Saturday 30 October 2021 11:35 AM IST : By Team Vanita

इस दीवाली गणपति के 32 रूप करेंगे आपके कष्टों का निवारण

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जीवन में आने वाले विघ्नों का निवारण श्री गणेश करते हैं। इनके बिना हर पूजा अधूरी है। उनके 32 रूप कई संदेश देते हैं। पं. भानुप्रताप नारायण मिश्र से इस बारे में जानते हैं। 

श्री बाल गणपति: प्यारे से रक्त वर्ण गणपति उर्वरता और संसाधनों का प्रतीक हैं। उनके चारों हाथों में आम, केला, गन्ना व कटहल हैं। जिस तरह संकट में बच्चे सहज रहते हैं, बाल गणपति भी इंसानों को संकट में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। 

तरुण गणपति: गणपति का किशोर रूप में ऊर्जावान शरीर लाल रंग में चमकता है। उनके 8 हाथ हैं, जिनमें फल, मोदक, अस्त्र-शस्त्र पकड़े हुए हैं। ये सभी आंतरिक खुशी को जाहिर करते हैं और युवा शक्ति का प्रतीक है। 

ये उपलब्धियों के लिए संघर्ष करते रहने का संदेश देते हैं। 

भक्त गणेश: यह उनका श्वेत रूप है। चार हाथों में फल व फूल हैं। उनके चार हाथ धर्म, धन, काम और मोक्ष के प्रतीक हैं। 

वीर गणपति: लाल रंग के गणपति का यह योद्धा रूप है। इसमें उनके 10 हाथ दिखाए गए हैं, जिनमें गदा, चक्र, तलवार, अंकुश सहित कई अस्त्र-शस्त्र हैं। इनकी पूजा करने से साहस पैदा होता है। यह रूप किसी भी स्थिति में हार ना मानने का उत्साह जगाता है। 

शक्ति गणपति: चार हाथों वाले सिंदूरी गणपति का एक हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में, दूसरा अस्त्र-शस्त्र, तीसरा माला और चौथा शंख से सुसज्जित है। यह इंसान के अंदर मौजूद शक्ति पुंज को दर्शाता है। 

द्विज गणेश: चमकीले सफेद रंग, चार भुजाओं वाले इन गणपति के हाथाें में कमंडल, रुद्राक्ष, छड़ी और शास्त्र हैं। उनके चारों हाथों में वेद ज्ञान का प्रतीक हैं। 

सिद्धि दाता गणपति: इस रूप में वे पीले रंग के हैं। उनके चार हाथ बुदि्ध बुिद्ध व सफलता के प्रतीक हैं। यह रूप किसी काम में दक्षता व सिद्धि पाने का संदेश देता है। 

उच्छिष्ट गणपतिः ये नीले रंग वाले गणपति हैं। वे ऐश्वर्य और मोक्ष प्रदान करने वाले हैं। उनके एक हाथ में वाद्य यंत्र है। उनका यह रूप ऐश्वर्य, मोक्ष और संगीत के बीच संतुलन की आवश्यकता की ओर इशारा करता है। 

विघ्न गणपतिः स्वर्ण रंगवाले इन गणपति के 8 हाथ हैं। वे बाधाओं को दूर करनेवाले भगवान हैं। उनके हाथों में शंख व चक्र भी हैं। उनका यह सकारात्मक रूप नकारात्मक प्रभाव व विचारों से दूर रहने की सलाह देता है। 

क्षिप्र गणेशः रक्त वर्ण के क्षिप्र आसानी से प्रसन्न होते हैं। उनके एक हाथ में कल्प वृक्ष की शाखा व सूंड़ में रत्नोंभरा कलश है। यह रूप सुख-समृिद्ध से जुड़ी इच्छाओं को पूरा करने की प्रेरणा देता है। इस रूप में गणपति कहते हैं कि सकारात्मक कर्मों से कल्पवृक्ष के समान मनोकामनाएं पूरी करें और समृिद्ध लाने के प्रयास करें।

