Wednesday 23 September 2020 05:47 PM IST : By Ruby Mohanty

उपवास रखने से बिगड़ ना जाए सेहत

अाहार विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अगर सेहत में पहले से ही गड़बड़ी है, तो उपवास करते समय अौर भी सतर्कता बरतनी जरूरी है।

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उपवास रखना रुटीन अादतों के विपरीत एक चैलेंज की तरह है। खासतौर पर डाइबिटीज के मरीजों के विषय में यह बात वाकई सटीक लगती है। डाइबिटीज के मरीजों के लिए यह माना जाता है कि ब्लड शुगर में नियंत्रण दरअसल हेल्दी खाने अौर समय से खाने पर निर्भर करता है। ऐसी स्थिति में अगर एक भी मुख्य अाहार व्रत की वजह से छोड़ना पड़ जाए, तो शरीर पर क्या असर पड़ता है यह सोचनेवाली बात है। दिल्ली की न्यूट्रिशनिस्ट शिखा शर्मा के मुताबिक, ‘‘डाइबिटीज के हर मरीज की स्थिति अलग होती है, अगर अाप टाइप 1 या टाइप 2 डाइबिटीक हैं, तो बहुत ध्यान से फास्ट रखने की जरूरत है, क्योंकि मरीज को व्रत के दौरान हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर), बेहोशी या चक्कर अाने की समस्या हो सकती है। कई बार मरीज की िस्थति इतनी गंभीर होती है कि वह कोमा में चला जाता है। अगर सही वक्त में इलाज नहीं मिल पाया, तो मृत्यु भी हो सकती है। इसके बावजूद हाई ब्लड शुगरवाले बिना इंसुलिन लिए व्रत में खून में बननेवाले किटोन्स नाम के एसिड के खतरे झेलते हैं। अगर व्रत में दिनभर में पर्याप्त पानी नहीं पिया जाए, तो डिहाइड्रेशन हो सकता है। कुछ व्रत निर्जला रखने का विधान है, लेकिन डाइबिटीज के मरीज को एेसे व्रत से खासतौर पर बहुत नुकसान पहुंचता है।’’
 वैसे तो चिकित्सक अनियंत्रित या उच्च डाइबिटीज होने पर व्रत ना करने की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे उच्च रक्तचाप व एंग्जाइटी (घबराहट अौर बेचैनी) की अाशंका रहती है। शुगर कंट्रोल रहता है, तो भी चिकित्सक से जरूर बात कर लें। व्रत के दौरान दवा लेना बंद नहीं करें। अगर दवा का समय बदल रहे हैं, तो भी डॉक्टर को बताना ना भूलें। व्रत से पहले रक्त में ग्लूकोज का स्तर देखें। उतार-चढ़ाव की स्थिति में हिसाब में दवाएं बदली जाएंगी। व्रत के दौरान पसीना, कमजोरी, घबराहट हो रही है, तो इसका मतलब है कि रक्तसंचार कम हो रहा है, ऐसे में तुरंत व्रत छोड़ कर मीठा पेय िपएं। व्रत के बाद एकदम से गरिष्ठ भोजन ना करें। भोजन में सब्जियों की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। अनाज, फल का भी सेवन करें। ये धीरे-धीरे पचने के साथ रक्त में ग्लूकोज की मात्रा धीमी गति से बढ़ाते हैं।
लो बीपी में व्रत
