Friday 16 October 2020 04:26 PM IST : By Meena Pandey

क्यों बन जाती हैं ब्रेस्ट में दूध की गांठें

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ब्रेस्टफीड कराते समय 10 में से एक या दो महिलाअों को मेस्टाइटिस यानी ब्रेस्ट में सूजन व गांठों की समस्या का सामना करना पड़ता है। क्यों ऐसा होता है?
अकसर महिलाअों को ब्रेस्ट में दूध की गांठें बनने की परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिससे ब्रेस्ट फीडिंग कराते समय उसे बेहद तकलीफ होती है। इसे मेस्टाइटिस कहा जाता है।
- दिल्ली की सीनियर अाईवीएफ स्पेशलिस्ट एवं गाइनीकोलॉजिस्ट अर्चना धवन कहती हैं कि अामतौर पर मेस्टाइटिस गंभीर नहीं होता। बच्चे के जन्म होने के बाद जितनी जल्दी हो सके, मां को ब्रेस्ट फीडिंग शुरू कर देनी चाहिए। ब्रेस्ट का लगातार खाली होते रहना जरूरी है, वरना दूध ब्रेस्ट में जमने लगता है।  
- अकसर कहा जाता है कि बच्चे का सिर मांं की छाती में लगने से दूध जम जाता है। लेकिन दूध जमने की वजह बच्चे का सिर लगना नहीं, ब्रेस्ट में दूध का इकट्ठा हो कर नलिकाअों में रुकावट पैदा हो जाना है। इसे ब्लॉक्ड डक्ट कहा जाता है। दूध की गांठें बन जाने से ब्रेस्ट सख्त हो जाती है। तब दर्दभरा कड़ापन महसूस होता है, दर्द के साथ सूजन हो जाती है, ब्रेस्ट पर लाली नजर अाना, वहां गरम महसूस होना अादि मेस्टाइटिस के लक्षण हैं।
- गांठवाला हिस्सा पत्ती की शेप में महसूस होता है, क्योंकि इससे अासपास की छोटी नलिकाअों में भी सूजन अा जाती है अौर दर्द शुरू हो जाता है।
- ऐसा होने पर 101 डिग्री बुखार, थकान, बदन दर्द, सिर दर्द व कंपकंपी महसूस होती है। डॉ. अर्चना धवन के अनुसार, ब्रेस्ट फीड करानेवाली 10 में से एक या दो महिलाअों को मेस्टाइटिस हो जाता है।
- कई बार जिस तेजी से दूध बनता है, निकल नहीं पाता है। उस दुखती ब्रेस्ट से दूध पिलाना मां के लिए बहुत ही मुश्किल होता है। इसकी वजह शिशु का ठीक से दूध ‘सक’ नहीं कर पाना होता है, क्योंकि वह निपल ठीक से मुंह में ले नहीं पाता है। ऐसी स्थिति में अकसर मांएं ऊपर का दूध पिलाने लगती हैं। तब भी ब्रेस्ट खाली ना होने पर दूध जम जाता है।
- अकसर मां का निपल ना बनने या अंदर की अोर मुड़ा होने की वजह से भी बच्चा दूध नहीं पी पाता है। तब निपल शील्ड ब्रेस्ट में लगा कर बच्चे को अाराम से ब्रेस्ट फीडिंग करायी जा सकती है। हर बार फीड कराते समय ब्रेस्ट की हल्के हाथों से मालिश करते हुए निपल बाहर की अोर निकालने पर भी शेप में अा जाता है। जिस ब्रेस्ट से बच्चा कम दूध पीता है, उसमें यह समस्या हो सकती है। यह समस्या पहले 3 महीनों में ज्यादा होती है।
जरूरी उपाय
- भले मेस्टाइटिस की वजह से ब्रेस्ट में दर्द हो, उस ब्रेस्ट से मां फीड कराती रहे। दर्द ज्यादा होगा, पर ना पिलाने पर मेस्टाइटिस बिगड़ सकता है यानी ब्रेस्ट सख्त पड़ जाएगा।
- बुखार अाने पर डॉक्टर को दिखा लें। अगर मेस्टाइटिस के साथ इन्फेक्शन हो गया होगा, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक दे सकते हैं। वे ऐसी दवाएं देंगे, जो ब्रेस्ट फीड कराने के दौरान सेफ हों।
- डॉक्टर को समय रहते दिखाएं, यह नहीं कि अपने अाप ठीक हो जाएगा, वरना यह फोड़े का रूप भी ले सकता है, इसलिए टालें नहीं, क्योंकि दर्द की वजह से दूध ना पिलाने पर ब्रेस्ट के अंदर पस बनने लगती है, जिसे चीरा लगा कर निकालना पड़ता है। इसमें खतरा कोई नहीं है, पर तकलीफ हो जाती है।
- जरूरी है कि बेबी निपल मुंह में सही ढंग से ले पाए। इसके लिए निपल का पूरा भूरा हिस्सा उसके मुंह में होना चाहिए, तभी वह ‘सक’ कर सकेगा। मां को अपनी हथेली बच्चे के सिर के नीचे रख कर उसे सपोर्ट देना है, ताकि वह ठीक से फीड कर सके।
- शिशु जब चाहे, उसे दूध पिलाएं। दिनभर में कम से कम 8-12 बार अवश्य दूध पिलाएं। यदि वह पूरी तरह ना पी सके, तो हाथ या पंप की सहायता से दूध निकाल कर चम्मच से पिलाएं। इस बात का ख्याल रखें कि दूध ब्रेस्ट से निकलना जरूरी है।
- मां हल्के गरम पानी से नहाएं अौर ब्रेस्ट की ठंडी व गरम सिंकाई करें। बंदगोभी का पत्ता फ्रिज में रख कर ठंडे पत्ते से ब्रेस्ट की सिंकाई करें, अाराम मिलेगा।
- ना सिर्फ नॉर्मल डिलीवरीवाली मांअों, बल्कि सिजेरियन अॉपरेशन से बेबी को जन्म देनेवाली महिलाअों को भी यह समस्या हो सकती है। उस समय बच्चे को बोतल का दूध पिलाया जाता है। बच्चे को बोतल से दूध पीने की अादत पड़ने के बाद जब मां ब्रेस्टफीड कराती है, तो बेबी दूध ठीक से नहीं पी पाता है। मां अपना दूध कटोरी में निकाल कर चम्मच से बच्चे को पिलाए।
- सिजेरियन के 2-3 दिनों तक मां बच्चे को दूध नहीं पिला सकती, जो ब्रेस्ट में जमा हो कर गांठें बना देता है। ये दूध की गांठें होती हैं।
- जितनी जल्दी इसका पता चल जाए, उतनी जल्दी उपचार हो जाने से जल्दी ठीक हो जाता है। एंटीबायोटिक का कोर्स शुरू पूरा करे। मां खूब दूध, जूस, सूप या दाल पिए।     
- बच्चे को दूध पिलाने के लिए उसके रोने का इंतजार ना करें। ऐसा ना हो कि वह भूख से बहुत अशांत हो जाए अौर दूध ही ना पिए। जब बेबी को दूध पिला रही हैं, तो अापको पता होना चाहिए कि उसका पेट भरा या नहीं।