Wednesday 23 September 2020 11:23 PM IST : By Poonam Ahmed

मोही ः भाग-3

Mohi-1

मोही अौर देव के बीच चल रहा खेल अब अपने चरम पर पहुंच चुका था। दोनों के सारे पासे फेंके जा चुके थे, पर देखना यह है कि किसका पासा उलटा पड़ेगा।

सेक्रेटरी को 2 कप कॉफी के लिए कह कर देव ने परिमल के साथ बैठ कर प्रत्यक्षतः तो थोड़ा सहज होने का उपक्रम करके अपने स्वर को भरसक सामान्य रखते हुए, मुस्कराते हुए बोला, ‘‘जी, ये मोही शर्मा ही हैं। अाप इन्हें कैसे जानते हैं।’’
 ‘‘मैं इन्हें बहुत अच्छी तरह जानता हूं, क्या ये अापके अॉफिस में ही काम करती हैं।’’
‘‘नहीं, ये मेरे दोस्त के अॉफिस में ही काम करती हैं इसलिए मुझे भी जानती हैं, यहां से निकल रही थी तो मुझे भी ‘हेलो’ बोलने के लिए अा गयीं। हम लोग मोही के बारे में ज्यादा नहीं जानते, मेरे दोस्त के अॉफिस में नयी अायी है, अाप कुछ जानते हैं तो बताएं, अच्छा रहेगा,’’ देव ने अपने प्रभावशाली लहजे में कहा।
परिमल देव के व्यक्तित्व से प्रभावित हुअा था। उसने महसूस किया कि देव चौधरी मोही के बारे में जानना चाहता है। परिमल ने गंभीर स्वर में कहा, ‘‘सर यह लड़की नहीं, एक तूफान है, जिसकी जद में कोई अा जाए, तो उसकी दुनिया हिल जाती है। रुड़की में इसके पेरेंट्स, भाई-बहन सब हैं। जब यह वहां पढ़ रही थी, इसके सहपाठी रुड़की के एमएलए निरंजन के बेटे चिराग को मोही से प्यार हो गया, सालभर दोनों एक-दूसरे के प्यार में डूबे रहे। चिराग अपने नेता पिता की हर तरीके से कमाई दौलत को खुले हाथों से मोही पर लुटाता, फिर मोही ने रंग बदलना शुरू किया। वह चिराग पर शादी करने का जोर डालने लगी। चिराग अौर निरंजन को यह शादी कतई मंजूर नहीं थी। शादी मोही को भी नहीं करनी थी, फिर उसने चिराग को धमकी दी कि उसके पास उसकी अौर चिराग के कुछ फोटोज हैं, जिन्हें देख कर यह लगता है कि वह मोही का रेप कर रहा है अौर वॉट्सएप पर हुई चैटिंग के स्क्रीन शॉट्स भी हैं, जिन्हें वह हथियार बना कर पुलिस केस कर सकती है। पुलिस के नाम से चिराग के हाथ-पैर फूल गए, उसने सब कुछ अपने पिता को बता दिया कि एक लड़की उसे ब्लैकमेल कर रही है अौर रेप केस की धमकी दे कर मोटी रकम मांग रही है। चिराग को कह कर निरंजन ने मोही को बुलवाया, मोही बेधड़क पहुंच भी गयी। मैं चिराग के गहरे दोस्त सुमित का बड़ा भाई हूं, इसलिए मुझे पूरी डिटेल्स पता है।’’ देव अभी तक सांस रोके मोही की करतूत सुन रहा था।
‘‘निरंजन ने मोही को कहा कि वह चिराग का पीछा छोड़ दे, मोही से पीछा छुड़वाना उनके बाएं हाथ का खेल है, वे रुड़की के राजा हैं, किसी की हिम्मत नहीं कि कोई उन्हें चुनौती दे। मोही जरा नहीं डरी, तन कर खड़ी रही। उसने कहा, उन्हें जो करना है, कर लें। फिर निरंजन ने कहा, ‘चुनाव का टाइम है, मैं किसी भी कंट्रोवर्सी में पड़ना नहीं चाहता, नहीं तो लड़की, तुम्हें तो पता भी नहीं चलेगा कि तुम कब किधर से गायब हो गयी, तुम्हारे मरने के बाद मैं तुम्हें चरित्रहीन भी साबित कर दूंगा, राजनीति अौर पैसे की ताकत तुम जानती नहीं, अभी बच्ची हो।’
