Wednesday 23 September 2020 05:46 PM IST : By Gopal Sinha

कहीं अाप भी एलर्जी से परेशान तो नहीं


एलर्जी होने की वजह चाहे पता ना हो, पर किन चीजों से यह हो सकती है, यह मालूम हो सकता है। एलर्जी से दूर रहने के अौर क्या-क्या तरीके हो सकते हैं?

allergy


पल्लवी पहली बार अपनी ससुराल में सबके साथ बैठ कर खाना खा रही थी। अचानक सबने देखा कि खाते-खाते पल्लवी का चेहरा लाल हो गया अौर दाने से उभर अाए। सब घबरा गए अौर तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले गए, तो पता चला कि उसे खाने की किसी चीज से एलर्जी हो गयी है। बाद में जांच से पता चला कि पल्लवी को सोयाबीन से एलर्जी है।
सिर्फ पल्लवी ही नहीं, उस जैसे अनेक लोग अाज एलर्जी की दिक्कत से जूझ रहे हैं। यह एलर्जी क्या बला है, किन चीजों से होती है, इसका इलाज क्या है अौर इससे कैसे बचा जा सकता है, इन सवालों के जवाब जानते हैं दिल्ली स्थित वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. अशोक भटनागर से। क्या कहते हैं डॉ. भटनागर एलर्जी के बारे में-
एलर्जी क्या है? दरअसल जब हमारे शरीर का सामना पहली बार किसी बाहरी चीज से होता है, तो शरीर उस चीज के प्रति एंटीबॉडीज बना लेता है, ताकि अगली बार उस चीज को शरीर पहचान सके। एलर्जी पैदा करनेवाली चीजों में पराग कण, खाने-पीने की चीजें, दवाएं, धूल कण अादि अाते हैं।
इन चीजों के संपर्क में अाने पर हमारे शरीर में 2 तरह की एंटीबॉडीज बनती हैं - पहली एंटीबॉडी शरीर में उस चीज के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर देती है अौर दूसरी उसके प्रति रिएक्शन पैदा करती है। यही एलर्जी है। इस रिएक्शन की वजह से बॉडी में हिस्टामिन नाम का केमिकल उत्पन्न होता है, जो नाक बहने, अांखों में पानी अाने, सूजन या रैशेज जैसी परेशानियां पैदा करता है। एलर्जी कई बार जानलेवा साबित हो सकती है, अगर यह मुंह अौर सांस की नली में हो, तो इससे दम घुट सकता है।
एक्सपर्ट्स अभी इस बात का पता नहीं कर पाए हैं कि शरीर क्यों अौर किस तरह पहली या दूसरी किस्म की एंटीबॉडीज को उत्पन्न करने का फैसला लेता है। जब तक इम्यूनोलॉजिस्ट अौर विशेषज्ञ एलर्जी से संबंधी गुत्थी को सुलझा पाने में सफल हों, तब तक हम कुछ कदम उठा कर इससे बच सकते हैं।

इम्यून सिस्टम सक्रिय रखें


क्या अापने गौर किया है कि जो बच्चे ज्यादा समय तक बाहर खेलते-कूदते रहते हैं, वे उन बच्चों की तुलना में कम बीमार पड़ते हैं, जो अधिकांश समय घर के अंदर जर्म फ्री माहौल में गुजारते हैं। इसका सीधा मतलब है कि अगर हमारा इम्यून सिस्टम वायरस के संपर्क में ज्यादा नहीं अाया, तो शरीर की कोशिकाएं कुछ ज्यादा ही सतर्क हो जाती हैं अौर किसी वायरस के संपर्क में अाते ही एलर्जी जैसी प्रतिक्रिया दिखाती हैं। बार-बार एंटी बैक्टीरियल उत्पादों से हाथ धोना या बहुत अधिक सफाई पसंद होना अकसर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बना सकता है। अगर बचपन से ही हमारा सामना जर्म्स अादि से होता रहे, तो अस्थमा या किसी दूसरी एलर्जी का खतरा कम हो जाता है।


रसायन अौर प्रदूषण का असर


हमारे जीवन में केमिकल्स इस कदर घुल गए हैं कि पूछिए मत। फ्लोर क्लीनर, मच्छर भगाने की दवा या पेस्टिसाइड्स अौर कार से निकलनेवाला धुअां, कारपेट में छिपे धूल के कण, सिगरेट का धुअां अादि में बहुत से ऐसे तत्व छिपे होते हैं, जो हमारे इम्यून सिस्टम को खराब कर सकते हैं अौर हमें एलर्जी पैदा करनेवाली चीजों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं। अाजकल खेतीबाड़ी में पेस्टिसाइड्स वगैरह का बहुत इस्तेमाल हो रहा है, जिसके कारण बाजार में मिलनेवाले फल-सब्जियों में भी रसायनों की अच्छी मात्रा होती है। बेहतर होगा इन फल-सब्जियों का इस्तेमाल करने से पहले इन्हें अच्छी तरह पानी से धो लें। एलर्जी से बचने के लिए अपने घर के दरवाजे-खिड़कियां खोल कर बाहर की हवा अाने दें। घर में काम अानेवाली रसायनयुक्त चीजों का इस्तेमाल करने से पहले रबड़ के दस्ताने व जूते पहन लें।

