बड़े-बुजुर्ग कहते हैं, पैसा हाथ का मैल है। फिर भी सभी जानते हैं कि पैसा जीवन के लिए बहुत जरूरी है। इस धनतेरस ऐसा क्या करें कि आपके जीवन में खुशहाली बनी रहे। ये छोटी-छोटी 5 बातें याद रखें-
आमदनी का एक हिस्सा सुरक्षित रखें
मान लीजिए किसी की आमदनी 30 -35हजार रुपये प्रतिमाह है तो इस महंगाई के जमाने में उसकी बुनियादी जरूरतें पूरी हो जाएं, यही बहुत है। ऐसे लोगों को सबसे पहले अपनी रिहाइश और कम्यूटिंग का खर्च कम करना चाहिए। अपने दफ्तर के आसपास रिहाइश तलाशें। अगर घर के अन्य सदस्य (पत्नी) शिक्षित हैं तो उन्हें घर से ही कोई भी काम करने के लिए प्रेरित करें ताकि वह छोटी-मोटी जरूरतें खुद पूरा कर सकें। कम से कम 3-5 हजार रुपये हर माह बचत करने का लक्ष्य रखें। पेनडेमिक के दौरान जब बहुत से लोगों ने नौकरियां खोईं और पैसों की कमी के कारण जान भी गंवाई तो यह सीख सबको मिली कि हर व्यक्ति को अपनी आमदनी का एक हिस्सा संकट के लिए बचाना चाहिए। यह रकम चाहे 200-500 रुपये ही क्यों न हो, लेकिन बचत को आदत बनाएं। खासतौर पर युवा, जो कम उम्र में अच्छा कमा रहे हैं लेकिन सोचते हैं कि अभी से बचाकर क्या करेंगे, उन्हें सलाह है कि यही वह सही समय है, जब वे अपनी आमदनी का अच्छा हिस्सा निवेश कर सकते हैं, जिससे आगे 30-40 साल बाद उन्हें अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
कर्ज लेने से पहले चुकाने के बारे में सोचें
आसान किस्तों के कारण आज की बड़ी नौकरीपेशा आबादी घर या गाड़ी के लिए कुछ न कुछ लोन ले लेती है। एक दलील यह भी है कि इससे इनकम टैक्स में कुछ बचत हो जाती है। अगर गौर करेंगे तो पाएंगे कि 15-20 वर्षों के लिए आपने जो कर्ज लिया है, वह धीरे-धीरे बोझ बनता चला जाता है। नौकरी ठीक-ठाक स्थिति में रही तो कुछ वर्ष आसानी से कर्ज चुका लेंगे लेकिन इस अप्रत्याशित दौर में कोई यह दावा नहीं कर सकता कि आगे के 10 वर्ष उसकी नौकरी ठीक ढंग से चलती रहेगी। ऐसे में कर्ज लेने से पहले अच्छी तरह विचार कर लें कि यह क्यों जरूरी है, अगर जरूरी है तो कितना कर्ज लें और कितनी अवधि के लिए लें। कर्ज चुकाना प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखें। बेहतर होगा कि कर्ज लेने से पहले किसी जानकार से बात कर लें। अगर 40 -45 की उम्र के बाद लोन ले रहे हैं तो इस बारे में अवश्य अच्छी तरह सोच-विचार करें।
पॉकेट इन्वेस्टमेंट
अपने बैंक की ऑनलाइन सेवाओं में आपने पॉकेट इन्वेस्टमेंट का ऑप्शन जरूर देखा होगा। अगर निकट भविष्य में आपको कोई बड़ी चीज खरीदनी है। मसलन गाड़ी, घर, ज्वेलरी आदि तो इस विकल्प का सहारा लें। हर महीने इस मद में एक फिक्स राशि जमा करें, ताकि जब 1-2 वर्ष बाद आप आसानी से अपनी मनचाही चीज खरीद सकें। याद रखें, छोटी-छोटी बचत बहुत काम की होती है। हर महीने कुछ सेविंग्स करने से अपनी जरूरतों को पूरा करना ज्यादा आसान हो सकता है।
सैलरी आते ही विभाजन करें
इन दिनों टेक्नोलॉजी ने आमदनी और खर्च का हिसाब रखना आसान बना दिया है। ऐसे कई एप्स हैं, जिनमें आप अपने खर्च और बचत का हिसाब आसानी से कर सकते हैं। इससे पता चल सकता है कि आपकी जरूरतें कितनी हैं र अगर इससे ज्यादा खर्च हो रहा है तो वह किस मद में हो रहा है और उसे कैसे रोका जा सकता है। बेहतर होगा कि महीने की जरूरतों के लिए अलग अकाउंट ही बना लें। सैलरी आने के बाद जरूरी धनराशि उस अकाउंट में ट्रांसफर कर दें और कोशिश करें कि उसी में महीना चला लें। इससे खर्च और बचत के बीच बेहतर संतुलन बना रहेगा।
कौन सी बचत योजना अच्छी
हर किसी की प्राथमिकताएं और जरूरतें अलग होती हैं। अच्छा होगा, अगर आप अपनी जरूरतों और प्राथमिकताओं के हिसाब से बचत करें। सैलरीड लोग फिक्स्ड डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस की योजनाओं, म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार में एक सीमा तक निवेश कर सकते हैं। दूसरी ओर बिजनेसमैन, जिनकी फिक्स आय नहीं होती और कभी भी फंड की जरूरत पड़ सकती है, उन्हें बचत के अन्य तरीके आजमाने चाहिए। अपने वेलनेस प्लानर या बैंक सहायक की मदद से आप अपने लिए बेहतर योजना का विकल्प चुन सकते हैं।
ये छोटी-छोटी बातें हैं, जिनका ध्यान अगर 20-30 की उम्र में ही रख लेंगे तो आगे की जिंदगी थोड़ी आसान हो सकती है। हम भारतीय वैसे भी फिजूलखर्ची में यकीन नहीं करते और संकट के लिए बचत करना हमारी प्राथमिकता में शामिल हैं। गृहिणियां चाहे वे नौकरीपेशा हों या नहीं, हमेशा एक इमरजेंसी फंड तैयार रखती हैं और किसी भी जरूरत के समय उनकी यही चोर बचत काम आती है। ऐसी सोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो भविष्य में आर्थिक मंदी या किसी भी संकट का सामना करने की ताकत मिल सकती है।