‘‘पर मोही ने फिर उन्हें धमकी दी कि वह अकेली नहीं है, ये सारे सबूत कुछ खास लोगों के पास भी हैं। चुनाव के समय निरंजन किसी भी विवाद में पड़ना नहीं चाहते थे। अाखिरकार मोही 25 लाख ले कर मानी, तब तक शायद उसे मुंबई में जॉब मिल चुकी थी। घरवालों से उसके संबंध कभी अच्छे थे ही नहीं, ना उन्हें इससे मतलब है, ना इसे उनसे। बस यही कहना चाहूंगा, इससे अलर्ट रहिएगा।’’
देव बड़ी सफलता से अपने मनोभाव छुपा गया। उसके साथ नयी डील फाइनल की, दोस्ताना ढंग से उसका फोन नंबर, उसका रुड़की का पता भी लिया। परिमल तो चला गया, पर देव का सिर चकरा गया था, सब चालाकियां, ऐय्याशियां धरी की धरी रह गयी थीं। परेशान हो गया, मैं फंस तो नहीं गया, बेवकूफों की तरह उसके हुस्न में डूबा शादी तक कर अाया। वह तो गनीमत है कि कोई फोटो नहीं है, मुझे फंसा तो नहीं पाएगी, मुझे परेशान करने के लिए कुछ है तो नहीं उसके पास, पर अाजकल मेरे पैसे तो खूब उड़ा रही है। कैसे पता करूं, मेरे लिए उसके मन में क्या है, क्या पता सुधर गयी हो, सचमुच मुझे प्यार करती हो, ना, अब यकीन नहीं हो रहा है। कुछ तो है, जो मुझे कई दिन से खटक रहा है।
उस दिन पहली बार घर जाने पर मोही के रूप का जादू देव पर नहीं चला। देव ने अचानक उससे पूछा, ‘‘मोही, रुड़की में तुमने किस कॉलेज से पढ़ाई की है?’’
मोही के चेहरे पर जो भाव अाए, देव को अंदर तक हिला गए। मोही का ठंडा स्वर था, ‘‘क्यों? अापको क्या करना है।’’
‘‘यों ही, अाज अॉफिस में कोई अाया था। उसने तुम्हें देख कर कहा कि उसने तुम्हें वहां देखा है।’’
‘‘ठीक है, छोटा शहर है, वहां कई लोग मुझे जानते होंगे।’’
‘‘तुम्हारे घर में कौन-कौन हैं?’’
‘‘कोई भी नहीं, अौर अब मेरा सारा फोकस अाप पर ही है,’’ कहते हुए मोही के चेहरे पर अाज जो मुस्कान उभरी, देव ने यह मुस्कान पहली बार देखी  थी। इस मुस्कान में कुछ था, जो देव को सही नहीं लगा। देव को इस मुस्कान में अानेवाले किसी तूफान की झलक सी दिखी। उसे महसूस हुअा कि वह फंस रहा है, नहीं, फंस चुका है। अचानक मोही उससे अा कर लिपट गयी, ‘‘देव, सब छोिड़ए, बस, हमें जो एक-दूसरे का साथ मिला है, इसे एंजॉय करते हैं, अब मुझे अापके सिवा किसी से मतलब नहीं।’’
उस दिन मोही के इर्दगिर्द देव की बांहों की गिरफ्त ढीली ही रही। सुबह फिर मोही ने फ्लैट की रट लगायी, तो देव ने गंभीरतापूर्वक कहा, ‘‘मोही, फिलहाल मैं बहुत बिजी हूं, फ्लैट देखने का अभी टाइम नहीं मिल रहा है। हैव सम पेशेंस डियर, टाइम मिलते ही जरूर देखेंगे।’’
‘‘अोके देव, नो प्रॉब्लम।’’
