Wednesday 12 July 2023 02:19 PM IST : By Nishtha Gandhi

अगर आप भी हमेशा हड़बड़ी में रहते हैं, तो ये हरी सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं

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आप खुद को मल्टीटास्कर समझती हैं। कोई काम हाथ में आते ही उसे फटाफट खत्म करने की कोशिश करती हैं और आपको इस बात का गर्व है कि घर हो या आॅफिस आपके पास कोई काम कभी पेंडिंग नहीं रहता। किसी ने आपको कहीं 6 बजे बुलाया है और आप एक-डेढ़ घंटा पहले से ही तैयार हो कर इधर-उधर टहलना शुरू कर देती हैं, फिर तो घड़ी की सुइयों के साथ एक-एक पल काटना आपको भारी लगता है और जब बर्दाश्त से बाहर हो जाता है, तो आप समय से पहले ही घर से निकल पड़ती हैं। दरअसल, ये सारे लक्षण दिखाते हैं कि आप हरी सिकनेस की गिरफ्त में हैं। जिसे आप मल्टीटास्किंग समझती आयी हैं, वह एक तरह का मेंटल लोचा है, जो आपके व्यवहार में अजीब सी हड़बड़ी पैदा कर रहा है।

मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में कंसल्टेंट साइकियाट्रिस्ट डॉक्टर अपर्णा रामाकृष्णन का कहना है, ‘‘हरी सिकनेस को किसी तरह की मानसिक बीमारी का नाम देना ठीक नहीं होगा। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसकी वजह से रोजमर्रा की जिंदगी में हमारा व्यवहार बदल जाता है। जब हम हमेशा जल्दबाजी में रहने लगें, यह महसूस करने लगें कि हमारे पास काम ज्यादा है और समय कम और जब इसकी वजह से हमें एंग्जाइटी होने लगे, तो उसे हरी सिकनेस कहा जाता है। इसकी वजह से व्यक्ति को हर काम जल्दी-जल्दी निपटाना चाहता है और खुद को काम के बोझ से लदा हुआ पाता है। दरअसल, हमारी लाइफ में स्मार्ट टेक्नोलॉजी का बढ़ता दखल भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है। एक ही बार में बहुत से लोगों के टच में रहना, बहुत से काम करने के लिए अनेक साधन मौजूद होना कुछ ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से हम अपनी क्षमता से ज्यादा काम अपने सिर पर ले लेते हैं। कई बार ध्यान भटकने की स्थितियां भी पैदा होती हैं और हमें यह लगने लगता है कि हमने फटाफट काम नहीं किया, तो हम दूसरों से पिछड़ जाएंगे।’’

पिछले कुछ दिनों से घर में रहते हुए खासकर महिलाओं में हरी सिकनेस ज्यादा बढ़ी है। एक तरफ आॅफिस का काम, दूसरी तरफ घर की जिम्मेदारियां और तीसरी बच्चों की पढ़ाई। इन सबके बीच झूलती महिलाएं अपने लिए भी आराम के कुछ पल चुराना चाहती हैं। उन्हें लगता है कि कैसे भी करके सारा काम खत्म कर लिया जाए और बस थोड़ा सा समय मिल जाए, जिसमें वे या तो आराम कर सकें, या फिर थोड़ा सा समय कोई शौक पूरा करने को दे सकें। टाइम पर्सपेक्टिव थेरैपी के को डेवलपर, प्रसिद्ध लेखक व विचारक रोजमेरी के. एम. स्वाॅर्ड का कहना है, ‘‘मल्टीटास्किंग की आदत जब बढ़ जाती है, तभी हरी सिकनेस की समस्या विकसित होने लगती है। ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने एक साथ कई कामों को पूरा करने को अपनी आदत में शुमार कर लिया है और वे इस पर गर्व भी महसूस करते हैं, लेकिन दरअसल, धीरे-धीरे उनमें हड़बड़ी की समस्या जन्म लेने लगती है।’’

लेखक रोजमेरी के. एम. स्वार्ड ने इसके कई लक्षण बताए हैं, जैसे-

- एक ही समय में दो से ज्यादा काम करना।

- फोन पर बात करने में और गाड़ी चलाने में हड़बड़ी करना।

- हर काम करने में जल्दबाजी करना और कई बार काम में इतनी गलती हो जाना कि आपको वह काम दोबारा करना पड़े।

- हर समय यही सोचते रहना कि कैसे आप कम से कम समय में एक्स्ट्रा काम कर सकें।

- जब कोई काम होने में देरी हो जाए, तो चिड़चिड़ापन महसूस होना।

- जब आप किसी को कोई काम कहते हैं, तो यह उम्मीद करते हैं कि वह काम तुरंत हो जाए, अगर सामनेवाला वह काम करने में देरी करता है, तो आपको बेचैनी और चिड़चिड़ापन महसूस होने लगता है, जो कुछ समय बाद गुस्से में बदल जाता है।

- हर समय किए जाने वाले या पेंडिंग कामों के बारे में सोचते रहना और यह डर बने रहना कि कहीं कुछ काम छूट तो नहीं गया।

