बचपन में नजर कमजोर होने का कारण लेजी अाई सिंड्रोम हो सकता है। जरूरी जानकारी—
सृष्टि मात्र 3 साल की उम्र से चश्मा लगाती है। कुछ समय पहले उसने एक अांख में दर्द अौर धुंधला नजर अाने की शिकायत की थी। अाई स्पेशलिस्ट से चेक कराने पर पता चला कि उसे लेजी अाई सिंड्रोम है, यानी उसकी एक अांख की मांसपेशियों का विकास दूसरी अांख के मुकाबले कम है। अगर समय पर इस समस्या का इलाज ना किया गया, तो एक अांख की रोशनी हमेशा के लिए कम ही रह जाएगी। दरअसल, अगर एक अांख से कम या धुंधला दिखता है, तो मस्तिष्क स्वयं को इस तरह से ढाल लेता है कि वह उस अांख का इस्तेमाल कम से कम करने लगता है। यानी धुंधली होते-होते उस अांख की रोशनी कम होने लगती है।

लेजी अाई का एक अन्य कारण किसी एक अांख का अंदर या बाहर की अोर मुड़ा होना भी हो सकता है। इसकी वजह से अांखें किसी एक खास चीज पर फोकस नहीं कर पातीं अौर चीजें डबल नजर अाने लगती हैं। इस दिक्कत की वजह से हमारा मस्तिष्क चीजों पर फोकस करने के लिए उस अांख का इस्तेमाल करना छोड़ देता है, जिसके कारण उस अांख की रोशनी अौर कम होती जाती है।
कुछ बच्चों की अांखों में मोतियाबिंद, ब्लड क्लॉटिंग या कोई अौर रुकावट होने के कारण प्रकाश की किरणें परावर्तित नहीं हो पातीं, अौर देखने में दिक्कत अाती है।
ट्रीटमेंट क्या है
अाई स्पेशलिस्ट डॉ. किंशुक बिस्वास का कहना है, ‘‘एंब्ल्योपिया के इलाज के लिए डॉक्टर्स उस अांख का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। इसके कारण का पता लगा कर उसे ठीक किया जाता है अौर फिर गुड अाई यानी जिस अांख की रोशनी ठीक है, उसे कवर कर दिया जाता है, ताकि मस्तिष्क देखने के लिए ज्यादा से ज्यादा बैड अाई यानी जिस अांख की रोशनी कम है, उसका इस्तेमाल करे। धीरे-धीरे इसमें सुधार अाना शुरू हो जाता है।’’
‘‘अांख को कवर करने के लिए खासतौर से बनाया गया अाई पैच लगाया जाता है। इससे अांख ढकी रहती है। कुछ डॉक्टर्स इसके लिए चश्मा लगाने की भी सलाह देते हैं। एक बार ठीक होने के बाद बच्चों को दोबारा भी यह दिक्कत हो सकती है। इस स्थिति में गुड अाई में दवा डाल कर उसकी पुतली को फैला दिया जाता है, इस वजह से उस अांख से धुंधला दिखायी देने लगता है। खेलते, पढ़ते अौर टीवी देखते समय बच्चा ज्यादा से ज्यादा बैड अाई का इस्तेमाल करने लगता है।’’
जिन बच्चों की अांखों में मोतियाबिंद की वजह से धुंधला नजर अाता है, उनके लिए कई बार सर्जरी की जरूरत भी पड़ जाती है।
जरूरी है समय पर पहचान
लेजी अाई का जितनी जल्दी पता चल जाए, उसके ठीक होने की संभावनाएं उतनी ही बढ़ जाती हैं। गलती से भी अगर अाप बच्चे की एक अांख ढक लें अौर वह रोने लगे कि उसे साफ दिखायी नहीं दे रहा है, तो इस बात को गंभीरता से लें। टीवी देखते समय, खेलते समय इस चीज को बार-बार दोहराएं अौर नोट करें कि किस अांख को कवर किए जाने पर बच्चा साफ दिखायी ना देने की शिकायत कर रहा है। लेकिन सिर्फ सेल्फ टेस्ट को अाधार बना कर किसी निष्कर्ष पर ना पहुंचें। एक बार डॉक्टर से टेस्ट जरूर कराएं।