दिल्ली के अॉक्सफोर्ड बुक स्टोर में अायोजित एक टॉक शो में अार्टिस्ट नलिनी तयबजी, यूरिको लोचन, शीला चमरिया अौर वसुंधरा तिवारी ब्रूटा जैसे कलाकारों ने माना कि अार्ट थेरैपी कई तरह की बीमारियों में मददगार है। नलिनी तयबजी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि अपनी मां को खोने के बाद वे काफी टूट चुकी थीं, लेकिन जबसे उन्होंने पेंटिंग्स करनी शुरू कीं, तो उनका जीवन ठीक पटरी पर अा गया। वहीं स्कल्पचर अार्टिस्ट शीला चमरिया बताती हैं कि उनके पास कई उम्रदराज छात्र अाते हैं, जो अार्थराइटिस के मरीज होते हैं। मिट्टी की मूर्तियां बनाने से उनके दर्द में 60 प्रतिशत तक की कमी हो गयी। इसका कारण मिट्टी अौर हैंड मूवमेंट है। इस टॉक शो में सभी कलाकारों ने माना कि इस दिशा में सही काम किया जाए, तो अार्ट थेरैपी कई गंभीर बीमारियों के इलाज में लाभकारी हो सकती है। कला हमारे अंदर एक पॉजिटिव एनर्जी का संचार करती है, इसलिए एक सपोर्टिंग ट्रीटमेंट बन सकती है।
कला के माध्यम से अाप जहां अपनी मनोभावनाअों को अभिव्यक्त कर सकती हैं, वहीं यह अपनी खुद की मनोस्थिति को समझने में भी अापकी मदद करता है। इसके द्वारा अाप किसी बुरी लत से छुटकारा पा सकते हैं, भावनाअों पर काबू करना सीखते हैं, खोया अात्मविश्वास वापस पा लेते हैं, यहां तक कि यौन शोषण के दर्द से उबरने में भी अार्ट थेरैपी बहुत मददगार है। यह जरूरी नहीं कि अापको इस थेरैपी का फायदा तभी मिलेगा, जब अापको अार्ट की जानकारी होगी। यह एक तरीका है अपनी मनोभावनाएं व्यक्त करने का। अापके द्वारा खींची गयी अाड़ी-तिरछी लाइनें देख कर भी कोई प्रोफेशनल अापकी मनोस्थिति का अंदाजा लगा सकता है। उसी के अाधार पर अापका ट्रीटमेंट अौर काउंसलिंग किए जाते हैं। कई अध्ययनों में यह सिद्ध हो चुका है कि सामान्य व्यक्ति भी अगर तनाव में हो, तो ड्राइंग अौर कलरिंग करने से उसका माइंड रिलैक्स होता है। इसके अलावा संगीत अौर डांस भी दिमाग पर पॉजिटिव असर डालते हैं।
इस क्षेत्र में काम करनेवाले एक्सपर्ट्स का मानना है कि म्यूजिक, डांस अौर अार्ट, ये तीनों तरीके ही अार्ट थेरैपी का हिस्सा हैं। ना सिर्फ किसी बीमारी के इलाज के लिए, बल्कि काम का तनाव दूर करने के लिए भी लोग अार्ट थेरैपी की मदद ले रहे हैं, जिसका सकारात्मक असर भी देखने को मिलता है।
अब तो बाजार में वयस्कों के लिए डिजाइन की गयी ड्राइंग बुक भी मिलने लगी हैं अौर खासतौर से कई अार्टिस्ट तनाव से उबारने के लिए क्ले मॉडलिंग, स्कल्पचर मेकिंग वर्कशॉप्स का अायोजन भी करने लगे हैं।
भुलाए यौन शोषण का दर्द
दिल्ली के विमहंस अस्पताल में अार्ट थेरैपिस्ट सोनिया भंडारी का कहना है, ‘‘जैसे खाना अापके शरीर के लिए जरूरी है, ठीक वैसे ही कला अापकी अात्मा के लिए जरूरी है। जब अाप पेंटिंग, क्ले वर्क जैसा कुछ भी रचनात्मक करते हैं, तो इस दौरान अापकी बॉडी के साथ-साथ दिमाग भी काम करता है। रंगों अौर चित्रों के माध्यम से व्यक्ति ट्रामा की िस्थति में भी अपने मनोभावों को अासानी से अभिव्यक्त कर लेता है। अार्ट थेरैपिस्ट उन चित्रों में छिपा संदेश समझ कर व्यक्ति की मुश्किल स्थिति से बाहर अाने में मदद करता है। जब कोई व्यक्ति हमारे पास थेरैपी के लिए अाता है, तो हम उसे पेड़, इंसान जैसे सामान्य चित्र ही बनाने के लिए कहते हैं। व्यक्ति वह चित्र जैसे बनाता है, वह ढंग ही उसके मनोभावों की चुगली कर देता है।