हेरम्ब गणेशः ये पंचमुखी मातंगमुख गणेश शेर पर सवार हैं। उनके 8 हाथ हैं, जिनमें फरसा, फंदा, मनका, माला, फल, छड़ी और मोदक हैं। सिर पर मुकट है। यह रूप आत्मनिर्भर बनने के लिए उत्साहित करता है। 

लक्ष्मी गणपतिः दस हाथोंवाले गणपति का यह बुद्धि व सिद्धि का सम्मिलित रूप है। यह रूप किसी काम में विशेषज्ञता हासिल करने का संदेश देता है। 

महागणपति: इनका रंग लाल, तीन नेत्र और 10 हाथ हैं। सृष्टि इनकी गोद में विराजमान हैं। इस रूप का मंदिर द्वारका में स्थित है, जिनकी कृष्ण ने पूजा की थी। वे भ्रम में ना पड़ने की सलाह देते हैं। 

विजय गणपति: पुणे के अष्टविनायक मंदिर में लाल रंगवाले मूषक पर सवार गणपति विराजमान हैं। इस रूप की पूजा करने का फल तुरंत मिलता है। इस रूप के पूजन से विजयी होने की भावना व संतुलन कायम रखने का उत्साह जागता है। 

नृत गणपति: पीत वर्ण गणपति कल्पवृक्ष के नीचे नृत्य करने की प्रसन्न मुद्रा में हैं। उनके 4 हाथ हैं। एक हाथ में परशुु (फरसा) है। तमिलनाडु के कोडुमुदी में अरुलमिगु मगुदेश्वर मंदिर में गणेश इसी रूप में विराजमान हैं। वे ललित कलाओं में रुचि व दक्षता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं।

उर्ध्व गणपति: सुनहरे रंग के 6 हाथोंवाले गणपति शक्ति का हाथ थामे हुए हैं। एक हाथ में टूटा दांत बाकी में कमल के फूल व प्राकृतिक खनिज हैं। इस मुद्रा में वे भक्त को अपनी स्थिति से ऊपर उठने के लिए प्रेरित करते हैं। 

एकाक्षर गणपति: चार भुजाएं, लाल रंग व सिर पर चंद्रमावाले गणेश की पूजा से मन और मस्तिष्क को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। कर्नाटक के हंपी में इनका मंदिर है। शुभारंभ करें, यह रूप संतोष के साथ काम शुरू करने को कहता है। 

वर गणेश: उनका लाल रंग, चार हाथोंवाला यह रूप वरदान देने वाला है। सूंड में रत्न कलश है। वे सफलता प्रदान करते हैं। कर्नाटक के बेलगाम के रेणुका येलम्मा मंदिर में उनका रूप स्थापित है। 

त्र्यक्षर गणपति: यह उनका ब्रह्मा, विष्णु, महेश का सम्मिलित रूप है। वे सृष्टि के निर्माता, पालनहार और संहारक भी हैं। कर्नाटक के नारसीपुरा में गणपति का यह मंदिर है, जिसका नाम तिरुमाकुदालु मंदिर है। इस रूप में उनकी पूजा आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है। खुद को अंतर्मन से जानें, पहचानें।

क्षिप्रप्रसाद गणपति: चार भुजाओं वाले ये गणेश जल्दी खुश होते हैं, गलती करने पर तेजी से सजा भी देते हैं। ये दूब से बने सिंहासन पर विराजमान हैं। मैसूर में इनके इस रूप का मंदिर है। यह रूप शांतिपूर्वक काम करने की प्रेरणा देता है।

हरिद्रा गणपतिः यह गणपति का हल्दी से बना रूप है। इस रूप में पूजा करने से इच्छाएं पूरी होती हैं। उज्जैन के मंदिर में गणेश का यह रूप स्थापित है। हल्दी से बने गणेश रखने से बिजनेस में लाभ मिलता है। वे निरोग रहने की प्रेरणा देते हैं। 

एकदंत गणपतिः इसमें गणपति काफी बड़े पेट में नजर आते हैं, वे रास्ते में आने वाली बाधाएं हटाते हैं। उनका पूजन इसी रूप में अधिक होता है। वे कमियों पर ध्यान देने, सुधारने के लिए प्रेरित करते हैं। 

