Monday 18 September 2023 04:44 PM IST : By Indira Rathore

जब मन बहुत ज्यादा अशांत या परेशान हो, तो आजमाएं ये टेक्नीक

self-help

इनर पीस फॉर बिजी पीपुल पुस्तक के लेखक जॉन बोरिसेन्को की ये पंक्तियां आज की लाइफस्टाइल पर फिट बैठती हैं। घर से निकलते हुए देर होना, ट्रैफिक का रुला देना, ऑफिस में बॉस का गुस्सा, बच्चों की बढ़ती फीस, बिजली का बढ़ता बिल और बीमार होता दिल... मन को अशांत करने की ढेर सारी वजहें हैं। कभी हम ऑल इज वेल कह कर खुद को दिलासा देते हैं, तो कभी परेशान होते हैं। हर कोई अपने भीतर-बाहर एक युद्ध लड़ रहा है और शांति के लिए कभी अध्यात्म, धर्म, सामाजिक कार्य, तो कभी योग-ध्यान की शरण लेता है। बात-बेबात मन को अशांत करेंगे, तो जल्दी ही मेंटल-फिजिकल और इमोशनल हेल्थ प्रॉब्लम्स से जूझने लगेंगे। कुछ माइक्रो-प्रैक्टिसेज हैं, जिनसे मन को थोड़ा शांत रखने में मदद मिल सकती है। जानें क्या हैं ये अभ्यास-

सांसों से दोस्ती कर लें

सांसें हमारी सबसे अजीज दोस्त हैं। जीवन इन्हीं पर टिका है। कुछ देर मुंह बंद करके नाक से लंबी-गहरी सांस अंदर भरें। कुछ सेकेंड्स सांस रोकें और फिर मुंह खोल कर धीरे-धीरे बाहर करें। एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब हम धीरे-धीरे सांस को बाहर निकालते हैं, तो इससे पैरासिंपेथेटिक नर्वस सिस्टम स्टिमुलेट होता है और शरीर को सिग्नल मिलता है कि वह आराम की स्थिति में है।

हसीन यादों का मंजर

हर किसी के पास कोई हैप्पी प्लेस जरूर होती है। चाहे वह घर या ऑफिस का कोई कोना हो, या फिर कोई पेंटिंग, फैमिली फोटो कोलाज या स्टेच्यू...। मन अशांत हो, तो उस हैप्पी चीज के बारे में सोचें। आंखें बंद करें। अपनी उस फेवरेट प्लेस, पालतू, यादगार छुट्टी, खुशगवार पल या लाजवाब स्वाद के बारे में सोचें। उस स्पर्श, खुशबू, दृश्य या साउंड को दिमाग में आने दें। अशांत दिमाग को ये ट्रिक्स राहत देंगी।

छोटी सी आशा

दुख, दुर्घटना या अनिश्चित दौर में ये छोटी सी ट्रिक आजमाएं। दस तक गिनती करें और स्ट्रेस को रिलीज करने की कोशिश करें। खुद से कहें कि सब अच्छा होगा। जब हम कुछ पॉजिटिव बातें बार-बार दोहराते हैं, तो दिमाग तुरंत हरकत में आता है। ये बातें मेमोरी में फीड हो जाती हैं। शब्दों में बड़ी ताकत होती है।

लव यू जिंदगी

भगत सिंह ने कहीं लिखा था- जिंदगी का मकसद और कुछ नहीं, जिंदगी होता है। जीवन के लिए कृतज्ञ होना जरूरी है। सुबह उठें, तो इस बात के लिए कृतज्ञ हों कि एक नए दिन का उपहार आपको मिला है, इसे कैसे बिताना है, यह आप पर निर्भर करता है। फूल को खिलते, बच्चे को खिलखिलाते या पंछी को उड़ते देख मोहित होना सीखें। होंठों पर प्यारी सी स्माइल आएगी, तो मस्तिष्क इस बात को नोटिस करेगा कि आप खुश हैं। उन बातों की लिस्ट बना कर देखें, जिनमें खुशी मिलती है। अगर थोड़ा सा वक्त हो और अगले दिन नयी ऊर्जा के साथ उठना चाहते हों, तो सोने से पहले अपनी डायरी में लिखें कि दिन का कौन सा हिस्सा खुशगवार गुजरा और किस बात के लिए जिंदगी को शुक्रिया कहना चाहते हैं। ये चंद पंक्तियां आपको अपराध-बोध, फ्रस्ट्रेशन, स्ट्रेस और टेंशन से मुक्त करने में कारगर होंगी। अच्छी नींद आएगी और अगली सुबह नयी पॉजिटिविटी के साथ जागेंगे। इससे नया दिन भी बेहतर बनेगा।

रेन टेक्नीक

मेडिटेशन टीचर मिशेल मैकडोनल्ड ने एक तरीका विकसित किया था। रेन यानी आरएआईएन। आर-रिकगनाइज, ए-अलाउ, आई-इनवेस्टिगेट, एन-नॉन-आइडेंटिफाई। इस टेक्नीक से परेशान करने वाली भावनाओं को मैनेज करने में आसानी हो सकती है।

रिकगनाइजः क्या हो रहा है, इसे समझने की कोशिश करें। उन विचारों को पहचानें, जो परेशान कर रहे हैं। बिना जजमेंटल हुए उनका आकलन करें।

अलाउ या एक्सेप्टः विचारों को रोकें नहीं, आने दें, स्वीकार करें। जीवन में जो हो रहा है, होने दें। इसका मतलब यह नहीं है कि आप इन विचारों को पसंद करते हैं, बल्कि इसका अर्थ है कि आप इनका सामना करने की कूवत रखते हैं। जैसे पैसे से जुड़ी समस्या मुझे परेशान कर रही है। इसे मानेंगे, तभी समाधान भी ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे।

इन्वेस्टिगेटः विचारों की तह में जाने की कोशिश करें। आपको अपने भीतर क्या महसूस हो रहा है, इसे समझें। सोचें कि कौन सी बात अभी की भावना के लिए जिम्मेदार है। क्या कभी पहले भी ऐसा हुआ है, क्या यह सोच रियलिस्टिक है। क्या इस परेशानी को दूर किया जा सकता है या कोई शख्स इसमें आपकी मदद कर सकता है, इसके लिए क्या करना होगा... आदि।

नॉन आइडेंटिफाईः जान लें कि ये बुरे या पीड़ादायक विचार आपके समूचे चिंतन का सिर्फ हिस्साभर हैं। हो सकता है कुछ बाहरी स्थितियों या घटनाओं के कारण ऐसे विचार आपके दिमाग में आ रहे हों। एक बार खुद को डिटैच करके देखने की कोशिश करें। किनारे खड़े दर्शक की तरह घटनाक्रम को देखें, शायद आप उसे ज्यादा बेहतर ढंग से समझ सकें।