एक साल का छोटा सा बच्चा अगर मुंह में अंगूठा ले कर सो रहा हो, तो वह अापको क्यूट लगता है। लेकिन अगर यही हरकत 7-8 साल का बच्चा करता है, तो माता-पिता के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। अंगूठा चूसनेवाले बच्चों का उनके दोस्त मजाक बनाते हैं, जिसकी वजह से उनमें हीन भावना भी अाने लगती है। फिर वे दूसरों से छिप-छिप कर अंगूठा चूसने लगते हैं। लेकिन चाहते हुए भी यह अादत नहीं छोड़ पाते। एक्सपर्ट्स का कहना है, ‘‘अंगूठा चूसने से शरीर में एंडोर्फिन हारमोन का स्राव होता है। यह हारमोन एक्सरसाइज के दौरान रिलीज होता है। यों भी सालों तक जो अादत पड़ जाती है, उसे अासानी से छोड़ना मुश्किल है। जन्म के कुछ समय बाद बच्चे सोने के लिए अंगूठा मुंह में डालते हैं। पीडियाट्रीशियंस का कहना है, ‘‘अंगूठा चूसना बच्चों के लिए बेहद सामान्य बात है। ऐसा करने से उन्हें अाराम मिलता है। खुद को शांत करने का यह उनका एक तरीका है। जन्म के शुरुअाती दिनों में यह ना सिर्फ एक सामान्य बात है, बल्कि इससे शिशु को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता।’’
लंबे समय तक अंगूठा चूसते रहने से बच्चे के दंात बाहर की अोर निकल अाते हैं, उसमें स्पीच संबंधी समस्याएं जन्म लेने लगती हैं। कुछ बच्चे जैसे-जैसे चलना, बोलना, अपने अाप खाना-पीना शुरू कर देते हैं, अंगूठा चूसने की अादत छूटती जाती है। जो बच्चे यह अादत खुद नहीं छोड़ पाते, उनके पेरेंट्स के लिए यह जरूरी है कि वे कोशिश करके यह अादत छुड़वाएं। जितनी जल्दी यह अादत छुड़वा लेंगे, बच्चे के लिए यह उतना ही अच्छा होगा। कई रिसर्च में यह साबित हुअा है कि 2-4 साल की उम्र से ही बच्चों के दांतों की बनावट पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। अंगूठा चूसने से बच्चे के ऊपरी जबड़े के दोनों तरफ अौर सॉफ्ट टिशूज पर दबाव पड़ता है। इस वजह से मुंह बंद करने पर ऊपर-नीचे के दांत अापस में पूरी तरह नहीं मिल पाते। फिर दांतों में ब्रेसेज लगवाने की नौबत अा जाती है। दूसरी समस्या बच्चों के तुतलाने से जुड़ी है। कई बार थेरैपी के बावजूद भी कुछ शब्दों को साफ बोलने में बच्चों का परेशानी होने लगती है, जैसे कि स अौर थ।
अंगूठा चूसने के कारण जिन बच्चों के दांत अापस में नहीं मिलते, उनके जबड़े के ऊपरी तरफ ‘थंब होल’ यानी गड्ढा पड़ जाता है। इस स्थिति में पीछे के दांतों पर खाना चबाने के दौरान ज्यादा प्रेशर पड़ता है अौर उम्र बढ़ने के साथ दांतों का संतुलन अौर जबड़े की शेप बिगड़ जाती है।
अपने बच्चे की यह अादत छुड़वाने के लिए अाप ये टिप्स अाजमा सकती हैं-
⇛ वैसे तो बहुत छोटी उम्र से ही जब बच्चा अंगूठा मुंह में डालने लगे, तभी उसका हाथ मुंह से बाहर निकाल देना चाहिए। इससे शिशु को यह अादत नहीं पड़ती। अगर बच्चे की उम्र ज्यादा हो, तो उसे अंगूठा चूसने के कारण होनेवाले नुकसानों के बारे में बताएं। इस दौरान अाप उसे कह सकती हैं कि एेसा करने से पेट में जर्म्स चले जाएंगे अौर उसके पेट में दर्द होने लगेगा, उसके दांतों की शेप खराब हो जाएगी, दूसरे बच्चे उसकी शेम-शेम करेंगे। इन बातों का अगर उस पर जरा भी प्रभाव पड़ेगा, तो इसका मतलब है कि अापका अाधा काम हो गया।
⇛ बच्चों पर सुनी हुई बातों से ज्यादा देखी हुई बातों का असर पड़ता है। किसी पिक्चर स्टोरी के द्वारा, वीडियो दिखा कर अाप बच्चों को अंगूठा चूसने से होनेवाले नुकसान के बारे में बता सकते हैं।
⇛ इस बात पर गौर करें कि बच्चे किस समय सबसे ज्यादा अंगूठा चूसते हैं। टीवी देखते समय, सोते समय बच्चों का हाथ मुंह में चला जाता है। इस समय अगर अंगूठा मुंह में जाए, तो टीवी 5-10 मिनट के लिए बंद कर दें। सोते समय हाथ में दस्ताने पहना दें।
⇛ बच्चा जब अापकी बात मान ले, तो उसकी खूब तारीफ करें। कमरे में एक चार्ट चिपका दें अौर उस पर पुरस्कार के तौर पर एक स्टिकर चिपका दें। वह अपने स्टिकर देख कर खुश होगा।
⇛ घड़ी में लगभग एक घंटे का अलार्म सेट करें अौर अगर वह पूरे एक घंटे तक अंगूठा ना चूसे, तो उसे कोई चॉकलेट दें, उसके लिए क्लैपिंग करें। इन चीजों से बच्चों को प्रोत्साहन मिलेगा।
⇛ कोई अादत छुड़वाने के लिए बच्चे को टोकने या डांटने से वह उस अादत के प्रति अौर सजग हो जाएगा। यानी अभी तक वह जो अनजाने में कर रहा था, अब अापका ध्यान अाकर्षित करने के लिए करेगा। इसलिए उसे रोकने के बजाय बच्चे का ध्यान दूसरी तरफ लगाने की कोशिश करें।