Wednesday 22 March 2023 03:32 PM IST : By Gopal Sinha

जब आए भूकंप तो कैसे रहें सेफ

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21 मार्च, 2023 को जब रात 10 बज कर 20 मिनट पर धरती कांपी, तो इंसान को उसकी औ कात एक बार फिर बता गयी। भूकंप एक ऐसे कुदरती कहर है,, जिसका आकलन किया जा सकता है, जिसे महसूस किया जा सकता है, लेकिन इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। पिछले दिनों तुर्किये समेत दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आए भूकंप से हाेनेवाले नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती, लेकिन कुछ बातों से नुकसान को कम जरूर किया जा सकता है। यहां एक बात पर गौर करें, क्या इतने जानमाल का नुकसान इसलिए होता है, क्योंकि धरती कांप गयी। विशेषज्ञों का मानना है कि भूकंप से इतना नुकसान नहीं होता, जितना इंसान द्वारा बनायी गयी इमारतों के गिरने से होता है, भूकंप के बाद मची भगदड़ से होता है।

अपने देश में भूकंप की तीव्रता के आधार पर नेशनल बिल्डिंग कोड ने पूरे देश को 5 सिस्मिक जाेन में बांटा है। इसमें जोन 5 को सबसे अधिक खतरा है, क्योंकि वहां 9 सिक्टर स्केल तक का भूकंप आ सकता है। जोन 4 में 8 से 9 रिक्टर स्केल तक का भूकंप आ सकता है। दिल्ली एनसीआर जोन 4 में आता है। एक सर्वे के अनुसार, दिल्ली के करीब 80 प्रतिशत मकान भूकंप झेलने की हालत में नहीं हैं। यही हाल लखनऊ, मुंबई जैसे महानगरों का भी है।

भूकंप आने पर क्या करें

  • ऊंची इमारत, बिजली के खंभे, छज्जे, अलमारी पर रखे भारी सामान, पंखे, खिड़की से दूर हट जाएं।

  • कैंडल, माचिस या कोई भी खुली आग का इस्तेमाल ना करें।

  • अपने पेट्स को खुला छोड़ दें, ताकि वे भाग सकें।

  • आसपास खुला मैदान हो, तो वहां चले जाएं।

  • किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे घुस कर उसे पकड़ कर रखें।

  • गाड़ी में हैं, तो तुरंत रोक लें और गाड़ी से निकल कर होर्डिंग्स, फ्लाईओवर आदि से दूर खड़े हो जाएं।

भूकंप आने के बाद क्या करें

  • अफवाहों पर ना तो ध्यान दें, ना ही फैलाएं।

  • पीने के पानी, खाने का सामान, फर्स्ट एड और एक जरूरी सामान से भरा बैग तैयार रखें।

  • टीवी, रेडियो को ऑन रखें, ताकि आप लेटेस्ट खबरों से वाकिफ रहें।

  • दूसरों की यथासंभव मदद करें। आपड़ोस में कोई घायल हो, तो उसे फर्स्ट एड दें।

  • इलेक्ट्रिक स्विच आदि ऑन ना करें, हो सकता है गैस लीक हुई हो। गैस स्टोव के वॉल्व आदि बंद कर दें।

  • घर के पानी के पाइप, इलेक्ट्रिक पैनल आदि की जांच करें। डैमेज हों, तो ठीक कराएं।

  • कोई दरवाजा या कबर्ड आदि सावधानी से खाेलें, कोई चीज गिर कर चोट पहुंचा सकती है।

भूकंप शब्दावली

  • एपिसेंटर - धरती के ऊपर का वह भाग, जो धरती के अंदर के हाइपोसेंटर या फोकस के ठीक ऊपर होता है। भूकंप के केंद्र एपिसेंटर के आसपास सबसे अधिक तबाही होती है।

  • हाइपोसेंटर - इसे फोकस भी कहते हैं। यहीं से भूकंप की शुरुआत होता है।

  • मैग्नीट्यूड - भूकंप की अधिकतम तीव्रता, जिसे सिस्मोग्राफ रेकॉर्ड करता है। इसे रिक्टर स्केल में मापा जाता है।

