Thursday 09 September 2021 04:56 PM IST : By Ruby Mohanty

लड़कियों को पीरियड्स जल्दी शुरू क्यों होते हैं

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पहले पीरियड्स शुरू होने की उम्र 15-16 साल थी, लेकिन अब धीरे-धीरे पीरियड्स होने की उम्र घट कर 9-10 साल के बीच हो गयी है। इसकी वजह जीवनशैली में आया जबर्दस्त बदलाव है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि टीवी, मोबाइल ने जहां जीवन में कई सहूलियतें दी हैं, वहां इनका नेगेटिव असर भी शरीर पर बहुत पड़ा है। लड़कियां अपनी उम्र से पहले बड़ी दिखने लगी हैं। आजकल 8 साल के बाद पीरियड्स होना सामान्य बात हो गयी है। लेकिन यह बदलाव जल्दी मेच्योर होती लड़की के लिए मानसिक समस्या पैदा करता है। समय से पहले पीरियड्स होना ना सिर्फ उसमें तनाव, चिंता, गुमसुम रहने की वजह बनता है, बल्कि पढ़ाई में भी उसका मन नहीं लगता। स्कूल और घर के माहौल में खुद को वह असहज पाती है। 

सीके बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम की डाइरेक्टर, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुणा कालरा के अनुसार कम उम्र में पीरियड्स होने की कई वजह हैं। सबसे पहली वजह है पिट्यूटरी ग्लैंड। यह हमारे मस्तिष्क में होता है और यही रिप्रोडक्टिव सिस्टम को प्रभावित करता है। शरीर के मुख्य हारमोन्स जैसे इस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रॉन, टेस्टोस्टेरॉन भी इसी से मॉनिटर होते हैं। अगर पिट्यूटरी ग्लैंड समय से पहले उत्तेजित होता है, तो रिप्रोडक्टिव सिस्टम के प्रभावित होने से जल्दी पीरियड्स हो शुरू हो जाते हैं, इसीलिए जरूरी है कि सबसे पहले उस वजह का पता लगाएं, जिससे यह ग्लैंड सक्रिय होने लगा हैं। 

-  बच्चे पहले की तुलना में अब शारीरिक तौर पर इतने एक्टिव नहीं रहे। लड़कियां पहले की तरह खेलने के लिए घर से बाहर नहीं जाती हैं। कोई खेल खेलने के बजाय वे कंप्यूटर, मोबाइल पर घर की चारदीवारी में व्यस्त रहती हैं या फिर ज्यादा से ज्यादा इंडोर गेम्स ही खेलती हैं। सुरक्षा और जगह की कमी की वजह से पेरेंट्स उसे घर से बाहर जाने से रोकते हैं। नतीजा, मोटापा। हालांकि, मोटापे की वजह असंतुलित एवं गलत खानपान की आदतें भी हैं। मोटापे की वजह से इस्ट्रोजन की समस्या होती है, जिससे ओवरी प्रभावित होती है और लड़कियों में कम उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं।

- लाइफस्टाइल का सबसे ज्यादा असर ब्रेन पर असर पड़ता है। अगर बच्चे बहुत ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स इस्तेमाल करते हैं, तो भी उनके शरीर में बदलाव आने लगते हैं। इससे शरीर में हारमोन जल्दी रिलीज होने शुरू हो जाते हैं। 

- मेलाटोनिन एक अन्य हारमोन है, जो पीरियड्स को नियंत्रित करता है। जो लड़कियां रात को देर तक जागती हैं, नींद पूरी नहीं ले पाती हैं, उनका भी शरीर और मस्तिष्क थका रहता है। उन्हें पीरियड्स जल्दी होते हैं। जब आप सिर्फ एक रात सही ढंग से नहीं सो पाते हैं, तो दूसरे दिन दिमाग और शरीर निढाल होते हैं। सोच कर देखें कि जो बच्चियां देर रात तक जागती हैं, उनके मस्तिष्क और शरीर पर कितना विपरीत असर पड़ता होगा। 

- मोबाइल, इंटरनेट, टीवी में आज जो भी परोसा जा रहा है, वह बच्चों को उम्र से पहले और जरूरत से ज्यादा मेच्योर कर रहा है। कम उम्र के बच्चों को सेक्स के बारे में जरूरत से ज्यादा जानकारी मिलनी शुरू हो गयी है। बच्चे की जिज्ञासा बढ़ती है। उनके मस्तिष्क का विकास जल्दी होने लगता है और शरीर में उम्र से पहले हारमोन बनने शुरू हो जाते हैं। समय से पहले इन लड़कियों में विपरीत सेक्स के प्रति जिज्ञासा होने लगती है। नतीजा, जल्दी पीरियड्स शुरू हो जाते हैं।