देव ने यह मामला कुछ दिन के लिए टाल दिया था। अब वह मोही से सतर्क था, पर चिंतित भी था। पूरा हफ्ता देव की नजर मोही के हर क्रियाकलाप पर रही। मोही की बॉडी लैंग्वेज अब देव अलग तरह से नोट कर रहा था। वह हर समय बहुत अलर्ट रहती, बेहद महंगी चीजें यूज करती अौर ये सब उसी के कार्ड से खरीदी जा रही थीं। अॉफिस में भी मोही के सहयोगी उसकी हर चीज को महंगी अौर ब्रांडेड देख हैरान होते। अापस में यही बात करते कि वाकई मोही ने बहुत बड़ा हाथ मारा है, ससुराल में कौन-कौन हैं, कैसे लोग हैं। पूछने पर मोही टालते हुए छोटा सा जवाब ‘कोई नहीं’ दे कर बात खत्म कर देती।
 प्रशांत की पत्नी सुधा सीए थी। उसकी सीए की अपनी फर्म भी थी, साथ ही वह शौकिया प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट का बिजनेस भी कर रही थी। एक दिन वह अपने क्लांइट को एक रो हाउस दिखाने गयी हुई थी। यह अमीर लोगों का एक महंगा इलाका था। अपने क्लांइट के साथ वह रो हाउस से निकल ही रही थी कि उसने कुछ दूरी पर स्थित एक रो हाउस से मोही अौर देव की मेड लता को साथ निकलते देखा। सुधा बुरी तरह चौकी। क्लांइट को वहीं से बाय बोल कर वह इस तरह दीवार के पीछे खड़ी हो गयी कि वह मोही को ना दिखे, पर वह स्वयं मोही को साफ-साफ देख सके। उसे मोही अपनी मैरिज एनिवर्सरी की पार्टी में भी नहीं जमी थी। मोही से मिलने के बाद उसे कोई पॉजिटिव वाइब्स नहीं अायी थी।
सुधा ने देखा, मोही लता को एक फोन पर कुछ समझा रही थी। यह लड़की लता से क्याें इतनी फ्री है? यहां इस पॉश सोसाइटी से कैसे निकल रही है। दोनों कितनी एक्साइटेड हैं, मोही लता को कैसे जानती है? लता देव की सोसाइटी से यहां इतनी दूर काम के लिए तो अाती नहीं होगी, देखना पड़ेगा कि क्या बात है।
उस दिन प्रशांत घर लौटा, तो चाय पीते हुए सुधा ने बताया, ‘‘अरे प्रशांत, अाज मैं नीलकंठ गार्डन गयी थी, वहां मैंने मोही अौर देव की मेड लता को साथ निकलते देखा। मोही लता को एक फोन में कुछ समझा रही थी, दोनों की बॉडी लैंग्वेज से लग रहा था कि दोनों में काफी अच्छी बॉन्डिंग है। यह मोही लता को कैसे जानती है। मैं तबसे यही सोच रही हूं।’’
प्रशांत चौंका, ‘‘क्या? पक्का मोही ही थी। तुमने उसे ज्यादा बार देखा नहीं है, कहीं कोई अौर हो...’’
‘‘नहीं, मोही ही थी,’’ फिर सुधा के स्वर में शरारत उभर अायी, ‘‘अगर पत्नी पति के अॉफिस की किसी सुंदर लड़की से मिले, तो उसे वह लड़की याद रह ही जाती है। नो डाउट मोही बहुत सुंदर है, इसलिए वह मुझे याद रह गयी फिर वह मुझे ज्यादा पसंद भी नहीं अायी थी।’’
‘‘बात तो सीरियस सी लग रही है, डियर। एक तो देव पता नहीं अाजकल कहां बिजी है, पहले तो वीकेंड पर यहां अपने अाप ही हमारे पास अा जाता था, पता नहीं क्या कर रहा है।’’
‘‘अभी फोन करो उसे, पूछो कहां बिजी है, फोन स्पीकर पर रखना, मुझे भी सुनना है कि क्या कहता है।’’
