Monday 06 June 2022 03:39 PM IST : By Gopal Sinha

हॉट मौसम के कूल उपाय

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आपको कौन सा मौसम पसंद है? यकीनन आपके पसंदीदा मौसम की लिस्ट में गरमी का मौसम नहीं होगा। धूप, धूल, उमस, लू या गरम हवाएं ना केवल हमारी शक्लोसूरत बिगाड़ देती है, वरन पसीने की बदबू, स्किन पर टैनिंग और बालों के रूखे होने जैसी परेशानियां भी हमें खूब झेलनी पड़ती हैं। सेहत की बात करें, तो डिहाइड्रेशन, स्किन पर फोड़े-फुंसियां, नकसीर फूटना, बेहोशी, सिर दर्द, डायरिया गरमी की आम समस्याएं हैं। लेकिन इस मौसम को तो हर साल आना है, तो क्यों ना कुछ ऐसे उपाय करें, जिससे इसका प्रकोप कम से कम हो। 

डॉ. प्रीतम पंकज सीनियर डर्मेटोलॉजिस्ट हैं, जो नयी दिल्ली के कई अस्पतालों में कंसल्टेंसी देते हैं। हमने उनसे गरमी के मौसम में त्वचा और बालों को सुरक्षित रखने के उपायों पर बात की, क्योंकि इस मौसम में सबसे ज्यादा आफत हमारी त्वचा और बालों पर ही आती है। 

गरमी में स्किन को कैसे सुरक्षित रखें

डॉ. प्रीतम पंकज कहते हैं कि स्किन हमारी बॉडी का सबसे बड़ा अंग है। वैसे तो हर मौसम में स्किन की देखभभाल जरूरी है, क्योंकि क्लाइमेट में किसी भी किस्म का बदलाव सबसे पहले त्वचा ही झेलती है। गरमी के माैसम में त्वचा को कैसे स्वस्थ रखना है, त्वचा की कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं, उन्हें हम कैसे नहीं होने दें, और अगर हो जाए, तो शुरुआती दौर में ही उन्हें कैसे ठीक कर लें, इन सब बातों की जानकारी सबके लिए आवश्यक है। 

- सबसे पहले हम यह जानने की कोशिश करें कि हमारी त्वचा किस प्रकार की है। सामान्यतया हमारी त्वचा 3 तरह की होती है- ड्राई स्किन, ऑइली स्किन और सेंसेटिव स्किन। अलग-अलग तरह की त्वचा की देखभाल अलग-अलग तरह से करनी होती है। 

- ड्राई स्किन में हमें ऐसे मॉइस्चराइजर लगाने की जरूरत है, जो पिंपल्स को ना बढ़ाए, चिपचिपा ना हो, जो पसीने को रोक कर ना रखे और स्किन को सॉफ्ट बनाए रखे। ये मॉइस्चराइजर नॉन कोमेडोजेनिक कहलाते हैं।

- ऑइली स्किन वालों के लिए गरमी का महीना ज्यादा मुश्किलभरा होता है। चिपचिपी त्वचा पर पॉल्यूशन ज्यादा चिपकता है, जिसके कारण पिंपल्स बढ़ने शुरू हो जाते हैं। इसके लिए हमें ऐसा क्लींजर इस्तेमाल करना चाहिए, जो स्किन की गंदगी को अच्छी तरह हटा दे। ध्यान दें कि क्लींजर ऐसा भी ना हो कि वह स्किन से पूरा ऑइल हटा कर उसे ड्राई कर दे। क्लींजर स्किन के ऑइल को इतना ही हटाए,जिससे स्किन मुलायम बनी रहे। 

- सेंसेटिव स्किन ऐसी स्किन होती है, जिस पर हम किसी भी तरह की क्रीम नहीं लगा सकते। कोई भी क्रीम लगाएंगे, तो फायदे के बजाय नुकसान ही होगा। त्वचा लाल हो जाएगी, खुजली होगी। स्किन के सेंसेटिव हो जाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि हम चेहरे पर अनापशनाप दवाएं व क्रीम लगाते रहते हैं। गोरे होने के लिए लगायी जाने वाली फेअरनेस क्रीम, पिंपल्स या पिगमेंटेशन के लिए जो क्रीम लगाते हैं, उनमें ज्यादातर में स्टेरॉयड होता है। कुछ दिन तक ऐसी क्रीम लगाने के बाद स्किन पतली हो कर सेसेंटिव हो जाती है। सेसेंटिव स्किन की केअर करने के लिए हमें अच्छी क्वॉलिटी का सनस्क्रीन लगाना चाहिए। जिनकी त्वचा सेसेंटिव नहीं है, उन्हें भी टैनिंग से बचने के लिए सनस्क्रीन जरूर लगाना चाहिए। 