दोस्ती विटामिन डी से


धूप में कम निकलने अौर खाने-पीने की चीजों में विटामिन की कमी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करती है। अगर हम विटामिन डी से दोस्ती कर लें, तो एलर्जी से दूर रहेंगे। एक शोध में देखा गया कि जब गर्भवती महिलाअों की डाइट में विटामिन डी की मात्रा बढ़ायी गयी, तो उनके बच्चों में अस्थमा होने का खतरा 40 प्रतिशत तक कम हो गया। शरीर को विटामिन डी ज्यादा मिले, इसके लिए गला व सीने के ऊपरी भाग को रोजाना कम से कम 25-30 मिनट धूप के संपर्क में रखें, मछली जैसी विटामिन डी से भरपूर चीजें खाएं। अपने डॉक्टर से पूछ कर विटामिन डी सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।

फैमिली हिस्ट्री भी कारण


एलर्जी बहुत हद तक अानुवंशिक होती है। जो व्यक्ति एलर्जी से परेशान रहते हैं, उनके बच्चों में इसके होने की अाशंका दोगुनी होती है। अमेरिकन एकेडमी अॉफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक, इस स्थिति में बच्चे के 4 माह का होने तक उसे मां का दूध जरूर पिलाना चाहिए। बच्चे को ऐसा फॉर्मूला मिल्क भी पिला सकते हैं, जो हाइड्रोलाइज्ड हो। इससे एलर्जी कम परेशान करती है। फैमिली हिस्ट्री से यह भी पता चल सकता है कि एलर्जी पैदा करनेवाली किन चीजों से बचना है। विशेषज्ञ कहते हैं कि चाहे यह अभी तक साबित ना हुअा हो कि प्रेगनेंसी में दूध या मूंगफली जैसी चीजें नहीं खानी चाहिए, लेकिन बेहतर यही है कि गर्भवती महिलाएं व बच्चे एलर्जी पैदा करनेवाली चीजों से परहेज ही रखें।
अगर किसी चीज से अापको बहुत अधिक एलर्जी हो, तो उससे बचने के बजाय उसका मुकाबला करें, उसके संपर्क में बार-बार अाएं। बहुत मुमकिन है कि अापको उस चीज से बाद में एलर्जी कम हो। जैसे अापको बचपन में अंडे से एलर्जी थी, तो अाप डॉक्टर की सलाह व देखरेख में अब उसे अपने खाने में नियमित शामिल कर सकते हैं।

एलर्जी किन चीजों से


खाने-पीने की जिन चीजों से अामतौर पर एलर्जी होती है, उनमें ये चीजें शामिल हैं- दूध, अंडे, मूंगफली, बादाम, काजू, अखरोट, मछली, शेलफिश, सोयाबीन अौर गेहूं। इसके अलावा धूल कण, फूलों से निकलनेवाले पराग कण एलर्जी की वजह बनते हैं। यह अच्छी बात है कि बच्चों में मूंगफली, सूखे मेवे व शेलफिश को छोड़ कर अन्य चीजों के प्रति अामतौर पर 10 साल की उम्र के बाद एलर्जिक सेंसेटिविटी उत्पन्न होती है। ऐसी एलर्जी सामान्य रूप से जीवनभर पीछा नहीं छोड़ती है।

बच्चों को कैसे बचाएं


अाज एलर्जी से परेशान होनेवाले लोगों की बड़ी संख्या है। बच्चों में यह बहुत अधिक बढ़ी है। भारत के अांकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन अमेरिका में 1997 से 2011 के बीच बच्चों में फूड एलर्जी के मामले 50 प्रतिशत बढ़े हैं। यह सच है कि अमेरिका जैसे विकसित देशों में जहां बच्चों का कीटाणुअों से कम सामना होता है, वे एलर्जी के अधिक शिकार होते हैं। बचपन से ही कुछ ऐसे उपाय करें, ताकि बड़े हो कर उन्हें एलर्जी की परेशानी ना हो-
⇛ शिशुअों को शुरू के महीनों में स्तनपान करा कर उन्हें एलर्जी से बचाया जा सकता है।
⇛ बच्चों को बाहर जा कर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे वे जर्म्स के संपर्क में अधिक अाएंगे अौर उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होगी। उन्हें धूप में खेलने दें, उन्हें विटामिन डी मिलेगा।
⇛ घर में कोई पालतू जानवर रखें। एक स्टडी के अनुसार जानवर के फर व उसकी लार में मौजूद डैंडर, धूल कण अौर बैक्टीरिया के संपर्क में अाने से एलर्जी की अाशंका कम होती है। पालतू जानवर बच्चों में अच्छे बैक्टीरिया उत्पन्न करने में भी मदद करते हैं।
⇛ बच्चों के अासपास सिगरेट अादि ना पिएं।