Friday 27 September 2024 02:21 PM IST : By Dr. Vivudh Pratap Singh

वर्ल्ड हार्ट डे पर विशेष: युवा दिलों पर क्यों बढ़ रहा है बोझ

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हाल के वर्षों में युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। दिल को संभालने के लिए लाइफस्टाइल को सुधारना जरूरी है। कैसे, बता रहे हैं फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ओखला रोड, नई दिल्ली के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. विवुध प्रताप सिंह

पहले माना जाता था कि कोरोनरी आर्टरी की बीमारियां तो बुढ़ापे में ही होती हैं लेकिन हाल के वर्षों में हार्ट अटैक के मामलों में तेजी देखी गई है और खासतौर पर युवाओं में ऐसे मामले काफी देखने को मिल रहे हैं। यह भी देखने को मिल रहा है कि युवाओं में भी हार्ट अटैक की वजह से मृत्यु का खतरा उतना ही है, जितना वृद्ध लोगों में।

बिगड़ती लाइफस्टाइल और खराब खानपान के कारण पूरी दुनिया में हार्ट की बीमारियों में इजाफा हुआ है लेकिन भारत में इसका जोखिम अन्य जगहों की तुलना में 8-10 साल पहले ही आ जा रहा है।

कम उम्र में खतरा बढ़ा

वर्ष 2018-19 की इंटरहार्ट स्टडी के मुताबिक, दक्षिण एशियाई देशों (बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका) में गंभीर प्रकार के मेयोकार्डियल इंफार्कशन (सामान्य तौर पर जिसे हार्ट अटैक कहा जाता है) का पहली बार सामना करने की औसत उम्र 53 है जबकि पश्चिमी यूरोप, चीन और हॉन्गकॉन्ग में यह उम्र 63 वर्ष है। भारत के मामले में सबसे चिंताजनक बात यह है कि यहां युवाओं के दिल तेजी से कमजोर हो रहे हैं।

जीवनशैली में छिपे हैं कारण

हार्ट संबंधी बीमारियों का सबसे बड़ा कारण भारतीयों की लाइफस्टाइल में छिपा है। मोटापा (कमर-कूल्हे का अनुपात) बढ़ रहा है, खाने-पीने में प्रोसेस्ड चीजों की खपत बढ़ी है और शारीरिक गतिविधियों की कमी की वजह से डायबिटीज मेलिटस, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल के मामलों में वृद्धि देखी गई है। काम से जुड़े तनाव और बढ़ते स्क्रीन टाइम की वजह से भी हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ती हैं। तेज रफ्तार जीवनशैली हमारे दिमाग को भटकाव में ले जाती है और सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।

तनाव से बिगड़ती सेहत

युवाओं में रोजगार से जुड़े तनाव का बढ़ते हार्ट अटैक से सीधा संबंध देखा जा रहा है। जब आप लंबे समय तक तनाव का सामना करते हैं, तब शरीर को कुछ ऐसे संकेत मिलते हैं, जिससे पता चलता है कि सब कुछ ठीक नहीं है। ऐसी शारीरिक, संज्ञानात्मक, भावनात्मक और व्यवहार संबंधी चेतावनियों को नकारना नहीं चाहिए। इन चेतावनियों से पता चलता है कि अब शरीर और मन को ब्रेक देने की जरूरत है। अगर आप तनाव लेते रहेंगे और शरीर को आराम करने का मौका नहीं देंगे, तो हृदय रोगों समेत कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। अगर पहले से कोई समस्या है तो वह गंभीर हो सकती है।

ये भी हैं कारण

हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ने के पीछे एक और वजह युवाओं के बीच बढ़ती धूम्रपान की आदत है। युवाओं में हार्ट अटैक के पीछे की आनुवांशिक वजहों के बारे में भी काफी अध्ययन किए गए हैं। यह देखा गया है कि अगर किसी के पिता या भाई को 55 वर्ष से कम उम्र में हार्ट अटैक आया हो या किसी की मां या बहन को 65 वर्ष से कम उम्र में हार्ट अटैक आया हो, तो ऐसे में कोरोनरी आर्टरी बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे लोगों को अपनी सेहत के प्रति और जागरूक रहने की जरूरत है।

