Wednesday 21 October 2020 04:41 PM IST : By Neelam Sikand

जानें बच्चों के दूध के दांतों की देखभाल क्यों जरूरी है

दूध के दांतों का संबंध ना केवल बच्चे की सेहत अौर ग्रोथ से है, बल्कि ये परमानेंट दांतों के सीध में निकलने का कारण भी बनते हैं। इसलिए इनकी सही देखभाल जरूरी है।

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ज्यादातर पेरेंट्स बच्चों के दूध के दांतों की केअर नहीं करते। उन्हें लगता है कि दूध के दांत तो गिर ही जाने हैं, ये खराब भी हो जाएं, तो क्या फर्क पड़ता है। नोएडा के जेपी हॉस्पिटल में डेंटल डिपार्टमेंट के डाइरेक्टर डॉ. प्रवीण कुमार बताते हैं कि पेरेंट्स की एेसी सोच गलत है। दूध के दांतों का संबंध बच्चे की सेहत अौर उसकी ग्रोथ से होता है। ये दांत उसकी चबाने, बोलने अौर मुस्कराने में मदद करते हैं। यही दांत जबड़ों के अंदर परमानेंट दांतों के लिए जगह बना कर रखते हैं, जो मसूढ़ों के अंदर पनप रहे होते हैं। बच्चे के दूध के दांत समय से पहले गिर जाएं, तो पहले निकलनेवाले परमानेंट दांत उस जगह को घेरने लगते हैं अौर अन्य दांतों के निकलने में दिक्कत पैदा करते हैं। इससे दांत टेढ़े-मेढ़े, अागे-पीछे या जहां जगह मिलती है, निकल अाते हैं।

बच्चे के जन्म के समय ही उसके मुंह में 20 प्राइमरी यानी दूध के दांत होते हैं, जो बच्चे के लगभग 6 महीने का होने पर निकलने लगते हैं। सबसे पहले उसके सामने के ऊपर व नीचे के 4 दांत निकलते हैं। लेकिन कुछ बच्चों के दांत 12 या 14 महीने के होने पर भी नहीं निकलते। ज्यादातर बच्चों के 3 साल का होने पर उसके सभी 20 दूध के दांत निकल अाते हैं।

बच्चे का जैसे ही पहला दूध का दांत निकले, तुरंत डेंटिस्ट से चेकअप कराएं। यह उसकी दांतों के सेहत के लिए अच्छा है। बच्चे के दांत ब्रश करने के लिए सारे दूध के दांतों के निकल अाने का इंतजार ना करें। जैसे ही दांत अाने शुरू हों, उसके दांत साफ करने शुरू कर दें। ध्यान रखें कि दांत निकलने के साथ ही उनमें सड़न होने व कीड़ा लगने की समस्या हो सकती है।

दांत खराब होने के कारण

दूध के दांत कई कारणों से खराब हो सकते हैं। इनमें मुख्य रूप से बोतल से बच्चे को दूध पिलाना अौर उसमें अंगूठा या पैसिफायर चूसने की अादत होना है। इसकी वजह से दांत टेढ़े-मेढ़े निकलते हैं।

बोतल से दूध पिलानाः बोतल से दूध पिलाने पर दूध के दांतों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है, खासतौर से तब जब रात को सोते समय बच्चे के मुंह में दूध की बोतल लगा कर छोड़ देते हैं। इससे छोटे बच्चों में बेबी बॉटल टुथ डिके या कैविटी होने का खतरा रहता है। इसमें ज्यादातर बच्चे के ऊपर के सामने के दांत काले हो जाते हैं अौर इसका अासपास के दांतों पर भी असर पड़ सकता है।

दूध के दांतों में कीड़ा लगने का सबसे सामान्य कारण बच्चे को बोतल से मीठे ड्रिंक्स बार-बार पीने के लिए देना है। मुंह में दूध या मीठी चीजों में चीनी के अंश रह जाने से दांतों में कीड़ा लगता है।

जो बच्चे मुंह खोल कर सोते हैं, उनके दांतों में भी कैविटी बनने का खतरा रहता है। मुंह खोल कर सोने से वह सूखने लगता है अौर उसमें बैक्टीिरया पनपने लगते हैं, जो कैविटी बनने का कारण बनता है।

अोरल हाइजीनः बच्चे के जन्म के कुछ दिन बाद से उसकी अोरल हाइजीन का खासतौर से ध्यान रखें। हर फीड के बाद बच्चे के मसूढ़े साफ, हल्के गीले गाज पैड या धुले मुलायम कपड़े से पोंछ कर साफ करें।