प्रशांत ने उसी समय देव को फोन मिलाया। देव ने सुस्त अावाज में हेलो कहा। प्रशांत चौंका, ‘‘तू कहां है देव, तेरी तबीयत तो ठीक है।’’
‘‘कुछ परेशान हूं दोस्त, बाद में बात करूंगा।’’
इतने में सुधा ने अपनत्वभरे स्नेहिल स्वर में
कहा, ‘‘देव, अाज सीधे यहां अाअो, हमारे साथ डिनर करो।’’
‘‘अरे भाभी, कैसी हैं अाप? अाज नहीं फिर कभी अाऊंगा।’’
अब सुधा ने प्यार से डपटा, ‘‘देव, उठो अौर सीधे घर अाअो, अाज डिनर साथ में करेंगे।’’
तीनों की दोस्ती बहुत पक्की थी, अब देव मना नहीं कर पाया, ढीले से स्वर में इतना ही कहा, ‘‘अाता हूं, भाभी।’’
देव अाया, उसके चेहरे पर तनाव साफ-साफ दिख रहा था। अाम बातों के बाद प्रशांत ने कहा, ‘‘अब मुझे यह बता कि तू कहां बिजी है, इतने दिन से मिला नहीं, मिला भी तो जल्दी में था।’’
देव फीकी हंसी हंस दिया। अब सुधा ने पूछा, ‘‘देव, मुझे यह बताअो कि तुम्हारी मेड अाज मोही के साथ क्या कर रही थी। मैंने दोनों को अाज नीलकंठ गार्डन सोसाइटी में साथ देखा है।’’
देव को जैसे करेंट लगा, ‘‘क्या कह रही हो, भाभी।’’
सुधा ने अब थोड़ा गंभीर होते हुए कहा, ‘‘देव, कुछ बात है, हमें बताअो, अकेले परेशान होने की जरूरत नहीं।’’ सुधा की बात पूरी हुई नहीं थी कि उसका फोन बज उठा, वह जिससे भी फोन पर बात कर रही थी, जितनी भी बात देव अौर प्रशांत ने सुनी, दोनों के चेहरों पर सुन कर तनाव बढ़ा। फोन पर जब सुधा ने कहा, ‘‘क्लाइंट का पूरा नाम क्या है, मोही शर्मा तो नहीं। तुम जरा उसे अभी टाल दो, अजय, मैं तुमसे जल्दी बात करूंगी।’’
फोन रख कर सुधा ने देव को घूरा, ‘‘देव, तुम किस चक्कर में हो, जरा सच बताना।’’
प्रशांत ने पूछा, ‘‘अजय ने क्या बताया, सुधा।’’
‘‘मोही शर्मा अाजकल सी फेसिंग फ्लैट ढूंढ़ रही है, अजय उस एरिया में प्रॉपर्टी डीलर है, पूछ रहा था कि मेरी नॉलेज में कोई फ्लैट है क्या। क्लांइट को बड़ी जल्दी है, लड़की ने नाक में दम कर रखा है। देव, चलो, अब शुरू हो जाअो, पक्का कुछ गड़बड़ है, एक अाम नौकरी करनेवाली लड़की सी फेसिंग फ्लैट ढूंढ़ रही है।’’
कुछ देर शंात रहने के बाद देव ने चुप्पी तोड़ी, ‘‘भाभी, प्रशांत, मैं शायद किसी मुश्किल में फंस गया हूं, मुझसे गलती
प्रशांत ने कहा, ‘‘ऐसी गलतियां तूने पहले भी की हैं, देव। मैं कुछ बोला नहीं, पर इस बार शायद बात कुछ अौर है, चल बता।’’
उसके बाद देव मोही से मिलने से ले कर अाज तक की हर बात बताता चला गया, सुन कर प्रशांत अौर सुधा ने अपना सिर पकड़ लिया। सुधा ने डांट लगायी, ‘‘इतनी बड़ी पोस्ट पर हो, पर रहे ना अाम अादमी। लड़की देखी नहीं कि फिसल गए, अोह, मर्द की फितरत, अच्छी भली पत्नी के होते हुए यहां यह सब करते हो, देव। तुम पर बहुत गुस्सा अा रहा है।’’
प्रशांत ने सुधा को शांत रहने का इशारा किया, कहा, ‘‘देव, इससे शादी भी करके बैठ गए। तुम्हारा दिमाग सचमुच खराब हो गया था क्या?’’
