ब्रेस्टफीड कराते समय 10 में से एक या दो महलिाओं को मेस्टाइटसि यानी ब्रेस्ट में सूजन व गांठों की समस्या का सामना करना पड़ता है। क्यों ऐसा होता है?
अकसर महलिाओं को ब्रेस्ट में दूध की गांठें बनने की परेशानी का सामना करना पड़ता है, जसिसे ब्रेस्ट फीडिंग कराते समय उसे बेहद तकलीफ होती है। इसे मेस्टाइटसि कहा जाता है।
- दलि्ली की सीनियर आईवीएफ स्पेशलसि्ट एवं गाइनीकोलॉजसि्ट अर्चना धवन कहती हैं कि आमतौर पर मेस्टाइटसि गंभीर नहीं होता। बच्चे के जन्म होने के बाद जितनी जल्दी हो सके, मां को ब्रेस्ट फीडिंग शुरू कर देनी चाहिए। ब्रेस्ट का लगातार खाली होते रहना जरूरी है, वरना दूध ब्रेस्ट में जमने लगता है।
- अकसर कहा जाता है कि बच्चे का सरि मांं की छाती में लगने से दूध जम जाता है। लेकनि दूध जमने की वजह बच्चे का सरि लगना नहीं, ब्रेस्ट में दूध का इकट्ठा हो कर नलकिाओं में रुकावट पैदा हो जाना है। इसे ब्लॉक्ड डक्ट कहा जाता है। दूध की गांठें बन जाने से ब्रेस्ट सख्त हो जाती है। तब दर्दभरा कड़ापन महसूस होता है, दर्द के साथ सूजन हो जाती है, ब्रेस्ट पर लाली नजर आना, वहां गरम महसूस होना आदि मेस्टाइटसि के लक्षण हैं।
- गांठवाला हसि्सा पत्ती की शेप में महसूस होता है, क्योंकि इससे आसपास की छोटी नलकिाओं में भी सूजन आ जाती है और दर्द शुरू हो जाता है।
- ऐसा होने पर 101 डिग्री बुखार, थकान, बदन दर्द, सरि दर्द व कंपकंपी महसूस होती है। डॉ. अर्चना धवन के अनुसार, ब्रेस्ट फीड करानेवाली 10 में से एक या दो महलिाओं को मेस्टाइटसि हो जाता है।
- कई बार जसि तेजी से दूध बनता है, नकलि नहीं पाता है। उस दुखती ब्रेस्ट से दूध पलिाना मां के लिए बहुत ही मुश्कलि होता है। इसकी वजह शशिु का ठीक से दूध ‘सक’ नहीं कर पाना होता है, क्योंकि वह नपलि ठीक से मुंह में ले नहीं पाता है। ऐसी स्थिति में अकसर मांएं ऊपर का दूध पलिाने लगती हैं। तब भी ब्रेस्ट खाली ना होने पर दूध जम जाता है।
- अकसर मां का नपलि ना बनने या अंदर की ओर मुड़ा होने की वजह से भी बच्चा दूध नहीं पी पाता है। तब नपलि शील्ड ब्रेस्ट में लगा कर बच्चे को आराम से ब्रेस्ट फीडिंग करायी जा सकती है। हर बार फीड कराते समय ब्रेस्ट की हल्के हाथों से मालशि करते हुए नपलि बाहर की ओर नकिालने पर भी शेप में आ जाता है। जसि ब्रेस्ट से बच्चा कम दूध पीता है, उसमें यह समस्या हो सकती है। यह समस्या पहले 3 महीनों में ज्यादा होती है।
जरूरी उपाय
- भले मेस्टाइटसि की वजह से ब्रेस्ट में दर्द हो, उस ब्रेस्ट से मां फीड कराती रहे। दर्द ज्यादा होगा, पर ना पलिाने पर मेस्टाइटसि बिगड़ सकता है यानी ब्रेस्ट सख्त पड़ जाएगा।
- बुखार आने पर डॉक्टर को दिखा लें। अगर मेस्टाइटसि के साथ इन्फेक्शन हो गया होगा, तो डॉक्टर एंटीबायोटकि दे सकते हैं। वे ऐसी दवाएं देंगे, जो ब्रेस्ट फीड कराने के दौरान सेफ हों।
- डॉक्टर को समय रहते दिखाएं, यह नहीं कि अपने आप ठीक हो जाएगा, वरना यह फोड़े का रूप भी ले सकता है, इसलिए टालें नहीं, क्योंकि दर्द की वजह से दूध ना पलिाने पर ब्रेस्ट के अंदर पस बनने लगती है, जसिे चीरा लगा कर नकिालना पड़ता है। इसमें खतरा कोई नहीं है, पर तकलीफ हो जाती है।
- जरूरी है कि बेबी नपलि मुंह में सही ढंग से ले पाए। इसके लिए नपलि का पूरा भूरा हसि्सा उसके मुंह में होना चाहिए, तभी वह ‘सक’ कर सकेगा। मां को अपनी हथेली बच्चे के सरि के नीचे रख कर उसे सपोर्ट देना है, ताकि वह ठीक से फीड कर सके।
- शशिु जब चाहे, उसे दूध पलिाएं। दनिभर में कम से कम 8-12 बार अवश्य दूध पलिाएं। यदि वह पूरी तरह ना पी सके, तो हाथ या पंप की सहायता से दूध नकिाल कर चम्मच से पलिाएं। इस बात का ख्याल रखें कि दूध ब्रेस्ट से नकलनिा जरूरी है।
- मां हल्के गरम पानी से नहाएं और ब्रेस्ट की ठंडी व गरम सिंकाई करें। बंदगोभी का पत्ता फ्रजि में रख कर ठंडे पत्ते से ब्रेस्ट की सिंकाई करें, आराम मलिेगा।
- ना सिर्फ नॉर्मल डलिीवरीवाली मांओं, बल्कि सजिेरियन ऑपरेशन से बेबी को जन्म देनेवाली महलिाओं को भी यह समस्या हो सकती है। उस समय बच्चे को बोतल का दूध पलिाया जाता है। बच्चे को बोतल से दूध पीने की आदत पड़ने के बाद जब मां ब्रेस्टफीड कराती है, तो बेबी दूध ठीक से नहीं पी पाता है। मां अपना दूध कटोरी में नकिाल कर चम्मच से बच्चे को पलिाए।
- सजिेरियन के 2-3 दनिों तक मां बच्चे को दूध नहीं पलिा सकती, जो ब्रेस्ट में जमा हो कर गांठें बना देता है। ये दूध की गांठें होती हैं।
- जितनी जल्दी इसका पता चल जाए, उतनी जल्दी उपचार हो जाने से जल्दी ठीक हो जाता है। एंटीबायोटकि का कोर्स शुरू पूरा करे। मां खूब दूध, जूस, सूप या दाल पिए।
- बच्चे को दूध पलिाने के लिए उसके रोने का इंतजार ना करें। ऐसा ना हो कि वह भूख से बहुत अशांत हो जाए और दूध ही ना पिए। जब बेबी को दूध पलिा रही हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि उसका पेट भरा या नहीं।