज में जो भी आर्ट कंपीटिशन और एग्जीबिशन होता था, उसमें मेरा सलेक्शन जरूर होता था, क्योंकि मेरी थीम बेस्ड पेंटिंग होती थी। कुछ समय के बाद गांधी जी के जीवन के कई पहलू मेरी थीम का रूप लेने लगे।’’ आगे चल कर हेना ने कई और भी पेंटिंग बनायी, जिसकी कई जगह एग्जीबिशंस भी लगीं।

पेंटिंग की थीम

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हेना की ‘कल्पतरु गांधी’ शीर्षक वाली पेंटिंग में गांधी जी को पेड़ के नीचे बैठे हुए दिखाया है, जिसके इर्दगिर्द लताएं हैं। इसके अलावा चक्र यज्ञ, एकला चोलो जैसी बहुत सी थीम पेंटिंग्स हैं। एग्जीबिशन में पेंटिंग कलेक्शन में भारत छोड़ो आंदोलन, हरिजन उत्थान, दांडी यात्रा जैसी थीम पर कई पेटिंग बनायीं। सांप्रदायिक सद्भाव विषय पर बनी 24 फुट की ऑइल पेंटिंग है, जो काफी सराही गयी। इसके अलावा जलियावालां बाग पर भी पेंटिंग है, जो 12 फुट हार्ड बोर्ड पर प्लास्टिक इमल्शन (वॉटर बेस्ड वॉल पेंट) के साथ बनायी गयी है। हेना ने गांधी दर्शन, उनकी सादगी, अहिंसावादी सोच, ईमानदारी, शांति और सच्ची भावना को अपनी पेंटिंग के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया है। हेना की पेंटिंग्स मुख्यतौर पर संग्रहालयों में रखी जाती हैं।

हेना के मुताबिक गांधी जी के पास सभी प्रश्नों के उत्तर थे। उन्होंने उनकी ऑटो बायोग्राफी पढ़ी। उसी में जीवन का सार है। जीवन में घटी बहुत छोटी-छोटी घटनाएं प्रेरणा से भरी हैं। इन्हें जनमानस के लिए लिखा गया था। यह बात अलग है कि लोगों ने उन पर और उनके विचारों पर मोटी-मोटी किताबें लिख डालीं। गांधी जी के जीवन से जुड़ी छोटी घटनाओं से हेना प्रभावित हुईं। वे कहती हैं, ‘‘गांधी जब दांडी मार्च पर निकले, तो लोग कहने लगे कि एक चुटकी नमक में ब्रिटिश साम्राज्य कैसे हिलेगा? पर गांधी जी साथियों को ले कर निकल पडे़। वे मीलों तक चलते गए। अंधेरा होने पर घास-फूस से खुद ही अस्थायी कुटिया बनाते। इसी बीच जरूरी खतों का जवाब भी देने का काम होता था। उस समय कुटिया में तेल की डिबरी जलाने का जमाना था। बापू अपनी कुटिया में थे। कुटिया में डिबरी जल रही थी, जो तेल खत्म होने पर बुझ गयी। किसी ने देखा कि वे अंधेरे में बैठ कर कुछ लिख रहे हैं। उसने पूछा, ‘बापू अंधेरे में क्या लिख रहे हैं आप?’ वे बोले, ‘रोशनी में तो पढ़ सकते हैं, पर अंधेरे में आसानी से लिख सकते हैं।’ इसी तरह की सरल पर गंभीर बातें मेरी पेंटिंग में उतरीं।’’

कस्तूरबा संग्रहालय

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विश्व में एकमात्र कस्तूरबा संग्रहालय में कस्तूरबा की जीवनी, फोटो, उनसे जुड़ी कई वस्तुएं भी रखी हैं। यह हरिजन सेवा संघ, किंगस्वे कैंप दिल्ली में है। हेना चक्रवर्ती ने गांधी जी और कस्तूरबा से जुड़ी तमाम चीजों को सहेजने का काम किया। कस्तूरबा पर काम करने के पीछे अपने इरादे पर वे कहती हैं, ‘‘दरअसल कस्तूरबा नारी शक्ति की ट्रू सिंबल थीं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पत्नी होने के नाते उन्होंने ना सिर्फ सत्याग्रह आंदोलन में गांधीजी का साथ दिया, बल्कि हर कदम पर साथ दिया। महात्मा गांधी खुद मानते थे कि अहिंसा का पाठ तो मैंने अपनी पत्नी कस्तूरबा से ही सीखा।’’ इतना ही नहीं, हेना ने एेसे एग्जीबिशन सेट्स तैयार किए हैं, जो लेड लाइट सिस्टम वाले हैं और सोलर पावर बैकअप पर आधारित हैं। इससे बिजली की बचत होती है। जो लोग वाकई महात्मा गांधी से प्रभावित हैं, उन्हें कस्तूरबा के जीवन पर आधारित संग्रहालय भी देखना चाहिए।