Friday 06 October 2023 12:06 PM IST : By Nishtha Gandhi

करवाएं स्माइल का मेकओवर

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कुछ लोग ठहाका मार कर हंसते हैं, तो कुछ सिर्फ मुसकरा कर रह जाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो मुंह दबा कर हंसते हैं। इसकी वजह आदत के अलावा टेढ़े-मेढ़े या पीले दांत भी हो सकती है। कहीं आपके साथ भी तो ऐसा नहीं है कि आपके दांतों की बनावट या रंग आपकी हंसी पर रोक लगा देता हो। तो फिर आपको भी अपनी स्माइल का मेकओवर करने की जरूरत है। जी हां, आज जब तकनीक हद से ज्यादा आगे बढ़ चुकी है, विज्ञान के क्षेत्र में रोज कोई ना कोई नया आविष्कार हो रहा है, तो फिर हंसी का मेकओवर क्यों नहीं हो सकता है। कॉस्मेटिक डेंटिस्टरी ने यह भी संभव कर दिखाया है। फरीदाबाद के मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल की वरिष्ठ दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीषा चौधरी का कहना है, ‘‘पहले लोग अपनी जरूरत के हिसाब से दांतों को ठीकठाक करवाते थे या फिर कोई समस्या होने पर ही डेंटिस्ट के पास जाते थे, लेकिन अब स्थितियां अलग हैं। आज कॉस्मेटिक डेंटिस्टरी का चलन जोरों पर है। ऐसे युवा जो शो इंडस्ट्री में हैं, जिन्हें काम के सिलसिले में लोगों से ज्यादा मिलना-जुलना पड़ता है, वे अपने लुक्स को ले कर काफी सजग रहते हैं। अब सिर्फ शक्ल-सूरत ही नहीं, बल्कि इस बात पर भी ध्यान दिया जाने लगा है कि हंसते हुए आपके दांत कैसे लग रहे हैं, टेढ़े-मेढ़े या पीले तो नहीं हैं। इन सब चीजों से भी लोगों में कॉन्फिडेंस की कमी हो जाती है। इसी वजह से लोगों में कॉस्मेटिक डेंटिस्टरी का क्रेज बढ़ा है। बड़े शहरों में तो इसका बहुत ज्यादा चलन है।’’

एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2022 में भारत में डेंटल केअर मार्केट की कीमत 653 मिलियन डॉलर आंकी गयी थी। यह अनुमान लगाया गया था कि यह वर्ष 2022 से 2030 के बीच 9.40 प्रतिशत की दर से बढ़ते हुए 1339 मिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। इस जबर्दस्त विकास दर का एक बड़ा कारण डेंटल केअर इंडस्ट्री में मौजूद उपचार व सुविधाओं के प्रति युवाओं में बढ़ती जानकारी व जागरूकता है। दांतों की बनावट को ले कर कोई भी समस्या हो, तो युवा अब डेंटिस्ट के पास जाने से पहले ऑनलाइन इसके बारे में जानकारी सर्च करते हैं। यही वजह है कि अब डेंटल क्लीनिक भी स्माइल केअर क्लीनिक बन गए हैं।

ट्रीटमेंट कैसे-कैसे

दांतों का पीलापन दूर करने से ले कर टेढ़े-मेढे़ दांतों को ठीक करने व दूसरों पर इंप्रेशन जमाने के लिए टूथ ज्वेलरी लगवाने तक की डिमांड ले कर लोग आते हैं डेंटल क्लीनिक में। जानिए किस प्रोसीजर में क्या शामिल है और कितना समय व पैसा लगता है इनमें-

टूथ वाइटनिंगः ज्यादा चाय-कॉफी पीने से, डेंटल हाइजीन मेंटेन ना करने से, उम्र बढ़ने की वजह से या फिर पानी में फ्लोराइड ज्यादा होने से भी कुछ लोगों के दांत पीले हो जाते हैं। इस वजह से कुछ लोग दूसरों के सामने खुल कर हंसने में झिझकते हैं। डॉ. मनीषा चौधरी का कहना है कि एक लड़की उनके पास ट्रीटमेंट के लिए आयी थी, उसका कहना था कि पिछले कई सालों से वह खुल कर हंस नहीं पायी है। इसकी वजह उसके दांतों में जमा पीलापन है। दरअसल, जिस जगह वह रहती थी, वहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज्यादा थी। अब उसकी शादी होने वाली थी, इसलिए वह टूथ वाइटनिंग करवाना चाहती थी। टूथ वाइटनिंग आज एक बेहद आम और सबसे ज्यादा कराया जानेवाला ट्रीटमेंट है। यह अब लेजर से भी किया जाने लगा है। आजकल प्रोफेशनल होम वाइटनिंग किट्स भी आने लगी हैं।