सृष्टि गणपतिः लाल रंग, चार भुजाओं में वे प्रकृति की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। तमिलनाडु के कुंभकोणम में स्वामीनाथन मंदिर में उनका यह रूप विराजित है। गणपति सही-गलत और अच्छे-बुरे में फर्क करने की समझ पैदा करते हैं। 

उद्दंड गणपतिः अपने इस उग्र व न्याय की स्थापना करने वाले रूप में उनके 12 हाथ हैं। वे शक्ति के साथ विराजमान हैं। कर्नाटक के चमाराजनगर के नंजनगुड मंदिर में गणपति के 32 रूपों की प्रतिमा मौजूद है। यह रूप मोह छोड़ने व बंधनों से मुक्त होने की प्रेरणा देता है।

ऋणमोचन गणपतिः चमकीला श्वेत वर्णी यह रूप अपराधबोध और कर्ज से मुक्ति देता है। यह रूप भक्तों को मोक्ष प्रदान करता है। चार हाथ वाले ये गणपति श्वेत रंग के हैं। इनके एक हाथ में मीठा चावल है। तिरुवनंतपुरम में इस रूप का मंदिर है। इस रूप में गणपति परिवार, माता-पिता और गुरु के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभाने के लिए प्रेरित करते हैं। 

ढुण्ढिराज गणपतिः चार भुजाओं व रक्त वर्ण के गणपति के इस रूप में उनके हाथ में रुद्राक्ष की माला है। उनके एक हाथ में लाल रंग का रत्नों का पात्र है। वे आध्यात्मिक विचारों व स्वच्छ जीवन के लिए प्रेरित करते हैं।

द्विमुख गणपतिः इस रूप में उनके दायीं-बायीं ओर दो मुख हैं। वे दोनों मुखों की सूंड ऊपर उठाए हैं। शरीर हरे रंग का है, चार हाथ हैं। यह रूप बाहरी व आंतरिक रूप से दुनिया को समझने की प्रेरणा देता है। 

त्रिमुख गणपतिः इस रक्त वर्ण रूप में उनके तीन मुख, छह हाथ, दाएं-बाएं तरफ के मुखों की सूंड ऊपर उठी हुई व सामने के मुख की नीचे बायीं ओर घूमी हुई है। वे सोने के कमल पर विराजमान हैं। उनका एक हाथ रक्षा की मुद्रा में है, एक हाथ में अमृत कलश है। यह रूप भूत, भविष्य व वर्तमान को ध्यान में रख कर कर्म करने की प्रेरणा देता है। 

सिंह गणपतिः इस रूप में गणपति का मुख शेर के समान है, उनके आठ हाथ हैं। इनका एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में उठा है, दूसरा अभय मुद्रा में। यह रूप साहस व आत्मविश्वास बनाए रखने की सलाह देता है। 

योग गणपतिः लाल रंग, चार भुजाओंवाले गणपति योगी की भांति मंत्र का जाप कर रहे हैं। पैर यौगिक मुद्रा में हैं। उनकी पूजा स्वास्थ्य देती व मन खुश रखती है। वे इस रूप में हल्की लाली लिए हुए हैं। यह रूप अपने भीतर छुपी शक्तियों को पहचानने की प्रेरणा देता है। 

दुर्गा गणपतिः सोने के रंग, आठ हाथवाले गणपति का यह अंधेरे को जीतनेवाला अजेय रूप है। इस रूप में वे अदृश्य देवी दुर्गा के रूप में हैं। वे लाल वस्त्र धारण किए हुए हैं। यह रंग ऊर्जा का प्रतीक है, उनके हाथ में धनुष है। यह रूप विजय मार्ग की बाधाओं को हटाने के लिए प्रेरित करता है।

संकष्टहर गणेशः उनका लाल रंग, चार भुजाएं हैं। वे डर, दुख व संकट को दूर करते हैं। उनके साथ शक्ति विराजमान हैं। एक हाथ वरद मुद्रा में है। हर काम में संकट आएंगे, उन्हें हटाने की शक्ति इंसान में है।