Wednesday 19 April 2023 02:51 PM IST : By Indira Rathore

इतना गुस्सा ठीक नहीं...

self-help

कुछ लोग स्वभाव से ही गुस्सैल होते हैं, तो कुछ लोगों को खास स्थितियों में गुस्सा आता है। कई बार अचानक या अकारण क्रोध आने लगता है। अगर ऐसा बार-बार होने लगे तो रिश्तों, सेहत और जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। गुस्सा आपको कंट्रोल करे, इससे पहले इस पर काबू पाना और गुस्से को सही मोड़ देना जरूरी है।

गुस्से में व्यवहार

फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन ढल अस्पताल, वसंत कुंज, दिल्ली में कंसल्‍टेंट साइकियाट्रिस्ट, मेंटल हेल्‍थ एंड बिहेवियरल साइंसेज के डॉ. त्रिदिप चौधरी कहते हैं, ‘‘गुस्से से निपटना आसान नहीं होता। कई बार इसके कारण अवांछित नतीजे झेलने पड़ते हैं। कुछ लोग चीखने-चिल्‍लाने, गाली-गलौज, अपशब्द बोलने या चीजें पटकने पर आमादा हो जाते हैं। वैसे कई बार गुस्‍सा मददगार भी होता है, क्योंकि इससे हम हालात में बदलाव करने या लक्ष्य हासिल करने में सफल होते हैं। लेकिन अगर यह कंट्रोल में ना रहे, तो खुद के साथ दूसरों का भी नुकसान हो सकता है। कुछ लोगों का गुस्सा उन्हें दुनिया से काट देता है, तो कुछ लोग इसे अभिव्यक्त नहीं कर पाते। दोनों ही स्थितियां बुरी साबित होती हैं। क्रोध को सही दिशा में चैनलाइज करना जरूरी होता है।

भय, तनाव, वित्तीय चिंताओं, संबंधों के स्‍तर पर परेशानियों या किसी ट्रॉमा की वजह से गुस्सा आ सकता है। क्रोध को स्‍वीकारने, संयमित रहने और इसे अभिव्यक्त करने में देरी करने से स्थिति काफी हद तक संभल सकती है। ट्रैफिक जाम, ऑफिस पॉलिटिक्स, घर की खराब आर्थिक स्थिति, दूसरों की टिप्पणियां, अत्यधिक थकान या बिगड़ते संबंध भी आपा खोने की वजह बन सकते हैं। तुरंत रिएक्ट करने के बजाय थोड़ा चुप होना सही विकल्प है।

जरूरी हैं ये जांचें

अगर ब्लड ग्लूकोज स्तर घट-बढ़ रहा हो, तो इसके शुरुआती लक्षणों में मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ाहट और गुस्से जैसे लक्षण दिखायी देते हैं। कई लोगों को पता नहीं चलता कि उन्हें डाइबिटीज हो चुका है। जब पैनक्रियाज में इंसुलिन कम बनने लगे, तो व्यक्ति का व्यवहार प्रभावित होता है, इससे सुस्ती, क्रोध, मूड में उतार-चढ़ाव या फटीग जैसे लक्षण दिखते हैं।

इसी तरह थाइरॉयड ग्लैंड में थाइरॉक्सिन हारमोन का स्राव कम होने लगे, तो हाइपोथाइरॉयडिज्म की समस्या हो सकती है। इसमें भी थकान, सुस्ती, चिड़चिड़ापन और क्रोध आने लगता है।

अगर आप जल्दी क्रोधित होते हैं, क्रोध में चिल्लाते या हांफते हैं, थकते हैं, पसीना ज्यादा आता है और अकारण चिंतित रहते हैं, तो हाई ब्लड प्रेशर की जांच जरूर कराएं।

बर्नआउट सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों को भी जल्दी गुस्सा आता है। काम के लंबे घंटे, जीवन के नीरस होने, कुछ भी रुिचकर या रोमांचक ना कर पाने, नींद पूरी ना होने जैसे कई कारणों से बर्नआउट सिंड्रोम की समस्या हो सकती है।

क्या करें जब गुस्सा आए

उन स्थितियों को समझें, जिन पर गुस्सा आता है। उन भावनाओं को पहचानें, जो उस वक्त महसूस होती हैं। गुस्सा पैदा करनेवाली स्थितियों से खुद को अलग ले जाने का प्रयास करें। ऐसे वक्त कुछ भी बोलने या फैसला लेने से बचें। स्थिति से दूर हटने या किसी की बात का जवाब ना देने का मतलब कमजोर होना नहीं, बल्कि खुद को बचाना है।

ये आदतें अपनाएं

नियमित प्राणायाम या डीप ब्रीदिंग से मन में छिपे बुरे विचारों से राहत मिलती है। किसी सुंदर दृश्य को देखें, खूबसूरत बात याद करें, कुछ भी ऐसा करें, जो मन को राहत प्रदान करे। रिलैक्‍सेशन तकनीक अभ्‍यास से ही आती है। शुरू में आपको लग सकता है कि इससे कोई फायदा नहीं है, लेकिन निरंतर अभ्यास से आप माहिर हो सकते हैं और क्रोध को शांत कर सकते हैं।

वॉक करें, कॉमेडी शो देखें, कुछ पढ़ें। हालात कभी कंट्रोल में होते हैं, तो कभी नहीं होते। तो फिर क्यों ऐसी चीजों पर नाहक सिर खपाएं, जिससे कुछ हासिल नहीं। कुछ ऐसा सोचें, जिससे खुश रह सकें। दूसरों की बातों से आहत हैं तो उन्हें माफ करके देखें। नकारात्मक भावनाएं कम हो जाएंगी और आप बेहतर महसूस करेंगे।