- जब यह समस्या हद से ज्यादा बढ़ जाती है, तो इसकी वजह से एंग्जाइटी, स्ट्रेस, घबराहट महसूस होने लगते हैं और फिर आप मनोरोगी बन जाते हैं। देखा जाए, तो हरी सिकनेस कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक तरह की आदत है, जो अगर हद से ज्यादा बढ़ जाती है, तो कई मनोविकारों को जन्म दे देती है।

क्या है नुकसान

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प्रसिद्ध क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट अनुजा कपूर का कहना है, ‘‘हमारी लाइफ में स्ट्रेस जब जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है, तो पैनिक अटैक होने लगते हैं। आजकल की स्थिति में हर कोई खुद को चारों तरफ से घिरा पाता है। वर्क फ्रॉम होम की वजह से मल्टीटास्किंग तो करनी ही पड़ रही है, उस पर कुछ कंपनियों में सैलरी भी काटी जा रही है, ऐसे में किसी का भी परेशान होना लाजिमी है। इसे इस तरह समझना चाहिए कि आप मानो किसी बॉक्स में बंद हो गए हैं, जिससे बाहर निकलने का रास्ता ही समझ नहीं आ रहा है। इन सारी बातों का असर हमारी मानसिक और शारीरिक हेल्थ पर भी पड़ रहा है।’’

- हर समय हड़बड़ी में रहने की आदत आपकी फिजिकल, इमोशनल और मेंटल हेल्थ पर भी असर डालती है। जब आप अपना काम मन मुताबिक समय पर पूरा नहीं कर पाते, तो परेशान हो जाते हैं और यह महसूस होने लगता है कि आप कोई भी काम समय से पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इससे मन में हीन भावना भी जन्म लेने लगती है, जिसका सीधा असर आपकी इमोशनल हेल्थ पर पड़ता है।

- दिमाग में चिड़चिड़ापन रहने से आपसी झगड़े बढ़ते हैं और एक-दूसरे से िशकायतों का अंबार खड़ा हो जाता है।

- झगड़े और चिड़चिड़ापन तनाव को जन्म देते हैं और इससे जुड़ी समस्याएं पैदा हो जाती हैं, जिनमें प्रमुख है नींद ना आना, थकान, सिर दर्द, भूख ना लगना, पेट खराब होना, इम्युनिटी का कमजोर हो जाना आदि।

- हर समय तनाव रहने से ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज का खतरा भी बढ़ जाता है।

- जो लोग हरी सिंड्रोम के शिकार होते हैं, उनकी नींद का पैटर्न बिगड़ जाता है। ऐसे लोग जरूरत से ज्यादा सोने लगते हैं।

- कुछ लोगों में इस वजह से ईटिंग डिसऑर्डर बढ़ जाते हैं। या तो भूख बहुत लगने लगती है या फिर आप जरूरत से ज्यादा खाने लगते हैं। ये दोनों ही स्थितियां नुकसानदायक हैं।

क्या है समाधान

- जब काम का तनाव आप पर हावी हो जाए, तो अपनी रफ्तार थोड़ी धीमी कर लें। एकाध काम छूट भी जाएगा, तो इसका कोई बहुत बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।

- प्राणायाम और मेडिटेशन को अपने रुटीन में शामिल करें। इससेे दिमाग रिलैक्स होता है।

- एक बार में एक ही काम करने की आदत डालें। एक्सपर्ट्स इसे सिंगल पाॅइंटेडनेस कहते हैं। दरअसल, बहुत से लोग एक काम करते समय अगले 4-5 कामों के बारे में सोचते हैं, जिससे दिमाग अशांत हो जाता है। इसलिए आप जो भी काम करें, अपना ध्यान उसी पर फोकस करें।

- खुद को समझाएं कि गलती करना और कोई काम ना आना बिलकुल नाॅर्मल है। अकसर संयुक्त परिवारों में महिलाएं डरती हैं कि उनकी कमियां सास, ननद आदि पर जाहिर ना हो जाएं, इस हड़बड़ी में वे गलतियां कर बैठती हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा है, तो इस आदत को बदलें और हीन भावना से बाहर निकलें।

- अगर आपको यह लगता है कि करने के लिए बहुत से काम हैं, तो एक दिन पहले एक डायरी में लिख कर यह तय कर लें कि कौन सा काम पहले करना है और कौन सा बाद में। अपना एक टाइम शेड्यूल बनाएं और उसी के अनुसार काम करें।

- आपके हड़बड़ी में रहने से बच्चों में भी यही आदत विकसित होगी और वे भी आपकी तरह चिड़चिड़े और परेशान रहने लगेंगे। इसलिए जब लगने लगे कि आप भी हरी सिकनेस की गिरफ्त में आ रही हैं, तो अपने बच्चों के बारे में सोचें और खुद को थोड़ा थाम लें। पाॅजिटिव अप्रोच रखने से आप किसी भी समस्या से छुटकारा पा सकती हैं।