Friday 16 October 2020 04:25 PM IST : By Nishtha Gandhi

गाइनीकोलॉजिस्ट से जरूर पूछें ये 8 बातें

अाप जिन बातों को गैरजरूरी समझती हैं, वे अापकी सेहत में किसी गंभीर गड़बड़ी का संकेत हो सकती हैं। ये 8 जरूरी बातें गाइनीकोलॉजिस्ट से पूछने में कतई ना शरमाएं।

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अाखिरी बार अाप गाइनीकोलॉजिस्ट से कब मिलीं, इस सवाल के जवाब में ही अापकी सेहत की कहानी छिपी है। अाप कोई तकलीफ होने पर ही गाइनीकोलॉजिस्ट के पास जाती हैं, लेकिन अापको यह समझ नहीं अाता कि कई बार जिन चीजों को अाप तकलीफ नहीं मानतीं, वे किसी गंभीर समस्या की अोर इशारा करती हैं। दिल्ली के सीके बिड़ला हॉस्पिटल में निदेशक अौर सीनियर गाइनीकोलॉजिस्ट डॉ. अरुणा कालरा ऐसी 8 बातों के बारे में बता रही हैं, जिनके बारे में अापको गाइनीकोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।
1 वेजाइनल डिस्चार्ज ः महिलाअों को थोड़ा-बहुत वेजाइनल डिस्चार्ज होता है। यह 28 दिन के मासिक चक्र में 12वें से 16वें दिन तक होता है। इसमें खुजली अौर दुर्गंध नहीं अानी चाहिए। लेकिन अगर यह ग्रीनिश वाइट, फ्लेकी हो, इसमें से गंदी बदबू अाए, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। इसके अलावा पीरियड्स से पहले, बाद में या हर समय वेजाइनल ईचिंग होना भी असामान्य बात है। यह यूटरस में इन्फेक्शन, क्लैमाइडिया या कैंडिडा का संकेत है। सर्विक्स कैंसर की शुरुअात में पहचान इन लक्षणों से की जा सकती है। इसके लिए हर तीसरे साल पैप स्मीयर टेस्ट करवाना भी जरूरी है।
2 ब्रेस्ट में गांठ ः हर महिला को समय-समय पर ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करते रहना चाहिए। हालांकि हर गांठ या ब्रेस्ट में दर्द होना कैंसर का लक्षण नहीं है। निपल से होनेवाला डिस्चार्ज भी असामान्य नहीं होता। ब्रेस्ट फीडिंग करानेवाली महिलाअों के ब्रेस्ट से दूध जैसा हल्का डिस्चार्ज होना अाम बात है। हर तीसरे महीने महिलाअों को अपना ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करना चाहिए अौर अगर खुद नहीं अाता, तो डॉक्टर से करवाना चाहिए। ब्रेस्ट में अगर ऐसी गांठ है, जो हाथ लगाने से हिल रही है, तो यह नॉर्मल है, अगर गांठ हार्ड है, हाथ लगाने से हिल नहीं रही या निपल से हरे रंग का डिस्चार्ज हो रहा है, तो फिर इसे टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।
3 कंसीव करने से पहले काउंसलिंग ः यंग कपल को फैमिली प्लान करने से पहले स्वयं को तैयार करना बेहद जरूरी है। इस बारे में गाइनीकोलॉजिस्ट से मिलें अौर उनसे अपने मन के सारे वहम दूर करें। धूम्रपान, शराब अौर गलत लाइफस्टाइल के कारण अापको कंसीव करने में दिक्कत अा सकती है। इस समय डॉक्टर अापको सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज, थैलेसीमिया, थायरॉइड, डाइबिटीज अादि टेस्ट कराने अौर फोलिक एसिड, विटामिन की गोलियां खाने की सलाह दे सकती है। डॉक्टर को अाप पीरियड्स का साइकिल बता कर उन दिनों की जानकारी भी ले सकती हैं, जब अापके प्रेगनेंट होने की संभावना ज्यादा होगी।
4 शादी से पहले कॉन्ट्रासेप्शन ः हर यंग कपल, जो शादी करना चाहते हैं, उन्हें गाइनीकोलॉजिस्ट से पहले एक दूसरे से परिवार, फैमिली प्लानिंग जैसे मुद्दों पर खुल कर बात करनी चाहिए। अगर 2-3 साल तक बच्चा नहीं चाहते, तो गाइनीकोलॉजिस्ट से मिलें अौर उनसे गर्भ निरोध के तरीकों के बारे में जानकारी लें। अाजकल कंडोम, गोलियों जैसे पारंपरिक तरीकों के अलावा इन्जेक्शन, फ्रीडम फाइव जैसे कई विकल्प मौजूद हैं। इनके बारे में डॉक्टर से खुल कर बात करें अौर अगर मन में कोई वहम या भ्रम है, तो उसे दूर करें। अगर फैमिली कंप्लीट हो चुकी है, तो भी गर्भनिरोध के बारे में डॉक्टर से बात करना जरूरी है, वरना अापको बार-बार एबॉर्शन कराने से कई अौर समस्याएं घेर सकती हैं।