- सनस्क्रीन कितने एसपीएफ की हो, यह हमेशा कन्फ्यूज करता है। भारतीय त्वचा के लिए एसपीएफ 15 भी काफी रहता है, लेकिन मार्केट में 50 प्लस सनस्क्रीन भी मिलती है। हमें सनस्क्रीन लगाने का सही तरीका पता होना चाहिए। घर से बाहर निकलने से आधा घंटा पहले सनस्क्रीन की एक पतली लेअर लगा कर छोड़ देनी चाहिए, जिससे स्किन उसे अब्जॉर्ब कर ले। हम ऐसा नहीं करते, सनस्क्रीन लगा कर उसे रगड़-रगड़ कर पूरी तरह मिला देते हैं। इस तरह 50 प्लस सनस्क्रीन का असर भी 25-30 एसपीएफ से ज्यादा नहीं रह पाता। आदर्श रूप से भारतीय त्वचा के लिए 30 प्लस एसपीएफ काफी रहता है। 

- आमतौर पर सनस्क्रीन का असर 2 से 4 घंटे तक रहता है। डॉ. प्रीतम अपने पेशेंट्स को सलाह देते हैं कि अगर आप दिल्ली जैसे शहर में हैं, तो हर 4 घंटे में सनस्क्रीन लगाएं, हिल स्टेशन पर या समंदर के किनारे जाते हैं, तो 2-2 घंटे पर लगाएं।

- सनस्क्रीन के अलावा फुलस्लीव कपड़े पहनना या चेहरे को कपड़े से ढक कर रखना भी अच्छा उपाय है। छतरी सदियों से हमारी बेहतरीन सनस्क्रीन रही है।

- गरमियों में पसीना बहुत आता है। बाहर का टेंपरेचर अधिक हो और स्किन का कम, तो स्किन ड्राई हो जाती है। टेंपरेचर के इस इंबैलेंस को संभालने के लिए, हाइड्रेशन को मेंटेन करने के लिए हमें दिनभर में 3 से 5 लीटर पानी पीना ही चाहिए। ज्यादा पी लें, तो बेहतर है।

गरमियों में त्वचा के रोग

सन एलर्जीः गरमियों में स्किन की सबसे आम बीमारी है सन एलर्जी। कुछ बीमारियां धूप में मौजूद अल्ट्रा वॉयलेट रेज के कारण बढ़ती हैं। डाइबिटीज की कुछ दवाएं या एंटीबायोटिक्स फोटो सेंसेटिव होती हैं, इन्हें लेनेवालों को धूप से परहेज करना चाहिए। 

पिंपल्सः युवाअों में गरमियों में पिंपल्स का ब्रेकआउट हो सकता है, खासकर मास्क पहनने पर चेहरे पर नमी अधिक रहती है, जिससे पिंपल्स बढ़ सकते हैं। उन्हें बढि़या क्लींजर से त्वचा को साफ रखना चाहिए। 

बालतोड़ः बालतोड़ यानी फॉलिटिलाइटिस गरमी के मौसम में अकसर होता है। इसके लिए 10 से 15 दिन के लिए एंटीबायोटिक का कोर्स लेना होता है, 3-4 दिन एंटीबायोटिक ले कर छोड़ देना ठीक नहीं है। बीच में छोड़ने पर यह बार-बार तंग करता है। 

झांइयांः झांइयां या मेलाज्मा भी सूरज की किरणों के प्रभाव से बढ़ती हैं। अल्ट्रा वॉयलेट रेज कलर करनेवाली कोशिकाअों के साइज को बढ़ा देती हैं। झांइयों की परेशानी हो, महिलाअों को धूप में निकलने से बचना चाहिए। 

फंगल इन्फेक्शनः दाद गरमियों की सबसे दुखदायी स्थिति है। इसे फंगल इन्फेक्शन कहते हैं। यह थाईज पर या जहां-जहां पसीना जमा होता है, वहां हो जाता है। इसके लिए पसीना जमा ना होने दें, उन जगहों पर एंटी फंगल पाउडर छिड़कें और त्वचा सूखी रखें।

समर हेअर प्रॉब्लम व केअर

- सनस्क्रीन यूवी रेज बालों के क्यूटिकल पर अटैक करती हैं और बाल पतले हो कर टूटने लगते हैं।

- स्कैल्प में पसीना अधिक आने से डैंड्रफ और स्कैल्प इन्फेक्शन हो जाते हैं। वहीं तेज धूप से सनबर्न और स्कैल्प इन्फेक्शन हो जाता है। 

- गरमियों में बालों की देखभाल का सबसे बेहतर उपाय हेअर कट है। बढि़या हेअर कट लें, ताकि बाल दोमुंहे ना हों। 

- किसी भी लाइट हेअर अाॅइल से मसाज करें। सेहतमंद बाल व स्कैल्प के लिए स्कैल्प की ऑइल मसाज बालों में जान डाल सकता है।

- बालों को धोने के लिए सल्फेट फ्री शैंपू इस्तेमाल करें। सल्फेट बालों को ड्राई कर देता है। 

- धूप में जब भी बाहर निकलें, बालों को कवर करके रखें। बाल सुखाने के लिए टॉवल से ना रगड़ें, ना ही ड्रायर का इस्तेमाल करें। उन्हें टाइट ना बांधें। पानी पीते रहें।

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