देव ने धीमे से कहा, ‘‘पर कहीं कोई सबूत नहीं है, कहीं भी नहीं।’’
सुधा ने कहा, ‘‘ऐसा तुम्हें लगता है, देव। इस लड़की ने लता को अपने साथ मिला लिया है, इतना पक्का है। अब तुम सबसे पहले मोही अौर लता को बिना शक हुए मोही से किसी तरह अपने घर की चाबी वापस लो अौर यह मान कर चलो कि मोही के पास तुम्हारे खिलाफ सॉलिड कुछ जरूर होगा। अभी वीकेंड पर हम तीनों फ्री हैं, अाराम से सोचते हैं कि क्या करना है।’’
इतने में देव के फोन पर मोही का फोन अाया। सुधा ने देव को स्पीकर पर फोन रखने का इशारा किया, मोही का मीठा स्वर सुनायी दिया, ‘‘कहां हो देव, मैं कबकी घर पहुंच गयी।’’
‘‘ ट्रैफिक में हूं, अा रहा हूं।’’ 
‘‘हां, जल्दी अा जाअो। अौर सुनो, वीकेंड में फ्री रहना, फ्लैट फाइनल करेंगे।’’ प्रशांत ने देव को कुछ इशारा किया, तो देव ने कहा, ‘‘अरे मोही, काम के चक्कर में मैं तुम्हें बताना ही भूल गया कि मुझे कल सुबह ही लखनऊ जाना है, पापा की तबीयत ठीक नहीं है, अाते ही पैकिंग करनी है।’’
‘‘अोह, पापा को क्या हुअा?’’
‘‘पता नहीं, जा कर देखता हूं।’’
देव के फोन रखने पर सुधा ने कहा, ‘‘यह अच्छा किया, इस वीकेंड तुम यहीं रहना। सुबह ही यहां अा जाना, मिल कर सोचते हैं कि क्या करना है।’’
डिनर करके देव जब अपने घर पहुंचा, तो मोही के चेहरे पर कुछ झल्लाहट के भाव थे, पर वह प्रत्यक्षतः देव को उसके पापा की चिंता करके दिखा रही थी। अचानक देव ने कहा, ‘‘अोह, मैं अपने घर की चाबी अाज अॉफिस में ही भूल गया। तुम मुझे जरा अपनी चाबी दे देना अौर मेरे पीछे से तुम अपने फ्लैट में ही रुकना। हो सकता है मुझे पापा को यहां दिखाने लाना पड़े।’’
मोही ने अपना गुस्सा बड़े जतन से संभाला, ‘‘मतलब हमें दूर रहना पड़ेगा फिर।’’
‘‘नहीं डियर, पक्का कुछ भी नहीं। तुम भी सुबह मेरे साथ ही निकल जाना अौर लता को भी फोन करके मना कर दो कि अभी ना अाए, जब काम होगा बुला लेंगे।’’
मोही उदास चेहरा करके देव से लिपट गयी, ‘‘यह सब अचानक क्या हो रहा है, देव। तुम्हें जाना पड़ रहा है, हम अब कब मिलेंगे। कहां मैं वीकेंड पर क्या-क्या करने की सोच रही थी।’’
देव ने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया। वह नहीं चाहता था कि मोही को शक हो।
मोही अौर लता से फुरसत पा कर देव सुबह अपना जरूरी सामान ले कर प्रशांत के घर चला गया। घर की चाबी वापस ले ली है, लता की छुट्टी कर दी है, इतना जानने के बाद प्रशांत अौर सुधा ने कहा, ‘‘चलो गनीमत है, अब अागे की प्लानिंग कर लेते हैं।’’