- मां के दूध में भी फॉर्मूला दूध की तरह ही शुगर होती है। दूध पिलाने से पहले मां को खुद भी पानी पीना चाहिए। इससे उसका मुंह हाइड्रेटेड रहेगा अौर उसे मसूढ़ों की बीमारियों का खतरा कम होगा।

- बच्चे के दांत अाने की शुरुअात से ले कर उसके 3 साल का होने तक इन्हें बेबी ब्रश पर चावल के दाने जितना टूथपेस्ट लगा कर साफ करें।

- 3 से 6 साल की उम्र तक मटर के दाने जितना टूथपेस्ट लगा कर साफ करें। जब तक बच्चा खुद ब्रश करना ना सीख जाए, तब तक अाप ब्रश कराएं। ब्रश कराते समय देखें कि वह टूथपेस्ट को निगलने ना पाए। छोटे बच्चे को थोड़ी मात्रा में फ्लोराइड मिलना जरूरी है। बच्चों के टूथपेस्ट में लुब्रिकेंट अाैर फ्लोराइड होता है, जो मुंह की समस्याअों को रोकने में मदद करता है।

- बोतल में दूध या ब्रेस्ट मिल्क ही डाल कर पिलाएं। उसमें जूस या सॉफ्ट ड्रिंक जैसी मीठी चीजें डाल कर पीने के लिए ना दें।

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- सोते समय बच्चे के मुंह पर दूध की बोतल ना लगाएं। कोशिश करें कि सोने से पहले वह दूध पी लें। सोते समय बच्चे की बोतल में सादा पानी डाल कर पीने के लिए दे सकते हैं।

- बच्चा पैसिफायर (चूसनी) का इस्तेमाल करता है, तो उसे साफ करके इस्तेमाल करने के लिए दें। चीनी या शहद में डिप करके ना दें।

- बच्चा जब एक साल का हो जाए, तो उसे कप से दूध पिलाना शुरू करें।

ब्रेस्टफीडिंग अौर दांतों की सेहतः जो बच्चे जन्म से ले कर 6 महीने बाद तक ब्रेस्टफीड लेते हैं, उनके दांतों के टेढ़े-मेढ़े या अागे-पीछे, ऊपर-नीचे बेतरतीब ढंग से निकलने का खतरा कम होता है। वे एक सीध में निकलते हैं। इसका मतलब यह भी नहीं है कि अागे चल कर दांतों को एक सीध में लाने के लिए उन्हें ब्रेसेज लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। दांतों के एक सीध में निकलने का संबंध जींस से भी है।

अंगूठा चूसना व पैसिफायर्सः बच्चे का अंगूठा, उंगली या पैसिफायर चूसना सहज क्रिया है। इससे बच्चा अपने को सुरक्षित महसूस करता है। बच्चा कैसे अंगूठा, उंगली या पैसिफायर चूसता है, इससे दांतों में समस्या होने या ना होने के बारे में पता चलता है। बच्चा अंगूठा मुंह के अंदर रख लेता है, पर उसे चूसता नहीं है, तो इसे ले कर परेशान होने की जरूरत नहीं है। लेकिन जो बच्चे अंगूठा बहुत अाक्रामक तरीके से चूसते हैं, उनके ऊपर के सामने के दांत बाहर निकल अाते हैं अौर नीचे के दांत अंदर चले जाते हैं।

बच्चे सामान्य तौर पर 2 से 4 साल की उम्र होने पर अंगूठा चूसना छोड़ देते हैं या फिर तब छोड़ते हैं, जब परमानेंट दांत अाने की तैयारी में होते हैं। बच्चे के दूध के दांतों में बदलाव नजर अाए या अंगूठा चूसने की अादत छुड़ाना चाहते हों, तो उसे तुरंत डेंटिस्ट के पास जाएं।

अंगूठा चूसना कैसे छुड़ाएंः इस अादत के बुरे असर के बारे में डॉक्टर बच्चों को बता सकते हैं।

- छोटे बच्चे को अाप स्वयं अंगूठा चूसना छोड़ने के लिए प्रोत्सािहत करें। अंगूठा ना चूसने पर उसकी सराहना करें।

- बच्चे पर अापकी या डॉक्टर की बातों का कोई असर ना पड़े, तो उसके अंगूठे पर बैंडेज बांध दें, जिससे उसे बार-बार महसूस हो कि अंगूठा नहीं चूसना है।

- रात को सोते समय हाथ पर सॉक्स या मिटन पहना दें।

- डॉक्टर बच्चे के हाथ या अंगूठे पर कोई कड़वी दवा लगाने की सलाह भी दे सकते हैं।