लो बीपी के मरीज खासतौर पर व्रत रखते समय इस बात का ध्यान रखें कि वे सारे दिन कुछ ना कुछ खाते रहें। सारे दिन समय-समय पर पानी भी पिएं। यह ना मान लें कि सिर्फ पानी पीने से भी उपवास सही रहेगा, क्योंकि पानी यूरिन अौर पसीने के माध्यम से बाहर निकल जाता है। दोपहर बाद तक शरीर का बीपी लो होने लगता है। इसलिए जरूरी है कि सिर्फ पानी पीने की जगह बीच-बीच में सोडियम अौर पोटैशियम के कॉम्बिनेशनवाला कोई ड्रिंक पिएं। नेचुरल जूस जैसे नारियल पानी, तरबूज का रस, चीनी-नमक मिला नीबू पानी लें। बहुत नमकवाली तली चीजें व चीनी ना खाएं। लाइट एक्सरसाइज या वॉकिंग करना ना छोड़ें। इससे ब्लड सर्कुलेशन सही रहेगा। व्रत के समय तेज गरम पानी से ना नहाएं। इससे मांसपेशियां भले ही रिलैक्स रहें, लेकिन ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं रहता है। गरमियों में रखे जानेवाले उपवास में खासतौर पर तेज धूप में जाने से बचें, क्योंकि इससे बीपी लो हो जाने की समस्या होती है। पूरी नींद ना लेने पाना भी लो बीपी की वजह है। अगर अाप लंबे समय तक के लिए फास्ट रखना चाहती हैं, तो डॉक्टरी राय लेना ना भूलें। 
प्रेगनेंसी में व्रत कैसे रखें
अपने मन को शांत रखें अौर तनाव को दूर रखें। अगर अापके परिवार में किसी ने या सहेली ने व्रत रखा हो, तो उनसे अपना तजुर्बा जरूर पूछें। अपने अापको कूल रखें, क्योंकि अापको इस स्थिति में डिहाइड्रेशन हो सकता है। अगर फास्ट रखना बहुत जरूरी है, तो अपने डॉक्टर को सबसे पहले इसकी जानकारी दें। डॉक्टर अापकी मेडिकल हिस्ट्री देख कर तय करेंगे कि अापको फास्ट रखना है या नहीं। व्रत में सिर दर्द, थकान, बेहोशी, उनींदापन, जबर्दस्त एसिडिटी की समस्या हो सकती है। अगर इसमें से कोई भी लक्षण अापको महसूस हो, तो फौरन डॉक्टरी राय लें। कुछ उपवास में फल, दूध, जूस अौर ड्राई फ्रूट खाना स्वीकार्य है। फ्रेश फल अौर सब्जियांं खाएं। अायरन जैसे मुख्य पौष्टिक तत्व फास्ट में लें। बहुत शुगरी ड्रिंक्स अौर चाय-कॉफी ज्यादा ना पिएं। ताजे फलाें का जूस पिएं। अगर गरमियाें के दिन हैं, तो तेज धूप में निकलने से बचें। अगर अापको जरूरत से ज्यादा थकान, पेट में भारीपन, मितली अौर एसिडिटी की समस्या महसूस होती हो, तो डॉक्टरी सलाह लें।
गैस अौर एसिडिटी में व्रत
ऐसा माना जाता है कि उपवास करने से शरीर विष मुक्त यानी डिटॉक्स होता है। पर सच तो यह है गैस अौर एसिडिटी से पीड़ित लोगों को उपवास रखने में सबसे ज्यादा कठिनाइयां होती है। गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. सरोज दुबे के मुताबिक, अपने डॉक्टर से सलाह लें, क्योंकि गैस्ट्रिक अौर एसिडिटी की समस्या उपवास के पहले 3-4 घंटे में शुरू हो सकती है।
खट्टी डकारें अौर गले में जलन होने लगे, तो गुनगुना पानी पिएं। अाइस वॉटर डाइजेशन को बहुत धीमा कर देता है अौर डाइजेस्टिव जूसेस डिस्टर्ब हो जाती हैं। इसीलिए ठंडे पानी के बजाय थोड़ा-थोड़ा गुनगुना पानी पिएं। कच्चे नारियल का पानी भी फायदेमंद है। अालू ना खाएं। कुट्टू की पकौड़ियों की मात्रा कम अौर दही की मात्रा ज्यादा रखें। तले भोजन की जगह ताजे फलों अौर छाछ का सेवन करें। जो भी व्रताहार लें, वह देर शाम खाने से बचें। ज्यादा चाय ना पिएं।