Friday 26 November 2021 02:23 PM IST : By Indira Rathore

ऑनलाइन क्लासेज ने बिगाड़ी बच्चों की हैंडराइटिंग

handwriting

साल 2020 में हुए एक अध्ययन में कहा गया था कि लिख कर प्रैक्टिस करने से हैंडराइटिंग बेहतर होती है, साथ ही स्मरण क्षमता भी बढ़ती है। टीचर्स बच्चों को लिखने या नोट्स बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, ताकि उन्हें पढ़ाई गयी चीजें याद रहें। लेकिन डिजिटल पढ़ाई ने ना सिर्फ स्टूडेंट्स की याददाश्त पर बुरा असर डाला है, बल्कि उनकी हैंडराइटिंग भी बिगड़ गयी है। 

लिखना भूल गए क्यों

नार्वे में हुए अध्ययन में कहा गया कि जब कोई कागज पर पेन से लिखता है, तो ब्रेन में कई तरह के सेंसेज एक्टिवेट होते हैं। लिखे हुए शब्दों को देखने, उसके साउंड को सुनने से ब्रेन के अलग-अलग हिस्सों का आपस में संपर्क होता है और मस्तिष्क उस घटनाक्रम को याद करने के लिए तैयार होता है। इसलिए विशेषज्ञ मानते हैं कि डिजिटल लर्निंग के साथ ही घर और स्कूल में हैंडराइटिंग प्रैक्टिस भी जरूरी है।

हाल ही में भारत के कई राज्यों में एनसीईआरटी की ओर से हुई एक स्टडी में कहा गया है कि बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के कारण लिखना लगभग भूल गए हैं। टीचर्स का कहना है कि बच्चों की हैंडराइटिंग पहले से ही अच्छी नहीं है, लेकिन मौजूदा दौर में वह और खराब होती जा रही है। इस अध्ययन में कहा गया कि लगभग 75 फीसदी बच्चों की हैंडराइटिंग बिगड़ गयी और इसमें भी 65 प्रतिशत बच्चे लिखना भूल गए। एनसीईआरटी ने मार्च 2020 से फरवरी 2021 के बीच करीब दस हजार सरकारी और निजी स्कूलों के चौथी से दसवीं कक्षा तक के बच्चों पर यह सर्वे कराया। पाया गया कि ऑनलाइन क्लास में बच्चों का सारा ध्यान टीचर्स की बातें सुनने पर रहता है, वे नोटबुक पर नहीं लिखते। स्कूलों के बंद होने से बच्चे लापरवाह हुए हैं। कई बच्चे तो दो-तीन लाइन लिखने के बाद हाथ थकने जैसी शिकायत करते हैं। यह बात पेरेंट्स भी मान रहे हैं कि उनके लिए छोटे बच्चों को पेपर या कॉपी पर लिखवाना टेढ़ी खीर होता जा रहा है। 

दिल्ली में रहनेवाली अभिभावक आकांक्षा कहती हैं कि जब वे थर्ड स्टैंडर्ड में पढ़नेवाले अपने बेटे को घर में लिखवाने की प्रैक्टिस करवाती हैं, तो वह 4-5 लाइनें लिखने के बाद ही ही पेन रोक देता है। दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल की टीचर आनंदिता बताती हैं कि जब वे स्कूल में थीं, कर्सिव राइटिंग की प्रैक्टिस करायी जाती थी, पर आज तो टाइपिंग का काम कंप्यूटर पर होने लगा है, ऐसे में बच्चों की तो बात ही छोड़िए, टीचर्स भी लिखना भूल गए हैं। अब जब स्कूल दोबारा खुलने लगे हैं, बच्चों को दोबारा पुरानी आदतों में लौटाना भी टास्क साबित हो रहा है।

ऐसे कराएं प्रैक्टिस 

यूनीक साइकोलॉजिकल सर्विसेज, दिल्ली की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट गगनदीप कौर कुछ सुझाव देती हैंः

टीचर बच्चों को राइिटंग से जुड़े असाइनमेंट्स दें और क्लास में डिक्टेशन भी कराएं। उनके लिए कुछ राइटिंग कंपीटिशन भी करा सकते हैं। 

घर पर बच्चों को कर्सिव राइटिंग कराएं। स्कूल अभी पूरी तरह नहीं खुल रहे हैं, ऐसे में घर में ही बच्चों की हैंडराइटिंग को सुधारने की कोशिश करनी होगी।

टीचर्स को कहना चाहिए कि जो भी असाइनमेंट वे करा रहे हैं या नोट्स दे रहे हैं, उन्हें सीधे अपलोड करने के बजाय बच्चे लिख लें। इससे उन्हें चीजें लिखते-लिखते याद भी होंगी। 

छोटे बच्चों को कुछ फन एक्टिविटीज कराएं। केवल शब्द लिखने को कहेंगे, तो वह एक बोरिंग काम होगा उनके लिए। कलर्ड पेन या पेंसिल से उन्हें लिखवाएं। कोई मजेदार कहानी या कविता लिखने को कहें, ताकि बच्चे मन से उसे लिखें। 

उन्हें रोज एक पेज कर्सिव राइटिंग टेस्ट दें, इसे पूरा करने पर उन्हें कोई गिफ्ट जैसे चॉकलेट आदि दें। इससे उन्हें एक मोटिवेशन मिलेगा और वे लिखने को एंजॉय कर सकेंगे।