Tuesday 15 June 2021 01:18 PM IST : By Team Vanita

प्री स्कूल के बच्चों को भी होती है टेंशन

kids-tension

माता-पिता के जीवन में बच्चा बहुत महत्व रखता है। एक मां अपने बच्चे के सभी हितों को ध्यान में रखते हुए उसे स्कूल भेजती है। हालांकि प्री स्कूल और किंडरगार्टन वह सबसे पहली अच्छी जगह है, जहां बच्चा वास्तविक दुनिया के संपर्क में आता है। प्री स्कूल जाना एक बच्चे के जीवन का बड़ा बदलाव है। इस दौरान बच्चे पर ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि इस समय जहां एक ओर बच्चे डरे-सहमे हुए होते हैं, वहीं अपने आपको ले कर थोड़े चिंतित से रहते हैं। आजकल न्यूक्लियर फैमिली और परिवार में अकेले बच्चे का चलन बढ़ रहा है, ऐसे में परिवार का पूरा ध्यान उसी एक बच्चे की देखभाल पर केंद्रित रहता है। बच्चा जो कुछ भी चाहे, हम उसे आसानी से उपलब्ध कराते हैं। लेकिन स्कूल शुरू हाेते ही उसके जीवन में कुछ नियम और अनुशासन लागू होते हैं। प्री स्कूल से जब बच्चे बड़े स्कूल पहुंचते हैं, उन्हें खुद वास्तविक दुनिया का सामना करना पड़ता है। हालांकि जरूरी नहीं कि इस दौरान हर बच्चे को तनाव हो। बात बच्चे के अपने व्यक्तित्व और उसे मिलनेवाले एक्सपोजर पर निर्भर करती है। इस दौरान बच्चों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे-

माता-पिता से दूर जाने की चिंताः बच्चे को डर लगता है कि मां उसे यहां छोड़ कर चली जाएगी और वापस नहीं लौटेगी। इसलिए उन्हें स्कूल जाने से डर लगता है और वे चिंतित हो जाते हैं। कई बार बच्चों में उल्टी, मतली, पेट दर्द जैसे लक्षण दिखायी देने लगते हैं, क्योंकि वे स्कूल जाने से बचना चाहते हैं। 

व्यक्तिगत मुद्देः कई बार बच्चों को दूसरे लोगों के साथ एडजस्ट करने में मुश्किल होती है, क्योंकि वे शर्मीले होते हैं। अकसर दूसरे बच्चे ऐसे बच्चों को चिढ़ाते हैं और परेशान करते हैं। 

टीचर की डांट का डरः कुछ बच्चे टीचर से डरते हैं, क्योंकि कई बार टीचर थोड़े सख्त होते हैं। इसलिए बच्चों को लगता है कि वे उन्हें डांटेंगे।बच्चों में चिंता और तनाव के लक्षण अकसर शारीरिक और व्यावहारिक बदलाव के रूप में दिखायी देते हैं। बच्चों की प्रतिक्रिया उनकी उम्र, उनके व्यवहार, कौशल आदि के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। कई बार माता-पिता बच्चों के इस व्यवहार को समझ नहीं पाते और इसकी अनदेखी करते हैं। माता-पिता के लिए जरूरी है कि बच्चों के तनाव के लक्षणों को समझें और इसके कारण जानने की कोशिश करें। 

बच्चों में तनाव व चिंता के लक्षणः एकाग्रता में कमी, व्यवहार में बदलाव जैसे उग्र होना, गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन, डर, ऐसी आदतें जिनसे बच्चे में चिंता दिखायी देगी जैसे दांत से नाखून काटना, परिवार व दोस्तों से अलग रहना, स्कूल जाने से इनकार करना, स्कूल में परेशान होना, बेकार की चीजें इकट्ठा करना, भूख में कमी या भूख बढ़ना, पेट दर्द या सिर दर्द की शिकायत, बिस्तर गीला करना, नींद में समस्या बुरे सपने आना, अन्य शारीरिक समस्याएं। यह समझने की कोशिश करें ये लक्षण कुछ विशेष गतिविधियों से पहले या बाद में दिखायी देते हैं और क्या ये शारीरिक लक्षण हैं जैसे दर्द, बुखार, रैश, डायरिया आदि।

बच्चे की मदद कैसे करेंः अपने बच्चे को शांत, सुरक्षित अहसास देने की कोशिश करें। बच्चे के लिए रुटीन बनाएं। डिनर एक साथ बैठ कर करें, उनके साथ गेम्स खेलें। ध्यान रखें कि बच्चा किस तरह के टेलीविजन शो, वीडियो गेम या किताबों में व्यस्त है। अगर बच्चे के जीवन में कोई बदलाव आनेवाला है, तो उसे इसके लिए तैयार करें, जैसे आप नए शहर में नौकरी करने जा रहे हैं, तो उसे नए स्कूल, नए दोस्तों आदि के बारे में पहले से बताएं। बच्चों को सामाजिक गतिविधियों व खेल आदि में व्यस्त रखें। 

पेरेंट्स क्या करें

- पेरेंट्स खुद भी अच्छी आदतें अपनाएं जैसे व्यायाम और तनाव को दूर करने के तरीके। बच्चे अकसर पेरेंट्स के व्यवहार की ही नकल करते हैं।

- बच्चे को स्नेह और प्रोत्साहन दें।

- सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं, जीवन में अनुशासन को अपनाएं और आत्मविश्वास को बढ़ाने की कोशिश करें।

- अपने बच्चे की बात सुनें। उसे इस तरह से मार्गदर्शन दें कि उनकी समस्या बिना किसी परेशानी के हल हो सके।

- बच्चे के व्यवहार में होनेवाले किसी भी बदलाव पर नजर रखें।

- इसके बावजूद बच्चे में तनाव के लक्षण दिखायी दें या बच्चा नाखुश, अवसादग्रस्त लगे, तो डॉक्टर, काउंसलर की मदद लें।