Thursday 08 October 2020 03:40 PM IST : By Gopal Sinha

बदलते मौसम में बच्चों को मीजल्स के खतरे से कैसे बचाएं

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खसरा यानी मीजल्स एक बेहद संक्रामक वायरल रोग है, जो बहुत से बच्चों को प्रभावित करता है। यह छोटे बच्चों में मृत्यु अौर अपंगता के मुख्य कारणों में से एक है। डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत खसरे के मामलों की दृष्टि से चौथे स्थान पर है। जुलाई, 2018 और जून, 2019 के बीच खसरे के रजिस्टर्ड मामलों की बात करें, तो भारत 194 देशों में से चौथे स्थान पर रहा।

कौन खसरे के लिए संवेदनशील हैः एक साल से कम उम्र के बच्चों में खसरा होने का खतरा ज्यादा होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में इस एज ग्रुप में प्रति मिलियन की आबादी पर 74.4 मामले दर्ज किए जाते हैं, जो सबसे अधिक हैं। हालांकि भारत में मीजल्स के वैक्सीनेशन का कवरेज बढ़ा है, लेकिन यह 2020 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 95 प्रतिशत कवरेज प्राप्त करने के लक्ष्य से बहुत दूर है। मुंबई के 2 बाल रोग विशेषज्ञों ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है।

शुरुअाती लक्षणः मीजल्स के लक्षण वायरस के संक्रमण के बाद लगभग 10 से 15 दिनों में दिखायी देते हैं। ऐसे कुछ लक्षण हैं सूखी खांसी, आंखों में सूजन, नाक बहना, बुखार, गले में सूजन, त्वचा पर रैशेज आदि।

मीजल्स के कारणः खसरा रूबेला वायरस के संक्रमण से होता है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की नाक और गले के म्यूकस में रहता है। रैशेज शुरू होने से पहले 4 दिनों तक और इसके बाद 4-5 दिन बाद तक संक्रमण फैलने की आशंका होती है। यह वायरस एक ऑब्जेक्ट में 2 घंटे तक सक्रिय रहता है।

कैसे फैलता है

- संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क होने पर।

- संक्रमित व्यक्ति के आसपास रहने से, जब वह खांस या छींक रहा हो।

- उस चीज को छूने से, जो संक्रमित व्यक्ति के म्यूकस से संक्रमित हो और इन उंगलियों से अपना मुंह, नाक, आंख रगड़ना।

मीजल्स के जोखिम के कारण

- वैक्सीनेशन ना होना। अगर खसरे का टीका नहीं लगाया गया हो, तो व्यक्ति को खसरा होने की आशंका अधिक होती है।

- अगर आप ऐसी जगहों पर जाते हैं, जहां खसरा अधिक पाया जाता है, तो आपमें बीमारी की आशंका बढ़ जाती है।

- विटामिन ए की कमी। अगर आपके आहार में विटामिन ए की कमी है, तो आपमें इसके लक्षण ज्यादा गंभीर हो सकते हैं।

खसरे की रोकथाम

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- मरीज को अलग रखें। रैशेज शुरू होने के 4 दिन पहले से 4-5 दिन बाद तक वह बेहद संक्रामक रहता है, इसलिए खसरे से पीड़ित व्यक्ति को इस समय सबसे अलग रहना चाहिए।

- वैक्सीनेशन द्वारा खसरे के बहुत से मामलों को रोका जा सकता है। एक बार खसरा हो जाने पर दोबारा होने की आशंका नहीं होती है।