जरा गौर करें जब भी मौसम में ज्यादा बदलाव होता, जैसे सरदी से गरमी या गरमी से सरदी, तब लंबे समय तक त्योहरों के माध्यम से फास्टिंग का चलन है। नवरात्र इसी तरह का त्योहार है, जिसमें ज्यादा दिनों तक फास्टिंग की जाती है। फास्टिंग सही तरीके से करें जिससे शरीर में अच्छा असर देखने को मिले। न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. शिखा शर्मा के मुताबिक फास्टिंग के अलग-अलग तरीके हैं। वैदिक साहित्य में उपवास के तरीके के मुताबिक इस दौरान बहुत पानी पीना चाहिए। रोज कम से कम 2 लीटर पानी पीने की जरूरत होती है।
इंटरनल हीलिंग के लिए हर्बल काढ़ा पीएं, जिसमें अदरक, दालचीनी, हल्दी, तुलसी जैसी चीजें डाली जाती हैं।
उपवास रखने का मकसद है कि टॉक्सिंस शरीर से निकल जाए। जाहिर है कि लिवर को शरीर से टॉक्सिन निकालने के लिए अलग-अलग तरह के मिनरल की जरूरत होती है। व्रत में हीलिंग काढ़े, फ्रूट जूस, नीबू पानी, सामान्य पानी और नारियल पानी के माध्यम से लिवर को मिनरल और फ्रूक्टोस मिलना चाहिए। इससे उसे टॉक्सिन को डाइजेस्ट करके शरीर से बाहर निकालने का काम करने में आसानी होती है।
गलत फास्टिंग का तरीका अपनाने पर लिवर अपना काम ठीक से नहीं कर पाता है।
जब लोग फास्टिंग के दौरान फास्ट फूड खाते हैं, चाय पीते हैं, खूब तला-भुना खाते हैं, तो फास्ट में टॉक्सिन नहीं निकलता और पहले की तुलना में ज्यादा टॉक्सिन डिपॉजिट हो जाता है।
अच्छा होगा कि व्रत में छाछ, लस्सी जैसे प्रोबायोटिक ड्रिंक भी शामिल करें।