फिर सुधा ने एक फोन मिलाया, बहुत देर तक किसी से दोस्ताना लहजे में बात की। फोन रख कर बोली, ‘‘मोही जिस रो हाउस में रहती है, वहां की सोसाइटी के चेअरमैन संजीव को मैं अच्छी तरह जानती हूं। संजीव को मैंने ही वहां घर दिलवाया था, उसने अभी बताया है, मोही जिस घर में रहती है, वह पूरा बंद है। मकान मालिक विदेश में रहते हैं, मोही एक बेडरूम, किचन, बाथरूम यूज करती है, संजीव के पास उस घर की डुप्लीकेट चाबी है। संजीव ने हमें मोही का घर खोल कर चेक करने की परमीशन दे दी है। अब माेही जब मंडे को अॉफिस जाएगी, उसका रूम चेक कर लेते हैं, कुछ ना कुछ जरूर मिलेगा।
देव ने वीकेंड प्रशांत के घर ही िबताया। संडे की शाम मोही के फोन से तीनों का प्रोग्राम कुछ गड़बड़ हुअा। मोही ने कराहते हुए कहा, ‘‘देव, मैं रोड पर एक बाइक से टकरा कर गिर गयी हूं, चलने में दर्द है, शायद कल अॉफिस ना जाऊं।’’
देव ने दिखावटी चिंता दिखाते हुए उससे बातें कीं। फोन रखने पर देव ने कहा, ‘‘अब यह कल अॉफिस नहीं जाएगी। ’’
‘‘कोई बात नहीं यह भी अच्छा है, इसकी गैरहाजिरी में अॉफिस के लोगाें से इसके बारे में पूछताछ करता हूं। देखता हूं उन लोगों को इसके बारे में क्या जानकारी है, कुछ खोज-खबर निकालता हूं। पर तुम अभी अॉफिस तो जा नहीं पाअोगे, यहीं रहो, इससे जरा दूर रहो, इसे फोन पर बताते रहना कि तुम लखनऊ ही हो, पापा के पास।’’
मंडे को प्रशांत हल्के-फुल्के मूड में अॉफिस के लंच टाइम में कैंटीन पहुंच गया, खुशदिली से सबसे बोला, ‘‘अाज मैं भी तुम लोगों के साथ लंच करूंगा।’’ सबने मुस्करा कर उसका वेलकम किया अौर सब एक बड़ा घेरा बना कर बैठ गए। प्रशांत एक सहृदय, जॉली नेचर का बॉस था, सब उसे पसंद करते थे। हल्की-फुल्की बातों के बीच उसने अचानक पूछा, ‘‘अरे, अाज मोही कहां है?’’
स्टैला ने जवाब दिया, ‘‘सर, उसके पैर में कुछ चोट लगी है, अाज वह छुट्टी पर है।’’
‘‘अोह अच्छा, रहती कहां है।’’
‘‘सर, यह तो किसी को भी नहीं पता।’’
‘‘अरे, तुम लोग तो उसकी शादी की पार्टी में गए थे ना। कैसी थी पार्टी। हसबैंड से मिले होंगे?’’
इस बात पर सबने एक-दूसरे को देखा अौर सबको हंसी अा गयी। प्रशांत मुस्कराया, ‘‘क्या बात है भाई, इतने राजदाराना ढंग से सब मुस्करा रहे हो।’’
अनामिका बोली, ‘‘सर, उसका हसबैंड तो नहीं था पार्टी में।’’
‘‘अरे, यह क्या बात हुई।’’
‘‘सर, हममें से कोई नहीं मिला अभी तक।’’
‘‘फोटो देखी।’’
इस बात पर सब हंस पड़े, स्टेला ने कहा, ‘‘सर, बस हाथ अौर बैक की फोटोज देखी।’’
प्रशांत हंसने लगा, ‘‘ये कैसी बातें कर रहे हो सब।’’
विनय ने कहा, ‘‘सर, मोही ने बताया है कि उसका हसबैंड फोटोज खिंचवाना पसंद नहीं करता, वैसे मोही को देख कर इतना समझ अा रहा है कि वह काफी बड़ा बिजनेसमैन है।’’
‘‘मतलब?’’