  • टेक्टोनिक प्लेट्स - धरती के ऊपरी भाग पर स्थित बड़े, पतले और दृढ़ भूखंड, जो भूकंप के समय खिसकने लगते हैं।

  • आफ्टरशॉक - भूकंप के सबसे बड़े झटके के बाद आनेवाले कम तीव्रता के झटके।

  • सुनामी - बड़ी तीव्रता के भूकंप, ज्वालामुखी फटने आदि के कारण समुद्र तल में बदलाव आते हैं, जिससे उठती विनाशकारी लहरें।

घर को भूकंपरोधी बनाएं कुछ ऐसे

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जब जमीन पर घर बनवाएं - जिस मिट्टी पर घर बना रहे हों, उसकी जांच कराएं कि वह घर बनाने के लिए उपयुक्त है या नहीं। मिट्टी की जांच के लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों एजेंसी होती है।

स्ट्रक्चरल इंजीनियर की मदद लें - स्ट्रक्चरल इंजीनियर आर्किटेक्ट के साथ मिल कर घर का इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करते हैं। ये नेशनल बिल्डिंग कोड के मानकों के आधार पर भवन निर्माण से जुड़ी सभी बारीकी पर ध्यान देते हैं।

भवन निर्माण की सामग्री कैसी हो - कॉलम का सरिया कम से कम 12 मि.मी. मोटा हो। नींव कम से कम 900 X 900 सें.मी. की हो और दरवाजों के ऊपर लेटर बीम में कम से कम 12 मि.मी. मोटे स्टील का इस्तेमाल हो। बढि़या क्वॉलिटी का स्टील लचीला होता है। आजकल ईंटें कंक्रीट व एश फ्लाई की बनी होती हैं, जिनका वजन कम कम होता है और साइज बड़ा, इससे बिल्डिंग पर लोड कम पड़ता है।

जब बना-बनाया घर खरीदें

  • रेडीमेड घर खरीदते समय आप उसकी मजबूती का आकलन नहीं कर सकते, इसके लिए भी आपको स्ट्रक्चरल इंजीनियर की मदद लेनी होगी। वे खास मशीनों की सहायता से सरिए की मोटाई व संख्या आदि का पता लगा सकते हैं।

  • आप खुद भी थोड़ा-बहुत मजबूती का पता लगा सकते हैं। कोई कील या चाबी फ्लैट की दीवार में घुसाने की कोशिश करें। यदि चाबी घुस जाए, रेत निकले, मटीरियल खराब इस्तेमाल किया गया है। चाबी ना घुसे, तो मटीरियल मजबूत है।

  • आप अच्छी साख वाले बिल्डर से ही घर खरीदें।

    पुराने घर को कैसे बनाएं भूकंपरोधी

  • बने-बनाए घर को भूकंपरोधी बनाने की तकनीक को सिस्मिक रेट्रोफिटिंग कहते हैं। इसमें 3 बातों पर गौर किया जाता है-फ्लेक्सिबिलिटी, कॉलम व बीम आदि के जोड़ों की मजबूती और कंक्रीट की ताकत।

  • घर में लचीलापन हो, तो वह भूकंप के झटके झेल सकता है और थोड़ी-बहुत दरारें पड़ने के बावजूद घर सेफ रहता है। इसी तरह घर के ढांचे में कई सारे जोड़ होते हैं। यदि ये ढीले पड़ गए हों, अलग हो गए हों, तो भूकंप से नहीं बच सकते।

  • रेट्रोफिटिंग में नींव से शुरू करके मटीरियल, जोड़ आदि को दुरुस्त करने का काम किया जाता है। दरारों को भरने के लिए एक खास किस्म के फाइबर मटीरियल का इन्जेक्शन लगाया जाता है। घर के किसी एक हिस्से में टूटफूट है, तो फ्रेम बना कर उसे मजबूती दी जाती है। 100 गज के मकान की रेट्रोफिटिंग में करीब 8 से 10 महीने का समय लग सकता है। मोटे तौर पर इसमें घर की कीमत का 10-15 प्रतिशत तक खर्च आता है।