वीनियर्सः लोग सिर्फ इतने पर ही नहीं रुकते। यह जरूरी नहीं कि हर किसी को चकाचक सफेद दांत ही पसंद आएं। अपनी स्किन टोन से मिलते-जुलते दांतों के शेड की डिमांड लोग अब करने लगे हैं। इन लोगों के लिए दांतों में वीनियर्स लगाए जाते हैं। ये वीनियर्स आपके दांतों के ऊपर लेअर की तरह चढ़ जाते हैं। ये आपके दांतों के गैप, टेढ़ी-मेढ़ी शेप, पीलापन व छोटे-बड़े दांतों को एक जैसा करने के काम आते हैं। इसमें 7-10 दिनों का समय लगता है और 10-15 हजार तक का खर्च आता है। वीनियर्स लगवाने के बाद हर 3 महीने में डॉक्टर से चेकअप करवाना जरूरी होता है।

वीनियर्स लगवाएं हों, तो दांतों की सफाई और फ्लॉसिंग करनी बहुत जरूरी है। इस प्रोसेस को करवाने से पहले डॉक्टर से यह जरूर पूछें कि वह दांतों की कितनी ग्राइंडिंग करेगा। इसके अलावा हल्के गरम सेलाइन वॉटर यानी नमक वाले पानी से कुल्ला करना भी जरूरी है।

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इनविजिलाइनर्सः जिन लोगों के दांतों की बनावट में बहुत समस्या होती है, बहुत ज्यादा टेढ़े-मेढ़े दांत हों, तो पहले इन्हें ठीक करने के लिए मेटल के ब्रेसेज लगाए जाते थे, जो दिखने में खराब लगते थे। इन्हें लगवाने से बच्चे भी अब कतराने लगे हैं। अगर आप अब डॉक्टर के पास इस समस्या को ले कर जाएंगे, तो पहले डिजिटल स्कैन करके आपको यह दिखाया जाएगा कि आने वाले एक साल में आपके दांत कैसे लगेंगे। फिर जो अलाइनर्स लगाए जाएंगे, वे पहनने के बाद दिखायी नहीं देते। ये लगभग एक साल तक के लिए लगाए जाते हैं, लेकिन पुराने मेटल ब्रेसेज के मुकाबले थोड़े महंगे होते हैं। इस ट्रीटमेंट में 2 से ढाई लाख तक का खर्च आता है।

अलाइनर्स लगवाएं हों, तो हर 6 महीने में डेंटल क्लीनिंग व स्क्रीनिंग करवाएं, खासकर से तब जब मसूड़ों से खून आ रहा हो।

टूथ ज्वेलरीः दांत में चमकता हुआ डायमंड लगवाने की चाह है, तो कुशल डेंटिस्ट के पास जा कर आप यह भी करवा सकते हैं। यह युवाओं में अब काफी लोकप्रिय है।

गमी स्माइल ट्रीटमेंटः हंसते हुए आपके मसूड़े ज्यादा दिखायी देते हों या फिर मेलानिन के ज्यादा प्रोडक्शन की वजह से मसूड़े काले हो रहे हों, तो इसके लिए आप लेजर डीपिगमेंटेशन व क्राउन लेंथनिंग प्रोसीजर करवा सकते हैं।

टूथ इंप्लांटः दांत टूटने पर जरूरी नहीं है कि आप बदरंग मेटल का दांत लगवाएं। टाइटेनियम से बने डेंटल इंप्लांट्स को छोटे से सर्जिकल प्रोसीजर से आपकी जॉ बोन में इंप्लांट कर दिए जाते हैं। दिखने में ये बिलकुल असली दांतों की तरह ही होते हैं। बाद में इन पर क्राउन लगा दिया जाता है।

इन बातों का रखें ध्यान

दिल्ली में डेंटल केअर सर्विस देने वाली व्हिसल के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर डॉ. अमित सचदेवा का कहना है कि कोई भी डेंटल ट्रीटमेंट करवाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है-

अगर अलाइनर्स लगवाएं हों, तो इन्हें रोज पहनना जरूरी है, तभी आपके दांतों की शेप सही हो पाएगी। इन्हें अपनी मर्जी से हटाना नहीं चाहिए

अपनी डाइट का भी ख्याल रखें। अगर किसी भी तरह की सख्त चीज खाने या चबाने से मना किया गया हो, तो ना चबाएं। इसके अलाव हार्ड ड्रिंक, कोल्ड ड्रिंक या बहुत ज्यादा चाय-कॉफी से भी दांतों पर स्टेन हो सकते हैं।

नियमित डॉक्टरी जांच करवाते रहें, जिससे जरूरत पड़न पर क्लीनिंग भी की जा सके और यह भी पता चल पाएगा कि ट्रीटमेंट सही हो रहा है कि नहीं।