Wednesday 23 September 2020 05:47 PM IST : By Neelam Sikand

जानें किस बीमारी के लिए कौन सी धातु के बरतन में पकाएं खाना

नोएडा के जे.पी. हॉस्पिटल की डाइट काउंसलर श्रुति शर्मा से जानें कि खाना पकाने अौर खाने के िलए कौन सी धातु के बरतन फायदेमंद अौर नुकसानदेह हैं।

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सोना ः इन बरतनों में पहले राजा-महाराजा खाना खाते थे। साेना गरम धातु है, जो अाज के समय में संभव नहीं। सोना अांखों की रोशनी तेज होती है। सोने के बरतन या िगन्नी में रखे पानी को पीने से सांस से संबंधित बीमािरयाें जैसे अस्थमा, सांस उखड़ने, फेफड़े की बीमािरयाों में अाराम िमलता है। इस पानी को पीने से शरीर अौर िदमाग, दोनों स्वस्थ होते हैं। ध्यान रखें िक सोने के पानी को चार्ज करने के िलए सोने की चेन, हार, चूड़ी, कड़ा प्रयोग में ना लाएं। 
चांदी ः इस धातु से बने बरतन में खाना खाने से शरीर की गरमी दूर होती है। इन बरतनों में खाना खाने से िदमाग, अांखों की रोशनी व इम्युन िसस्टम तेज होता है। चांदी पित्त दोष, वायु दोष अौर कफ दोष को काबू में रखती है। चांदी उन बैक्टीिरया को पनपने से रोकता है, जो खाने की चीजों में सड़न पैदा करते हैं, इसलिए इन बरतनों में खाने की चीजें स्टोर करने से वह जल्दी खराब नहीं होती। यह इन्फेक्शन को होने से रोकती है अौर गंभीर बीमारी नहीं होने देती। जख्मों को तेजी से भरने में मददगार है। चांदी के बरतन में खाना खाने से डाइजेशन ठीक रहता है अौर डायरिया, कब्ज अौर पेट दर्द होने का खतरा कम हो जाता है। िजन लोगों को बहुत प्यास लगती है या िफर चक्कर अाने की िशकायत होती है, उन्हें चांदी के बरतन में खाना खाने से अाराम िमलता है ।
कांसा ः कांसे के बरतन में खाना खाना सेहत के िलए सबसे अधिक फायदेमंद माना जाता है। कांसे के बरतन में खाना बनाने पर भोजन के 97 प्रतिशत पोषक तत्व उसमें मौजूद रहते हैं। इसमें खाना खाने से िदमाग तेज होता है, भूख खुल कर लगती है अौर खून साफ होता है। कांसे के बरतन में कभी भी खट्टी चीजें ना परोसें, क्योंिक खट्टी धातु से िक्रया करके िवषैली हो जाती हैं, जो नुकसान देती हैं।
तांबा ः इस धातु से बने बरतन में पानी पीने से खून साफ होता है, याददाश्त तेज होती है। लिवर संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। तांबे के बरतन में रखा पानी पीने से यह शरीर के िवषैले तत्वों को िनकाल बाहर करता है, जोिक मोटापा कम करने में सहायक है। तांबे में पानी रखने से कोलेजन प्रोटीन बनने लगता है, जो िटशूज को जोड़े रखने में मदद करता है। यही वजह है िक इस पानी को पीने से एजिंग प्रोसेस धीमा पड़ जाता है। तांबे के बरतन में पानी रखने से यह उसमें वायरस अौर दूसरे माइक्रो अॉर्गेिनज्म को मार देता है अौर उसे पीने योग्य बना देता है। इसके बने बरतनों में खाना खाने से भी यह भोजन के पौष्टिक गुणों को बनाए रखता है।
तांबे के एसिडिक प्रवृत्ति के होने से इसमें खट्टी चीजों को रखने या अचार को स्टोर करने से यह उन चीजों के साथ प्रतिक्रिया करके उन्हें विषैला बना देता है। इस बरतन में दूध व दूध से बनी चीजें, शहद, सिट्रस फल व जूस नहीं रखने चािहए।
पीतल ः कई घरों में अब भी पीतल के बरतन इस्तेमाल में लाए जाते हैं। पीतल के बरतन में खाना बनाने अौर खाने से कफ अौर वायु दोष की बीमारी नहीं होती। इन बरतनों में खाना बनाने से भोजन के केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
लोहा ः लोहे की कड़ाही या बरतन में खाना खाने से शरीर को भरपूर मात्रा में अायरन िमलता है, जिससे शरीर का हीमोग्लोबिन लेवल ठीक बना रहता है। इससे शरीर में शक्ति व एनर्जी बने रहते हैं। यह शरीर में सूजन नहीं अाने देता अौर पाचन से संबंधित समस्याअों को दूर करता है। लोहे के बरतन में दूध पीना अच्छा होता है।
अल्युमीिनयम ः अल्युमीिनयम बॉक्साइट का बना होता है, इनमें खाना बनाने व खाने से शरीर को िसर्फ नुकसान पहुंचता है। अायुर्वेद के अनुसार यह अायरन अौर कैल्शियम को सोखता है, इसलिए इससे बने बरतनों का उपयोग नहीं करना चािहए। इससे बने बरतनों में खाना खाने से हड्डियां कमजोर होती हैं, लिवर अौर नर्वस िसस्टम को नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा कई गंभीर बीमािरयां होने का खतरा रहता है।
अल्युमीिनयम के नाम पर ज्यादातर घरों में प्रेशर कुकर िमलता है। इसमें खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। इन बरतनों में टमाटर, इमली, नीबू या अचार जैसी खट्टी चीजें बिलकुल ना बनाएं। अल्युमीिनयम खट्टी चीजों के साथ िरएक्ट करता है अौर इससे अल्जाइमर जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
स्टील ः अाजकल मार्केट में सबसे ज्यादा स्टील के बरतन िमलते हैं। इन बरतनों में खाना खाने से शरीर को ना कोई फायदा अौर ना ही कोई नुकसान होता है।