Monday 18 January 2021 04:36 PM IST : By Maya Lalla

बुजुर्ग जब जिद करने लगें

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लिफ्ट में अंजू मिल गयी। चेहरे पर थकान दिखायी दे रही थी। मुझे याद आया, यह अपने पेरेंट्स के पास दिल्ली गयी हुई थी। मैंने पूछ लिया, ‘‘कब आयीं, तुम्हारे पेरेंट्स कैसे हैं? ‘‘ठीक हैं आंटी।’’ उसके स्वर में उदासी थी। बहुत खुशमिजाज लड़की है, इसे क्या हुआ? मैंने कहा ‘‘आओ, मेरे साथ एक कप चाय पी कर जाना।’’ वह मेरे साथ फ्लैट में आ गयी। चाय बना कर उसके पास बैठी, ‘‘बोलो, क्यों परेशान हो इतनी? पेरेंट्स ठीक हैं ना?’’ बेचारी फट पड़ी, कहने लगी, बार-बार उनकी तबीयत खराब होने पर मुंबई से भागना इतना आसान नहीं है। इकलौती बेटी हूं, मेरा फर्ज है। उन्हें अपने यहां शिफ्ट होने के लिए जोर डाला, तो मान गए, पर पापा ने जिद पकड़ ली कि सारा सामान ले कर आएंगे। समझ नहीं आता कि इतना सामान रखूंगी कहां? समझाया तो कहने लगे हमारे लिए अलग फ्लैट ले लेना। पापा 80 साल के हैं और मम्मी 70 साल की। जरा एडजस्ट नहीं करते। खाने में भी 10 चीजें चाहिए। हर बार कुक लगा कर आती हूं। वह भी नहीं टिकती। समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं?’’

अंजू तो चली गयी, पर मुझे कुछ सोचने पर मजबूर कर गयी। क्यों करते हैं बड़े ऐसी जिद कि उनके बच्चे ही परेशान हो जाएं? लॉकडाउन के समय में भी जब बाहर देखती, तो मुझे अपने हमउम्र रोड पर ज्यादा दिखते। मैंने पड़ोस में रहनेवालों से पूछ ही लिया, तो उनका कहना था ‘आंटी, पापा मानते नहीं, कहते हैं घुटन होती है।’

बड़े होने तक आपने पेरेंट्स की बात सुनी होगी, पर अब जब बुजुर्ग पेरेंट्स आपकी बात ना सुन रहे हों, तो घबराएं नहीं। कुछ ऐसा करें कि आप रिलैक्स रहें और वे भी। उदाहरण देखिए, अनिल ने अकेले रह रहे अपने पिता से कई बार अपने साथ रहने के लिए कहा, पर वे हमेशा अपनी जिद पर अड़े रहे। अनिल ने अपनी परेशानी मनोवैज्ञानिक से शेअर की। उनके कहे अनुसार पिता से ऐसे बात की, ‘‘पापा, चलिए ना मेरे साथ। मुझे हमेशा आपकी चिंता रहती है, आपको कब कोई चोट लग जाए, पता भी नहीं चलेगा।’’ पिता फौरन उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गए। पेरेंट्स नहीं चाहते कि उनकी वजह से उनके बच्चे को कोई परेशानी हो। बच्चे जिस ढंग से बात करते हैं, उस वजह से जिद करते हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि उनकी जिद का कारण समझने की कोिशश करें। दूसरों पर निर्भर रहने के कारण कहीं वे डिप्रेशन में तो नहीं, कहीं उन्हें डिमेंशिया या अल्जाइमर की परेशानी तो नहीं। उन्हें किसी चीज का डर तो नहीं रहने लगा या उनका स्वभाव ही ऐसा है। कई बार पेरेंट्स गिरने के डर से कई-कई दिन नहीं नहाते। उन्हें हेल्पर दे दिया जाए, तो परेशानी खड़ी नहीं करते।

बढ़ती उम्र और बीमारियां, उनकी आत्मनिर्भरता और कभी-कभी मेमोरी पर भी असर डालती हैं। अकेलापन मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर बहुत असर डालता है। उन्हें सोशल एक्टिविटीज में बिजी रखें। आपके पेरेंट्स अलग रहते हैं, तो उनसे मिलने अपनी फैमिली के साथ जाते रहें। कुछ दिन ऐसे भी तय करें कि उन्हें भी अपने साथ बाहर ले कर जाएं।

पेरेंट्स से बातें करें। अपनी चिंताएं शेअर करें। कम्युनिकेशन बहुत अच्छा होना चािहए। वे आपकी बात नहीं मान रहे हैं, तो उनके किसी दोस्त, बहन, थेरैपिस्ट को उनसे बात करने दें। वे कोई डेट बार-बार पूछ रहे हैं, तो हो सकता है कि किसी फंक्शन में जाना चाहते हैं। उनसे उस फंक्शन की बात करें। उनका उत्साह बनाए रखने वाली बातें शेअर करें। आपके पेरेंट्स बच्चे नहीं है, भले ही वे कभी बच्चों जैसा व्यवहार करें। उन्हें फील ना करवाएं कि वे कुछ कह नहीं सकते या किसी फैसले में उन्हें अपनी राय रखने का हक नहीं है, उनसे बात करते हुए अपने दिल में करुणा और सम्मान रखें। उन्हें सम्मान देना उनकी मेंटल हेल्थ के लिए एक अजूबे का काम कर सकता है और आपकी हेल्थ के लिए भी।