Friday 04 August 2023 02:48 PM IST : By Ruby-Mohanty

क्यों बढ़ जाता है बरसात में बदन दर्द

joint-pain

कई बार आपने महसूस किया होगा कि बरसात में जोड़ों या मांसपेशियों में पुराने दर्द उभरने लगते हैं। कभी कंधे, कभी पीठ, कभी टखने कभी गरदन के पिछले हिस्से या जोड़ों की हडि्डयों में दर्द महसूस होता है। यह खासकर बदलते मौसम, बरसात या फिर सरदियाें में होता है। अगर पहले से आर्थराइटिस या ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या है, तो इस मौसम में और भी उभर जाती है।

परेशानी की वजह

फोर्टिस अस्पताल, मुंबई में ऑर्थाेपेडिक विभाग के सीनियर ऑर्थोपेडिशियन डॉ. प्रमोद भोर के मुताबिक, ‘‘हमारे अलग-अलग बोन्स की डेंसिटी अलग-अलग होती है। जब भी पर्यावरण में अचानक सरदी या गरमी, बहुत नमी या बहुत रूखापन बढ़ता है, तो टिशूज में या तो सिकुड़न आती है या वे फैलने लगते हैं। इससे बदन के किसी भी जॉइंट्स में दर्द उभर आते हैं। बरसात में शरीर का वर्कआउट कम हो जाता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन भी गड़बड़ा जाता है। इतना ही नहीं, बरसात में कई बार लोग डिप्रेशन से भी घिर जाते हैं और दर्द और भी महसूस होने लगता है। बरसात में दर्द की संवेदनशीलता भी बढ़ जाती है। चूंकि कनेक्टिव टिशूज की क्षमता सीमित होती है, ऐसे में इनके फैलने या सिकुड़ने के दौरान दर्द महसूस होने लगता है। बरसात में जहां ज्यादा दिनाें तक लगातार बारिश होती है, वहां जोड़ों की समस्या तेज हो जाती है, क्याेंकि शरीर को धूप नहीं मिल पाती और बॉडी का ब्लड सर्कुलेशन भी धीमा पड़ जाता है। इसके अलावा कुछ खास समस्याओं में भी जोड़ों का दर्द परेशान कर सकता है, जैसे गाउट, आर्थराइटिस, ओबेसिटी और डाइबिटीज। वैसे वायरल इन्फेक्शन के बाद भी कुछ समय तक ण्सीे समस्या होना आम बात है। चिकनगुनिया, डेंगू या कोरोना संक्रमण के मामलाें में भी देखा गया है कि मरीज को लंबे समय तक जोड़ों में दर्द महसूस होता है।

कैसे करें बचाव

- शरीर को अच्छी तरह ढक कर रखें और तेज हवा और बारिश में भीगने से बचने की कोशिश करें।

- पहले से हड्डी से जुड़े रोगों से जूझ रहे लोग अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें और दवाएं नियमित लेते रहें। अगर दर्द की स्थिति लगातार रहती है और प्रभावित जगह पर सूजन भी महसूस होती है, तो खुद इलाज करने की जगह डॉक्टर से सलाह लें।

- शरीर की स्ट्रेचिंग करें। जितना हाथ-पैरों को स्ट्रेच करेंगे, उतना ही बॉडी रिलैक्स होगी और पेन कम होगा। इसीलिए एक्सरसाइज करना बंद ना करें। बहुत देर तक बैठ कर काम ना करते रहें और ना ही बहुत देर लेटे रहें।

- व्यायाम से ना सिर्फ शरीर को फायदा मिलता है, बल्कि इससे फीलगुड हारमोन्स का भी स्राव बढ़ता है। इससे दर्द का अहसास कम करने में मदद मिलती है। हफ्ते में लगभग 5 दिन 30 से 45 मिनट ब्रिस्क वाॅक करें और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें।

- सुबह 25 मिनट प्राणायाम जरूर करें। वीरभ्रदासन, धनुरासन, त्रिकोणासन, सेतुबंद आसन जैसे योगासनों से जोड़ों के दर्द में बहुत लाभ मिलता है। अगर पहले से कोई शारीरिक समस्या या बीमारी है, तो अपने डॉक्टर की सलाह से ही कोई योगासन चुनें। पहली बार योग कर रहे हैं, तो हल्के आसनों से शुरुआत करें।

- अगर शरीर के किसी जॉइंट्स में कोई नयी चोट लगी है, तो आइस पैक लगाएं और चोट पुरानी है, ताे इस मौसम में गरम सिंकाई करें। इसके लिए कोई भी मालिश करनेवाला तेल लें और हल्के हाथों से दर्दवाली जगह पर उससे मालिश करें। बाहर निकलते हुए या व्यायाम करने से पहले और बाद में भी गरम तेल से मालिश करें। इसके बाद प्रभावित हिस्से को ढक लें। नारियल, जैतून, सरसों, अरंडी और लहसुन मिले हल्के गरम तेल से प्रभावित हिस्से की मालिश करना अच्छे नतीजे देगा।