Thursday 24 September 2020 09:45 PM IST : By Meena Pandey

क्या कोई अापका भी पीछा करता है

क्या अाप जानती हैं कि किसी भी महिला का यदि कोई लड़का या अादमी पीछा करता है, फोन, मैसेज या ब्लैंक कॉल्स करता है, रास्ता रोकता है, तो वह स्टॉकिंग का दोषी है। उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी अौर सजा भी मिलेगी।

stalking-1


लड़कियों या महिलाअों का पीछा सिर्फ सड़क छाप अावारा शोहदे या मजनूं टाइप लोग ही नहीं करते हैं, बल्कि यह कोई भी हो सकता है, मसलन पूर्व प्रेमी, मंगेतर, कलीग या पार्टनर। दरअसल ऐसे लोग मानसिक रूप से डिस्टर्ब होते हैं। वे मेजर डिप्रेशन या कंपल्सिव पर्सनेलिटी डिस्अॉर्डर जैसी किसी ना किसी समस्या के शिकार होते हैं। ईर्ष्या से भरे ऐसे अराजक तत्व जिस महिला या पुरुष के पीछे पड़ते हैं, उस पर अटैक तक कर बैठते हैं। जिसका लगातार पीछा करते हैं, उस पर अपना पूरा नियंत्रण चाहते हैं। ये टूटे परिवारों से होते हैं अौर तलाकशुदा या बेरोजगार भी हो सकते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2013 में मुंबई के बांद्रा टर्मिनल पर 23 वर्षीय नर्स पर एसिड अटैक है, जिसमें उसकी मौत हो गयी। हमलावर एक 45 वर्ष का अधेड़ था। उसने नर्स से शादी का प्रस्ताव रखा था। नर्स ने उसका यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था, जिसने हमलावर को गुस्से से पागल कर दिया अौर उसने उसकी जान ले ली।
2016 में दिल्ली, बुराड़ी में 21 साल की लड़की पर 28 बार छूरे से वार करके हत्या कर दी गयी थी। हमलावर उसकी पहचान का था अौर लड़की ने उसके खिलाफ शिकायत भी दर्ज करायी थी, पर दोनों में समझौता हो गया था। 2014 में 4699 स्टॉकिंग के मामले दर्ज हुए, जबकि 2015 में 6266 एफअाईअार दर्ज हुईं यानी ऐसे मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।
एकतरफा प्यार करने वाले भी करते हैं पीछा
अाप भले इस बात से अनभिज्ञ हों, पर ऐसे लोग अासपास ही होते हैं, ये परिचित-अपरिचित कोई भी हो सकते हैं। जब किसी लड़की का इस तरह कोई पीछा करता है, तो वह खुद को बहुत असुरक्षित महसूस करती है। रिजेक्ट किए जाने पर अकसर वह व्यक्ति लड़की के पीछे ही पड़ जाता है। अकसर एकतरफा प्यार करनेवाले अाशिक भी ऐसी हरकतों पर उतर अाते हैं। ये ना सिर्फ चलते-फिरते पीछा करते हैं, बल्कि सोशल साइट पर भी उस लड़की का पीछा करने से बाज नहीं अाते। ये उन पर हमेशा नजर रखते हैं अौर उनको देर रात ब्लैंक कॉल देने के अलावा बार-बार फोन करके ‘देख लेने’ की धमकियां भी देते हैं।
असुरक्षा व डर का माहौल
इससे लड़की के अंदर असुरक्षा व डर इतना बढ़ जाता है कि वह डिप्रेशन में चली जाती है। कई बार इस डर से कि कहीं यह बात घर पर बताने से उसकी पढ़ाई ना छुड़ा दी जाए या लोग उसे ही गलत कहेंगे सोच कर चुप रह जाती है। एक्शन एड द्वारा कराए गए एक सर्वे के नतीजे चौंकानेवाले थे। उस सर्वे के अनुसार, भारत में हर 5 में से 4 लड़कियों को बस स्टॉप, सड़क, रेलवे स्टेशन, बस-टैक्सी, कॉलेज अौर बाजार जैसे चहलपहलवाले स्थानों पर सबसे ज्यादा उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। बड़े शहर हों, छोटे कस्बे हों या गांव हर जगह लड़कियां इस समस्या से त्रस्त हैं। अगर वे पुलिस में शिकायत करना भी चाहती हैं, तो घरवाले रोकते हैं, वे विवाद में नहीं पड़ना चाहते, पर यह सब बहुत महंगा साबित होता है। अराजक लड़कों के हौसले इससे बुलंद होते हैं। कई बार वे लड़कियों को इतना परेशान कर देते हैं कि वे तंग अा कर अात्महत्या तक कर लेती हैं या वे ही उनकी हत्या कर डालते हैं।

