क्या अाप भी अपनी अौर अपने परिवार के सदस्यों की सारी डॉक्टरी रिपोर्ट्स संभाल कर रखती हैं, ताकि किसी बीमारी की स्थिति में उपचार में अासानी हो। अकसर हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को जरूरत के मुताबिक अलग-अलग दवाएं लेनी पड़ती हैं अौर जाहिर है उन्हें उनके नाम जबानी याद नहीं होंगे। ऐसे में पिछले प्रिस्क्रिप्शन बहुत मददगार साबित होते हैं। इसी तरह अापको किसी मेडिसिन से एलर्जी हो, कोई दवा अापको सूट नहीं करती हो, तो वह सब अापके डॉक्टर को मालूम हो जाएगा अौर वे इन तथ्यों का ख्याल रख कर ही अापका अागे उपचार करेंगे। अाइए, जानते हैं कि अाप अपने मेडिकल डॉक्युमेंट्स को किस तरह संभाल कर रख सकती हैं अौर कैसे वक्त अाने पर इससे मदद मिल सकती है-
बनाएं मेडिकल लिफाफा
अाप किसी अस्पताल में एडमिट हैं अौर डिस्चार्ज के समय अस्पताल अापको वहां कराए गए सभी टेस्ट की रिपोर्ट्स, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, अादि की फिल्म, टेस्ट की सीडी व डॉक्टरी सलाह की कॉपी देते हैं। उन्हें एक बार जांच लें अौर कुछ मिसिंग हो, तो उनसे मांगें। अपनी बीमारी से संबंधित सभी पेपर्स उसी दिन संभाल कर एक बड़े लिफाफे या बाइंडर फाइल में क्रम से रख लें। परिवार के प्रत्येक सदस्य के मेडिकल रेकॉर्ड्स रखने के लिए अलग-अलग लिफाफे बनाएं अौर उन पर उनके नाम मोटे अक्षरों में लिखें। नाम के साथ जन्मतिथि, इमरजेंसी कॉन्टेक्ट नंबर, कोई गंभीर बीमारी हो तो उसकी इन्फॉर्मेशन अौर कोई एलर्जी हो तो उसे भी लिखें। जब भी घर में कोई बीमार पड़े अौर डॉक्टर के पास जाना पड़े, तो डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन, टेस्ट रिपोर्ट अादि संबंधित लिफाफे में उसी दिन रख दें।
बच्चों के वैक्सीनेशन का शेड्यूल, पैपस्मीयर टेस्ट, मैमोग्राम, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम अादि की रिपोर्ट को रखना बेहद जरूरी है। परिवार के पुरुष सदस्यों के प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट भी जरूर रखें। बाहर से कराए गए टेस्ट वगैरह की रिपोर्ट अाप उसी लिफाफे में रखें।
पूरे परिवार की मेडिकल रेकॉर्ड्स की हार्ड कॉपी यानी प्रिंटेड कॉपीवाले लिफाफे या बाइंडर फाइल को एक साथ एक बॉक्स में रखना भी जरूरी है, ताकि जरूरत पड़ने पर बिना अफरातफरी के तुरंत मिल जाए। यह बॉक्स किसी ऐसी जगह पर रखें, जहां अासानी से नजर जाती हो।
कलर कोड का प्रयोग
जरूरत के समय अापके परिवार के सदस्यों की मेडिकल रिपोर्ट्स तक पहुंच अासान हो, इसके लिए उन्हें अलग-अलग रंगों के फोल्डर में भी रख सकती हैं। हर सदस्य के लिए उनके मनचाहे रंग की फाइल ले अाएं अौर उनके सारे मेडिकल डॉक्युमेंट्स उसी खास फोल्डर में रखें। जिनकी फैमिली छोटी है, वे एक ऐसी मोटी बाइंडर फाइल में सबकी रिपोर्ट रख सकते हैं, जो 3-4 अलग-अलग रंगों की लीफ में बंटी हो। इससे एक ही जगह पर पूरे परिवार की मेडिकल रिपोर्ट्स सुरक्षित रहेंगी।
स्मार्ट डिजिटल रेकार्ड्स
कहने की जरूरत नहीं कि इन दिनों सब कुछ डिजिटल हो रहा है, चाहे वह एक्सरे हो, अल्ट्रासाउंड हो या सीटी स्कैन या एमअारअाई। पैथ लैब की रिपोर्ट भी अॉनलाइन डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध रहती हैं। अाप ये सारी रिपोर्ट्स अपने कंप्यूटर में अलग-अलग नामों की फाइल बना कर सेव करें। कंप्यूटर में सेव फाइलों को अलग-अलग पेन ड्राइव में कॉपी करके रख लें अौर हर पेन ड्राइव पर संबंधित व्यक्ति का नाम लिख दें। अाप चाहें, तो अपनी रिपोर्ट की फाइल की सीडी भी बनवा सकती हैं, जिसमें डेटा सुरक्षित रहता है। अस्पताल में डॉक्टर अपने कंप्यूटर में पेन ड्राइव या सीडी के माध्यम से अापकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री से वाकिफ हो सकते हैं।
किसी डिवाइस में डेटा रखने के साथ-साथ अाप चाहें तो अपनी रिपोर्ट्स को अॉनलाइन भी स्टोर करके रख सकती हैं। इंटरनेट पर अापको urhealthrecord.com जैसी अनेक साइट्स मिल जाएंगी, जहां अाप अपना मेडिकल रेकॉर्ड स्टोर कर सकते हैं, जिसे कहीं भी इसे एक्सेस किया जा सकता है। बस इन साइट्स में प्राइवेसी पॉलिसी का जरूर ध्यान रखें, अकसर मेडिकल इंश्योरेंस कंपनियां अनसिक्योर्ड साइट्स से डेटा हासिल कर इंश्यारेंस पॉलिसी खरीदने के लिए अापके पीछे पड़ सकती हैं। अच्छी बात यह है कि कुछ साइट्स परिवार के किसी सदस्य के बीमार पड़ने पर किसी इमरजेंसी में अापको सूचित करती हैं या किसी दवा के लिए रिमाइंड कराती हैं।