क्या है वजह 

- फल-सब्जियों को रातोंरात बड़ा करने के लिए जो इन्जेक्शन लगाए जाते हैं, उन्हें खाने के साइड इफेक्ट के तौर पर उम्र से पहले हारमोनल बदलाव को बढ़ावा मिलता है। लड़कियां जल्दी बड़ी होने लगती हैं। इससे बचा तो नहीं जा सकता है, पर सब्जियों और फलों को अच्छी तरह से धो कर खिलाने से कुछ पॉजिटिव असर देखने को मिलता है। 

- अप्राकृतिक हारमोन्स, एंटीबायोटिक्स और पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल करके उगायी गयी सब्जियां, फल, मीट, अंडे सब शरीर पर असर डालते हैं। इन्हें ही बचपन से खाने की वजह से शरीर समय से पहले जवान और जल्दी बूढ़ा होने लगता है। 

- तनावपूर्ण, संवेदनशील व संघर्षपूर्ण बचपन के कारण भी कम उम्र की लड़कियों में जल्दी पीरियड्स की शुरुआत हो जाती है। इसके लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट और हॉबी डेवलपमेंट किया जाना चाहिए। 

- जरूरत से ज्यादा प्रोटीनयुक्त आहार खाने से भी हारमोन्स प्रभावित होते हैं और जल्दी पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। 

- जिन नवजात बच्चियों को मां ब्रेस्ट फीड नहीं कराती, उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। शरीर कमजोर हो, तो मस्तिष्क का विकास सही ढंग से नहीं हो पाता। एेसी बच्चियों के पीरियड्स जल्दी शुरू होने की आशंका होती है। 

- बच्चियां अगर शुद्ध व ताजा भोजन नहीं करती हैं, मां रसोई से छुट्टी पाने के चक्कर में बच्चियों को बाजार से जंक फूड अॉर्डर करके मंगा कर खिला देती हैं, तो प्रोसेस्ड फूड खाए जाने की वजह से शरीर पर बहुत बुरा असर होता है और उम्र से पहले पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। 

कैसे हो इस परेशानी का हल

- मां को चाहिए कि अपनी बच्ची को छोटी उम्र में सिर्फ गुड एंड बैड टच से वाकिफ कराएं। एेसा करने पर वे समय के साथ-साथ अपोजिट सेक्स के लोगों के साथ सतर्क और सहज रहेंगी। पर सच तो यह है कि इन बच्चियों को स्त्री-पुरुष संबंधों पर पहले से खोल कर सारी बातें बता दी जाएं, तो जिज्ञासावश उनका मस्तिष्क इसे जज्ब नहीं कर पाता। सेक्स के प्रति जिज्ञासा बनी रहने की वजह से दिमाग में हारमोन्स स्रावित होते हैं और जल्दी पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। इसीलिए एेसी स्थिति से बचें। बच्ची को अपना बचपन जीने दें, उन्हें उम्र से पहले बड़ी ना बनाएं, वरना मन के साथ-साथ वे शरीर से भी बड़ी हो जाएंगी। 

- छोटी उम्र की बच्चियों को फोन ना दें। मोबाइल में कुछ भी गलत हावभाव लगातार देखने से भी हारमोन्स स्रावित होते हैं, जिससे कम उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। बेहतर होगा कि बच्चों को टीवी में हल्के-फुल्के और ज्ञानवर्धक प्रोग्राम देखने की इजाजत दें। 

- रेगुलर एक्सरसाइज खुद भी करें और बच्ची को भी कराएं। आपके साथ एक्सरसाइज करने से उसकी आदत बन जाएगी। पर एक बात यह समझ लें कि हफ्ते में सिर्फ दो बार एक्सरसाइज बच्ची से करवा कर अपनी ड्यूटी पूरी ना समझें। इससे शरीर को जितना फायदा होना चाहिए, उतना ही नहीं होगा। 

- हर दिन 2 से 3 घंटे तक बच्ची को खेलने के लिए कहें। घर में वीडियो गेम्स खेलने की लत ना लगाएं। रेगुलर लाइट योग, रस्सी कूदना,स्ट्रेचिंग जैसी एक्सरसाइज करने से भी बॉडी फिट रहेगी। 

- लड़कियां को डाइट में प्रोटीन, कैल्शियम और फाइबर का कॉम्बिनेशन संतुलित मात्रा में दें। 

-  कभीकभार बच्ची को जंक फूड खाने की इजाजत दें। वैसे भी अगर जंक फूड जैसे पिज्जा, नूडल्स, बर्गर, रोल आदि चीजें घर पर बना कर खिलाएं, तो ज्यादा बेहतर होगा। वीट पिज्जा, वीट पास्ता, रोटी रोल, आटा बर्गर में ढेर सारी सब्जियां डाल कर बनाएं।