stalking-2


छोटा अपराध नहीं
किसी जमाने में पीछा करने को छेड़छाड़ तक सीमित रखा गया था, पर अब यह एक अपराध है, जिसके लिए कठोर दंड की व्यवस्था है। क्रिमिनल लॉ एक्ट 2013 की धारा 354 डी के तहत किसी का पीछा करना कानूनन अपराध है। इसमें 3 साल का कारावास हो सकता है। दिल्ली में 2014 में ऐसे 541 मामले थे, जो 2015 में बढ़ कर 1124 तक पहुंच गए यानी कानून बनने के बाद भी ऐसे अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं।अगर लड़की की बात घर में नहीं सुनी जा रही है, तो लड़की को इसकी शिकायत पुलिस स्टेशन में दर्ज करानी चाहिए। अगर संकट गहरा लगे, तो तुरंत 100 नंबर पर फोन करके सूचित करें अौर पुलिस बुला लें। साथ ही वुमन हेल्प लाइन नंबर 191 पर कॉल करके जानकारी जरूर दें। पुलिस पीछा करनेवाले को गिरफ्तार करके जेल में डाल कर पूछताछ कर सकती है। उस पर मामला दर्ज कर सकती है। दरअसल किसी का पीछा करना एक मानसिक उत्पीड़न है। कई बार दूरदराज से अपना कैरिअर बनाने अायी लड़कियां तंग हो अपना बनता कैरिअर छोड़ कर वापस घर लौट जाती हैं।
नेशनल रेकॉर्ड ब्यूरो के एक अांकड़ों से पता चलता है कि स्टाकिंग के दर्ज हुए मामलों में से 91 प्रतिशत की सुनवाई नहीं हुई है अौर 84 प्रतिशत मामले 2015 में 1 वर्ष से लंबित पाए गए। लेकिन कानून तटस्थ है, स्त्री-पुरुष में भेद नहीं करता, इसलिए यदि कोई स्त्री पुरुष का उत्पीड़न करती है, तो उस पर भी चार्जशीट फाइल हो सकती है। नेशनल क्राइम ब्यूरो के अनुसार, 2015 में 78 महिलाअों पर स्टॉकिंग के मामले दर्ज हुए। स्त्री हो या पुरुष खुद को निर्दोष साबित करना अभियुक्त की जिम्मेदारी है।
झूठे मुकदमे भी
तीस हजारी कोर्ट में सीनियर एडवोकेट रेखा रुस्तगी का मानना है कि यह एक्ट जल्दबाजी में बना है, इसलिए इस कानून का दुरुपयोग भी हो रहा है। जमीन के झगड़े पुरुषों के बीच होते हैं। यहां वे अपने घर की महिलाअों को इस झूठे अारोप के साथ अदालत में पेश कर देते हैं कि दूसरे पक्ष के पुरुषों ने उनके साथ छेड़छाड़ की। वहीं कोई महिला सिर्फ बदला लेने के लिए भी पुरुष पर बदसलूकी के अारोप लगा देती है। इसी वजह से महिलाअों को शक की नजर से देखा जाने लगा है। जरूरी है कि कानून-व्यवस्था लागू करनेवाले अौर मामले की तहकीकात करनेवाले अपनी ड्यूटी की गंभीरता को समझते हुए निभाएं। शिकायत दर्ज होने पर जांच करें कि पीछा हो भी रहा है या नहीं। कहीं कोई दूसरा विवाद तो नहीं है। दर्ज शिकायत का फॉलोअप होना भी जरूरी है। मात्र पीछा करनेवाले को सजा देने का कानून बना देने से अपराध रुकनेवाला नहीं है। पूरे लॉजिक के साथ इस तरह के कानूनों को लागू किया जाए, महज खानापूर्ति के लिए नहीं।