इन लक्षणों पर गौर करें

• सीने में दर्द या परेशानी महसूस होना। हार्ट अटैक के ज्यादातर मामलों में सीने के बीच वाले हिस्से या बाएं हिस्से में परेशानी महसूस होती है। यह परेशानी दबाव, खिंचाव, भारीपन, दर्द, जलन या अपच जैसी हो सकती है।

• शरीर के ऊपरी हिस्से में परेशानी महसूस होना। आपको एक या दोनों बांहों में, पीठ, कंधों, गर्दन, जबड़े या पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द या परेशानी महसूस हो सकती है।

• सांस लेने में परेशानी या लंबे समय तक थकान महसूस होना। हो सकता है कि आपको सिर्फ यही एक लक्षण महसूस हो या यह सीने में दर्द या परेशानी के साथ या उसके बाद यह महसूस हो सकता है। ऐसा आराम करते समय या हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधि के समय हो सकता है।

• ठंडे पसीने आना।

दिल को संभालें ऐसे

हृदय रोगों से बचना है तो कुछ बातों का ध्यान रखना होगा-

• धूम्रपान छोड़ें और तंबाकू का इस्तेमाल करने से बचें। धूम्रपान से रक्तचाप बढ़ता है और हृदय गति बढ़ती है। धूम्रपान करने वालों में हृदय रोगों का खतरा कहीं अधिक होता है।

• निष्क्रिय जीवनशैली छोड़ें। सक्रिय रहें। उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी सक्रिय रहने से कम हो जाता है। यह सुझाव दिया जाता है कि हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट की मध्यम एरोबिक गतिविधि या हर हफ्ते 75 मिनट की मुश्किल एरोबिक गतिविधि या दोनों का मिश्रण करना अच्छा होता है।

• डाइट ऐसी हो जो दिल की सेहत को रास आए। मोटे अनाज, फल, सब्जियों से भरपूर खानपान, सीमित मात्रा में रेड मीट की खपत, कम मात्रा में सैचुरेटेड फैट और प्रोसेस्ड मीट, और कम सोडियम वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

• डैश डाइट (डायटरी अप्रोच टू स्टॉप हाइपरटेंशन) जैसी कुछ डाइट भी उपलब्ध हैं और इस मामले में आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।

• वजन सही रखें। मोटापा बढ़ने पर कार्डियोवैस्क्यूलर जोखिम भी बढ़ जाता है। अपने बॉडी मास इंडेक्स और बॉडी फैट को संतुलित रखें।

• अच्छी नींद लें। कम नींद लेने से मोटापे, उच्च रक्तचाप, हार्ट अटैक, डायबिटीज और अवसाद का खतरा बढ़ता है। रोज कम से कम 7-8 घंटे सोने से हार्ट संबंधी बीमारियों के खतरे कम होते हैं।

• तनाव और चिंता के स्तर को कम करें। तनाव की वजह से कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं। अपने तनाव को कम करने के लिए कुछ दिलचस्प या मजेदार गतिविधियों में हिस्सा लें। पेट्स और बच्चों के साथ खेलें। या फिर अपनी रुचि के कार्यों में समय बिताएं, जैसे कुकिंग, गार्डनिंग, पेंटिंग, म्यूजिक या डांस।

• सेहत की नियमित जांच कराएं। 40 से लेकर 75 वर्ष की आयु वाले लोगों के लिए आगामी 10 वर्षों के जोखिम का अनुमान लगाने के लिए रेस और लिंग आधारित रिस्क एस्टीमेटर कैलकुलेटर का इस्तेमाल करना चाहिए। कई बार हाई ब्लड प्रेशर या हाई कोलेस्ट्रॉल का पता ही नहीं चल पाता है। इसलिए नियमित जांच कराने से आपको अपनी सेहत की सही स्थिति पता चल सकती है और समय रहते बचाव के तरीके अपनाए जा सकते हैं।