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5 युरिन लीक होना ः हंसते, खांसते अौर छींकते समय अकसर यूरिन लीक होता है। यह महिलाअों की सबसे अाम समस्या है, जिसे यूरिन इन्कॉन्टिनेंस कहा जाता है, लेकिन इस बारे में कम ही महिलाएं बात करती हैं। यह अाम समस्या तो है, लेकिन सामान्य बात नहीं है। ब्लैडर पर थोड़ा सा प्रेशर पड़ते ही कुछ ड्रॉप्स लीक होना स्ट्रेस इन्कॉन्टिनेंस कहलाता है, जबकि अर्ज इन्कॉन्टिनेंस में महिलाअों का इस पर कंट्रोल नहीं रहता। डॉक्टर से इस बारे में विस्तार से बात करें अौर उनकी सलाह पर कुछ पेल्विक अौर केगल एक्सरसाइज करें।
6 सेक्स के दौरान दर्द ः अगर अापको सेक्स के दौरान दर्द होता है, तो इसे नजरअंदाज ना करें अौर अपनी गाइनीकोलॉजिस्ट को इस बारे में बताएं। यह यीस्ट या फंगल इन्फेक्शन, लुब्रिकेशन की कमी या अन्य किसी गंभीर वजह से हो सकता है। मेनोपॉज के दौरान वेजाइनल वॉल में बदलाव होने की वजह से भी सेक्स के दौरान दर्द हो सकता है। अकसर महिलाअों को डिलीवरी के बाद लुब्रिकेशन में कमी की समस्या होती है, ऐसी स्थिति में लुब्रिकेंट्स मददगार साबित होते हैं। अगर फिर भी समस्या दूर ना हो, तो डॉक्टर एंडोमीट्रियोसिस, इन्फेक्शन अादि की जांच करके इलाज शुरू कर सकती है, लेकिन इसके लिए अापको खुल कर गाइनीकोलॉजिस्ट से बात करनी चाहिए।
7 पीरियड्स की शुरुअात ः किशोरियों में पीरियड्स की शुरुअात शरीर में कई हारमोनल बदलाव ले कर अाती है। हालांकि कुछ स्कूलों में इससे जुड़ी काउंसलिंग भी की जाती है, लेकिन फिर भी पीरियड्स शुरू होने पर हेवी पीरियड्स, पेट दर्द, क्रैंप्स, जी मिचलाना, चिड़चिड़ापन जैसी समस्याअों से किशोरियां परेशान हो जाती हैं। इस चक्र को सामान्य होने में 3-4 साल भी लग सकते हैं। इस दौरान अपनी बेटी को एक बार गाइनीकोलॉजिस्ट के पास ले जा कर उसकी काउंसलिंग करवाएं। साथ ही हीमोग्लोबिन टेस्ट, थायरॉइड अौर एचपीवी वायरस के वैक्सीनेशन के बारे में जानकारी लें। इस उम्र में उन्हें विटामिन डी3 की भी जरूरत होती है। पीरियड्स के दौरान ब्रेस्ट पेन, पेट दर्द के लिए कौन सी दवा सेफ है, यह ली जानी चाहिए कि नहीं, इस बारे में भी बात करें।
8 मेनोपॉज के लक्षण ः हर महिला को जीवन के इस बदलाव पर खास ध्यान देना चाहिए अौर डॉक्टर से पास जाने से कतराना नहीं चाहिए। मेनोपॉज के दौरान शरीर में हारमोनल चेंज होते हैं, तनाव, कमजोरी, सुस्ती, चिड़चिड़ापन महसूस होता है। इस समय अापको क्या टेस्ट कराने होंगे, कैल्शियम अौर विटामिन के कौन-कौन से सप्लीमेंट्स अापको लेने होंगे, इस बारे में भी जानकारी हासिल करें। कुछ महिलाअों को इस समय हारमोन रिप्लेसमेंट थेरैपी की जरूरत होती है, इस बारे में इंटरनेट या सुनी-सुनायी बातों के बजाय डॉक्टर से बात करें।