Wednesday 22 November 2023 04:30 PM IST : By Gopal Sinha

सिर्फ दांत साफ करना ही काफी नहीं, ओरल हाइजीन भी है जरूरी

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जब हम बात ओरल हाइजीन की करते हैं, तो सिर्फ दांतों की बात नहीं करते। ओरल हाइजीन में दांत के साथ-साथ मसूड़े, जीभ, तालू को साफ रखने का काम भी आता है। दरअसल, पूरे मुंह की साफ-सफाई के जरिये हम अपनी संपूर्ण सेहत की सुरक्षा की गारंटी ले सकते हैं, क्योंकि इससे कई रोगों से हमारा बचाव हो सकता है। ओरल हाइजीन पर विशेष जानकारी के लिए हम मिले दिल्ली के ग्रीन पार्क डेंटल के सीनियर डेंटिस्ट डॉ. एस. पी. अग्रवाल से और उनसे मुंह को सेहतमंद रखने के उपायों और इसके फायदों पर बात की।

ओरल हाइजीन क्या है और हमें सेहतमंद रखने में इसका क्या महत्व है?

मुंह के अंदर बैक्टीरिया को पनपने के लिए एकदम सही माहौल मिलता है अंधेरा, गरम, गीला और हम जो कुछ भी खाते-पीते हैं, उसके अवशेष, जो उन्हें पोषण देते हैं। जब बैक्टीरिया इस अवशिष्ट, अटके हुए भोजन को खाता है, तो बाय प्रोडक्ट के रूप में एसिड का उत्पादन करता है, जो दांतों के क्षरण या कैविटी का कारण बनता है। हर दांत के केंद्र (पल्प) में एक प्रमुख नर्व सिस्टम होता है, जो डेंटिन और कठोर इनेमल की परतों द्वारा सुरक्षित रहता है। जब बैक्टीरिया का एसिड और क्षय दांतों के बाहरी आवरण तक सीमित होता है, तो यह सिर्फ एक काले धब्बे जैसा दिखता है और एक छोटे से गड्ढे जैसा महसूस होता है, जहां भोजन फंसता है और बैक्टीरिया पनप सकते हैं। जैसे-जैसे दांतों में सड़न बढ़ती जाती है, ठंडी, खट्टी, मीठी और गरम चीजों के प्रति संवेदनशीलता महसूस होती है। एक बार जब क्षय पल्प तक पहुंच जाता है, तो बहुत अधिक दर्द महसूस होता है और आमतौर पर रूट कैनाल ट्रीटमेंट या दांत निकालने की आवश्यकता पड़ती है। इसीलिए अपने दांतों को साफ रखना बेहद जरूरी है।

बैक्टीरिया मसूड़ों और जबड़े की हड्डी पर क्या प्रभाव डाल सकते हैं?

जब दांतों के आसपास हानिकारक बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं, तो मसूड़ों और आसपास की हड्डियों में संक्रमण और सूजन होने का खतरा होता है। इसे पेरियोडोंटल रोग कहते हैं। ऐसी स्थिति में रक्तस्राव, मसूड़ों में दर्द और दांत खराब हो जाते हैं। मुंह में ऐसी स्थितियां शरीर के बाकी हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती हैं। पेरियोडोंटल रोग डाइबिटीज, हृदय रोग, श्वसन संक्रमण और डिमेंशिया जैसे रोगों से जुड़ा है। एक स्टडी के अनुसार, भारत में लगभग 51 प्रतिशत लोगों को किसी ना किसी प्रकार का पेरियोडोंटल रोग है। इसके शुरुआती चरण में मसूड़े सूज सकते हैं, लाल या कोमल हो सकते हैं और खून बह सकता है। इसे जिंजिवाइटिस कहते हैं। यदि इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो मसूड़े की सूजन पेरियोडोंटाइटिस में बदल सकती है। यह बीमारी का एक और अधिक गंभीर रूप है, जहां मसूड़े सिकुड़ सकते हैं, हड्डियां नष्ट हो सकती हैं, और दांत ढीले हो सकते हैं या गिर भी सकते हैं।

ताकि मेंटेन रहे ओरल हाइजीन

नियमित रूप से ब्रश करें, लेकिन ताबड़तोड़ तरीके से नहीं-दिन में दो बार अपने दांतों को ब्रश करना प्लाक और बैक्टीरिया को हटाने और दांतों को साफ रखने के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि ब्रश करना तभी प्रभावी हो सकता है, जब आप सही तकनीक का उपयोग करें। छोटे गोलाकार गति में ब्रश करना चाहिए, प्रत्येक दांत के आगे, पीछे और ऊपर ब्रश करें। इस प्रक्रिया में 2 से 3 मिनट का समय लगता है। बहुत जोर से ब्रश करना या कठोर ब्रिसल्सवाले टूथब्रश का उपयोग करना दांतों के इनेमल और मसूड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे टूथब्रश का उपयोग करें, जिसमें मीडियम कोमलतावाले ब्रिसल्स हों। अपने टूथब्रश को हर 3 महीने में या जब सिरे घिसे हुए दिखने लगें, बदल दें।

दिन में एक बार फ्लॉस करें- दांतों के बीच जहां टूथब्रश नहीं पहुंच पाता है, फ्लॉसिंग से प्लाक और बैक्टीरिया को हटाया जा सकता है। यह दांतों के बीच फंसे मलबे और भोजन को हटा कर सांसों की दुर्गंध को रोकने में भी मदद कर सकता है। दांतों के बीच फ्लॉस को ऊपर-नीचे करने से बचें, इससे दर्द हो सकता है और यह प्लाक को प्रभावी ढंग से नहीं हटा पाएगा।

धूम्रपान ना करें-धूम्रपान मसूड़ों के लिए जोखिम पैदा करता है। जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें दांतों के इलाज में लंबा समय लग सकता है। धूम्रपान से दांत और जीभ पीले पड़ जाते हैं और सांसों में दुर्गंध आ सकती है।

मीठे खाद्य पदार्थ और स्टार्च को सीमित करें-चीनी का सेवन करने से कैविटी हो सकती है। इनमें कैंडी और मिठाइयां शामिल हैं, लेकिन कई प्रोसेस्ड फूड आइटम्स में भी अतिरिक्त चीनी होती है।डब्ल्यूएचओ की सलाह है कि चीनी का सेवन अपनी दैनिक कैलोरी के 10 प्रतिशत से कम तक सीमित रखें। स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों के बजाय प्रचुर मात्रा में फाइबर युक्त फल और सब्जियां और साथ ही बिना चीनी मिलाए डेयरी उत्पाद लें।

मीठे पेय पदार्थों के बजाय पानी पिएं- सोडा, जूस या अन्य मीठे पेय पीनेवालों के आहार में चीनी-मीठे पेय पदार्थ अतिरिक्त शर्करा का प्रमुख स्रोत हैं और इससे कैविटीज का खतरा अधिक हो सकता है।

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नियमित रूप से डेंटिस्ट से मिलें- हर 6 महीने में जांच के लिए डेंटिस्ट के पास जाएं। डेंटिस्ट कैविटीज, मसूड़ों की बीमारी, मुंह के कैंसर और अन्य ओरल हेल्थ समस्याओं की जांच करते हैं। वे कभी-कभी कैविटीज की जांच के लिए डेंटल एक्सरे का भी उपयोग कर सकते हैं।