आमतौर पर हम अपने घर में इमरजेंसी के लिए जो दवाएं रखते हैं, वे सभी एलोपैथिक होती हैं। कुछ एलोपैथिक दवाओं के अलावा आप कुछ होम्योपैथी दवाओं को भी घर में रख लेंगे, तो वे बिना किसी साइड इफेक्ट के आपके बहुत काम आ सकती हैं। मुंबई की होम्योपैथिक डाॅक्टर उमैमा मर्चेंट के अनुसार, ‘‘पिछले दिनों जब कोविड-19 बीमारी के मामले बहुत तेजी से फैल रहे थे, तब भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने भी इसके लक्षणों के इलाज के लिए होम्योपैथी दवाओं की सिफारिश की थी। पहले विश्व युद्ध के दौरान स्पेनिश फ्लू नाम का पैंडेमिक बहुत तेजी से फैला था। उस समय ब्रायोनिया और जेल्सेमियम जैसी होम्योपैथिक दवाएं इस बीमारी के मरीजों को ठीक करने के बहुत काम आयी थीं। आज के समय में भी ना सिर्फ कोरोना जैसी बीमारी से लड़ने के लिए, बल्कि कई आम तकलीफों को दूर करने के लिए भी आप घर में कुछ होम्योपैथिक दवाएं जरूर रखें।’’
एकोनाइट 1M: यह दवाई एंग्जाइटी, घबराहट को काबू में करती है। अगर कोई व्यक्ति किसी वजह से डरा हुआ है, तनाव में है, तो उसे सूखी खांसी, सांस फूलना जैसे लक्षण दिखायी देने लगते हैं। ऐसी स्थिति में यह दवा बहुत काम आती है।
आर्सेनिक एएलबी 30 / 200: जरा सा काम करने के बाद बहुत थकान महसूस करते हैं। ठंडा पसीना, रात का सोते समय खांसी, गला सूखना, तेज बुखार हो और घबराहट महसूस हो, तो यह दवा लें।
ब्रायोनिया 200: अगर दर्द महसूस हो, जो चलने-फिरने से बढ़ जाता हो, तो यह दवा लें। इसके अलावा रात के समय सूखी खांसी होना, सांस लेने में तकलीफ होना, याद्दाश्त कमजोर होना जैसी तकलीफों में यह दवा काम आती है। यह दवाई कब्ज होने पर भी दी जाती है।
कैंफर 1M: शरीर एकदम से ठंडा लगने लगे, पल्स धीमी पड़ने लगे, दम घुटने लगे, बहुत दम लगा कर खांसी हो, तो कैंफर 1एम लें।
एलो सोकोट्रीना: शरीर में होनेवाली ब्लोटिंग को यह दवा दूर करती है। लूज मोशन हो रहे हों या रेक्टम में जलन हो रही हो, तो यह दवा काम आती है।
आर्निका 30: गिरने की वजह से अगर चोट लग जाए, सूजन आ जाए, तेज खून बह रहा हो, दर्द हो रहा हो, तो आर्निका मददगार साबित होती है। इसे घर में जरूर रखना चाहिए।
बेलाडोना: जिस घर में बच्चे हों, वहां बेलाडोना जरूर होनी चाहिए। टॉन्सिल्स की वजह से गले में दर्द हो, खाना और पानी निगलने में भी तकलीफ हो रही हो, बच्चा डर कर रो रहा हो, तो बेलाडोना दें।
कप्रम मेटालिकम: इसे कप्रम मेट भी कहा जाता है। तेज खांसी के साथ उबकाई या उलटी आ रही हो, ऐसा आमतौर पर रात को सोते समय होता है, तो यह दवा फायदेमंद रहती है।
डल्कामारा: सरदी-खांसी और बलगम होने पर डल्कामारा दें। यह बलगम में खून आने की स्थिति में भी फायदेमंद है।
जेल्सेमियम 200: चेस्ट में कफ हो, साइनस हो, बेहोशी छा रही हो, कमजोरी महसूस हो रही हो, तो यह दवा दी जा सकती है। कुछ मानसिक बीमारियों जैसे डिप्रेशन की वजह से घबराहट होना, हाथ-पैर कांपना या अकेले रहने का मन करने जैसे लक्षणों में भी यह दवाई दी जाती है।
नक्स वॉमिका: पेट खराब होना, बदहजमी के कारण होनेवाले सिरदर्द में यह दवा काम आती है। ज्यादा शराब पीने के कारण होनेवाले हैंगओवर को भी यह दवा ठीक करती है।

कैलेंडुला: शरीर में कोई घाव हो गया हो, तो जलने या छिलने पर या मुंह में छाले होने पर कैलेंडुला काम करती है। इसके सॉल्यूशन से घाव की सफाई भी की जाती है। छोटे बच्चों को डायपर रैशेज होने पर भी इसका सॉल्यूशन लगाया जा सकता है।
रस टॉक्सः मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द होने पर, चिकन पाॅक्स या किसी और वजह से दाने या रैशेज होने में यह काम आती है।
एपिसः कहीं बाहर घूमने जाएं, तो इस दवा को अपने साथ जरूर रखें। किसी कीड़े के काटने से जब त्वचा लाल हो कर सूज जाए और दर्द भी हो, तो यह दवा काम आती है।
पल्सैटिलाः नाक बहना, हल्का कफ और खांसी की शुरुआत में ही अगर यह दवा दे दी जाए, तो फिर यह बीमारी को वहीं बढ़ने से रोक देती है। इसे कान में दर्द होने, सिर चकराने और बेहाशी छाने पर भी दिया जाता है।