Thursday 11 July 2024 05:23 PM IST : By Nishtha Gandhi

नेल आर्ट कहीं बीमार ना कर दे

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नेल आर्ट कराना अब इतना लोकप्रिय हो चुका है कि बाजार में कई तरह के रेडीमेड नेल आर्ट प्रोडक्ट्स की भरमार हो चुकी है। हर कोई इन्हें करने में रुचि लेने लगा है। लेकिन नेल आर्ट के जरिए कई हानिकारक केमिकल्स आपके शरीर में जाते हैं और आपको बीमार बना सकते हैं। अमेरिकी मिनिस्ट्री ऑफ लेबर और ऑटेरियो लंग एसोसिएशन द्वारा जारी किए गए पैंफलेट में नेल टेक्नीशियंस के लिए अलर्ट जारी किया गया, जिसमें नेल केअर प्रोडक्ट्स में मौजूद फॉर्मल्डिहाइड, आर्टिफिशियल नेल्स और नेल फाइलिंग को ऑक्यूपेशनल अस्थमा का सबसे बड़ा कारण माना गया है। नेल पॉलिश और नेल पॉलिश रिमूवर में बड़ी मात्रा में एसीटोन होता है, जो सिर दर्द, सिर घूमना, नर्वस सिस्टम और प्रजनन तंत्र से जुड़ी कई समस्याओं को जन्म दे सकता है। नेल पॉलिश में मुख्य रूप से 3 हानिकारक केमिकल्स पाए जाते हैं। ये केमिकल्स हैं- टोलीन, जो नर्वस और रिप्रोडक्टिव सिस्टम को डैमेज कर सकता है, फॉर्मल्डिहाइड, जो रैशेज और अस्थमा का कारण है और डाइब्यूटाइल थैलेट, जो गर्भ में पल रहे शिशु के सेक्स ऑर्गन में विकार उत्पन्न कर सकता है।

नेल आर्ट करानेवाली महिला के अलावा नेल आर्ट टेक्नीशियन के स्वास्थ्य पर भी इसमें मौजूद केमिकल्स बुरा असर डालते हैं। आर्टिफिशियल नेल्स में मेथाक्राइलेट नाम का केमिकल होता है। इसे कनाडा में बैन भी कर दिया गया है। यह काफी सस्ता होता है, लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा के शरीर के संपर्क में आने से नेल आर्ट आर्टिस्ट का शरीर सुन्न और बदन दर्द की समस्या होती है।

नेल आर्ट स्टूडियो में नेल पेंट और जैल को सुखाने के लिए यूवी लाइट्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसके नियमित इस्तेमाल से स्किन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए हाथों पर सनस्क्रीन क्रीम लगाएं। यूवी लाइट्स के बजाय एलईडी लाइट्स ज्यादा सेफ रहती हैं।

अमेरिका के नेशनल टॉक्सिकोलॉजी प्रोग्राम के मुताबिक जैल बेस्ड नेल पॉलिश में पाया जाने वाला केमिकल बुटाइलेटिड हाइड्रॉक्सेनिसोल इंसान के शरीर में कैंसर विकसित करने का जिम्मेदार है। कोई भी जैल बेस्ड नेल पॉलिश खरीदने से पहले इसमें मौजूद तत्वों पर एक नजर डालें और अगर इसमें बीएचए मौजूद हो, तो कोई दूसरा ब्रांड आजमाएं।

मेनिक्योर-पेडिक्योर कराते समय अगर कट लग जाए या फिर अगर पहले से कोई चोट लगी हो, तो मेनिक्योर ना कराएं। मेनि-पेडी जैल और पाउडर केमिकल त्वचा के संपर्क में आने से नर्वस सिस्टम भी डैमेज हो सकता है। इस दौरान त्वचा पर कट लगने का ध्यान रखें।

नेल पॉलिश चिप्ड हो गयी हो, तो कभी भी उसे नाखूनों से खुरच कर ना उतारें। इससे नाखूनों की ऊपरी सतह को नुकसान पहुंचता है और नाखून कमजोर हो कर टूट जाते हैं। नेल पॉलिश हटाने के लिए एसिटोन युक्त रिमूवर का प्रयोग ना करें।

फ्रेंच मेनिक्योर के जरिए गुलाबी और सफेद पाउडर की मदद से नेल एक्सटेंशन लगवाना भी आजकल चलन में है। इनमें एक्रिलिक स्टोन भी लगवाए जाते हैं। लेकिन जिन लड़कियों को नाखून चबाने की आदत हो, उन्हें इससे बचना चाहिए। एक्रिलिक स्टोन गलती से पेट में चले जाने पर कैंसर दे सकते हैं और एलर्जी और क्रोनिक इन्फेक्शन का कारण भी बन सकते हैं। कोशिश करें कि ऑर्गेनिक नेल एक्सटेंशन का ही प्रयोग करें।

ग्लिटरी नेल आर्ट नियमित कराने वाली महिलाओं को यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन की समस्या से जूझना पड़ता है। बच्चों को भी ग्लिटरी नेल आर्ट से बचाना चाहिए। वे बार-बार हाथ मुंह में डालते हैं, जिस वजह से उन्हें गैस्ट्रिक प्रॉब्लम हो सकती है।