अकसर सेक्सुअल एब्यूज के शिकार बच्चे अौर युवतियां लोगों से बात करने में झिझकते हैं, ऐसे लोग खुद में सिमट जाते हैं अौर यहां तक कि थेरैपी के शुरुअाती 8-10 सेशंस तक वे किसी चीज को छूना भी नहीं चाहते। एेसे लोग गहरे, पेस्टल रंगों से पेंटिंग करते हैं अौर अकसर खुद को दोस्तों के साथ बातचीत करते हुए चित्र बनाते हैं। दरअसल, ये लोग लोगों से मिलना-जुलना अौर अपना हाल बांटना चाहते हैं, लेकिन शरम अौर झिझक की भावना इन्हें ऐसा करने से रोकती है। इस थेरैपी की मदद से उनका खोया अात्मसम्मान वापस लौटता है अौर वे जीवन में अागे बढ़ना सीखते हैं। इनके अलावा कैंसर के रोगियों के लिए भी यह थेरैपी फायदेमंद साबित हुई है। युवाअों के मन में दूसरों के सामने अपनी अच्छी इमेज बनाने का प्रेशर होता है, जिसकी वजह से वे डिप्रेशन की गिरफ्त में अा जाते हैं। वहीं बुजुर्गों में असुरक्षा की भावना उम्र के साथ बहुत तीव्र हो जाती है अौर इस वजह से वे खुद को हर समय बीमार महसूस करते हैं। इन सभी केसेज में अार्ट थेरैपी मददगार रहती है।’’
30 वर्षीय रहमान (बदला नाम) परिवार का बड़ा बेटा था। वह बायोपोलर डिस्अॉर्डर अौर अॉब्सेसिव कंपल्सिव डिस्अॉर्डर से ग्रस्त था। जब वह अार्ट थेरैपी के सेशन के लिए अाया, तो पेड़ अौर फूल पत्तियों का चित्र बनाने के लिए भी स्केल मांगता था। डॉ. सोनिया का कहना है कि यह बायोपोलर डिस्अॉर्डर अौर अोसीडी के लक्षणों में से एक है। इसमें व्यक्ति हर काम परफेक्शन से करना चाहता है। हमने रहमान को पेंटिंग करने के लिए स्टेंसिल्स दिए, जिनकी मदद से वह संुदर पेंटिंग करता था। थेरैपी के एक-दो सेशंस के बाद ही उसकी स्थिति में सुधार अाना शुरू हो गया है। अब वह पेंटिंग के लिए स्केल अौर स्टेंसिल नहीं मांगता अौर अब वह अार्ट एंड क्राफ्ट से सुंदर चीजें बनाने लगा है। अोसीडी के पेशेंट्स के लिए क्ले वर्क भी बहुत फायदेमंद है। इससे उनकी घबराहट कम होती है।
वहीं यौन शोषण के शिकार बच्चे अौर युवतियां क्ले वर्क अौर मूर्तियां बनाने से डरते हैं। दरअसल, वे किसी चीज को छूने से अौर शारीरिक रूप से संपर्क बनाने से डरते हैं। लेकिन धीरे-धीरे हम इनके मन का डर दूर करते हैं।
यह थेरैपी ना सिर्फ अापको मानसिक रूप से स्थिर बनाती है, बल्कि भावनात्मक अौर व्यवहार संबंधी समस्याएं भी दूर करती है। विदेशों में इस तरह की थेरैपी का काफी क्रेज है। जिन लोगों ने यह थेरैपी ली है, उन्हें अपने जीवन में इससे काफी सकारात्मक बदलाव महसूस हुए। इन लोगों का कहना है कि इस थेरैपी के बाद ना सिर्फ वे अपनी कमजोरियों को जान पाए, बल्कि यह जानने में भी मदद मिली कि उनमें क्या खूबियां हैं। इसके बाद उनके परिवार के साथ संबंध भी बेहतर बने। मुश्किल परिस्थितियों का सामना कैसे करना है अौर उनसे बाहर कैसे अाना है, यह भी समझने में इस तरह की थेरैपी से मदद मिलती है।
अाप भी इस तरह की अार्ट थेरैपी अाजमा कर देखें। इसके कई तरीके हैं, जैसे फिंगर पेंटिंग करना, कोलाज बनाना, कठपुतली बनाना, फैमिली ट्री ड्रॉ करना, परिवार के लोगों की मिट्टी की मूर्तियां बनाना, कोई कहानी लिखना या फिर खुद को किसी परी कथा का पात्र बना कर कहानी लिखना अादि।