रिया ने कहा, ‘‘अाजकल मोही हमसे अलग ही दुनिया की दिखती है। एक से एक महंगे ब्रांड की चीजें, हम तो देखते ही रह जाते हैं, पर सर, काम बहुत करती है। हर दूसरे-तीसरे दिन जहां भी अाप उसे बाहर भेजते हैं, जरूर जाती है।’’
प्रशांत मन ही मन बुरी तरह चौंका, ‘मैं कहां बाहर भेजता हूं उसे, उससे मुझे बाहर का क्या काम।’ उसका सिर चकरा गया, बोला कुछ नहीं।
‘‘सर, अाजकल तो वह सी फेसिंग प्रॉपर्टी देख रही है। कहती है उसका हसबैंड उसके लिए उसकी पसंद का एक सी फेसिंग फ्लैट ले रहा है, यह उसका सपना था।’’
प्रशांत सबकी बातें सुन कर लंच करके सहज रूप से बातें करता हुअा उठ गया। अपने केबिन में जा कर देव को फोन किया, ‘‘बच्चू, हम जितना सोच रहे हैं, परेशानी उससे बड़ी है। मोही से जबर्दस्त दूरी रखना अभी, अौर सी फेसिंग फ्लैट की बात तो भूल ही जाना।’’
मोही देव से लगातार संपर्क में थी। देव ने उसे कुछ भी महसूस नहीं होने दिया, वह उससे हमेशा की तरह बातें करता रहा। अगले दिन जब मोही अॉफिस गयी, सुधा, प्रशंंात अौर देव नीलकंठ सोसाइटी पहुंचे। संजीव से सुधा की अच्छी दोस्ती थी, उसे सुधा ने मोही के बारे में कुछ बता दिया था। संजीव ने मोही के फ्लैट की चाबी उन्हें दे दी।
जब तीनों ने शानदार रो हाउस के मोही के रूम में कदम रखा, तो तीनों चौंक पड़े, जैसे अभी-अभी झाड़ू-पोंछा हुअा हो, ऐसी स्मेल थी, बरतन साफ ताजे ही धुले हुए। सुधा ने कहा, ‘‘इसे तो चोट लगी थी, यह सब करके गयी ये अॉफिस!’’
सुधा ने सबसे पहले उसकी अलमारी खोली, कपड़े, मेकअप का सामान, ज्वेलरी थी। दूसरी दराज खोलते ही सुधा चिल्लायी, ‘‘देव, प्रशांत, अाअो।’’
दोनों उधर लपके। ड्राअर देव अौर मोही की फोटोज से भरी हुई थी। दोनों के अंतरंग पलों की तस्वीरें, प्रशांत अौर सुधा ने देव को घूरा, देव की नजरें झुक गयीं, चेहरा उतर गया। एक फोन भी पड़ा था। दोनों की शादी की भी फोटोज थीं, देव के फ्लैट में दोनों के रिश्ते का सच उजागर करती कई फोटोज थीं। सुधा ने फोन निकाला, उसमें मोही अौर देव की चैटिंग के स्क्रीन शॉट्स फॉरवर्ड किए हुए थे, सब महंगे सामान जो देव के कार्ड से खरीदे गए थे, सब रखे थे अौर सबकी रसीद भी। तीनों हारे से एक-दूसरे का मुंह देखते रह गए। सुधा ने सब चीजें उठा कर अपने बैग में रख लीं। बाकी कमरे की तलाशी भी ली। तीनों संजीव को चाबी देते हुए बहुत सारा थैंक्स बोल कर निकल गए।
वापसी में देव की बोलती बंद थी। प्रशांत ने थके से स्वर में कहा, ‘‘यार, कहां फंस गया तू, तुझ पर गुस्सा अा रहा है।’’
देव ने प्रशांत, सुधा के साथ बैठ कर अागे के कदम के बारे में अच्छी तरह सोच लिया अौर फिर देव ने मोही को फोन किया, ‘‘मोही, मैं अाज रात मुंबई पहुंच जाऊंगा, पापा ठीक हैं।’’
‘‘वेरी गुड, अॉफिस से सीधे अाती हूं।’’
अब ये तीनों नहीं चाहते थे कि मोही अपने फ्लैट पर जाए अौर अपना सामान गायब देखे, पर ये तीनों नहीं जानते थे कि जब मोही को पैर में चोट लगी थी, लता उसकी देखभाल के लिए उसके साथ ही थी। लता को मोही पैसों से खरीद चुकी थी, ये सब फोटोज लता ने ही खींची थीं। मोही ने ही यह फोन लता को ले कर दिया था। उस दिन भी जब मोही पैर ठीक होने पर अॉफिस चली गयी, तो लता वहीं बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रही थी। लता ने अपने पुराने फोन से तुरंत मोही को फोन कर दिया था कि ये तीनों उसके घर घुसे हैं। मोही समझ गयी कि उसकी पोल खुल चुकी है। लता को भी समझ अा गया कि उसे भी इन सबकी लाइफ से गायब होना चाहिए, वह अब देव की सोसाइटी के अासपास फटकेगी भी नहीं, पुलिस का कोई चक्कर उसे चाहिए ही नहीं था। मोही को अपना दांव खाली जाते देख थोड़ी देर के लिए तो सदमा लगा, पर जो उसके साथ इतने महीने मौज करता रहा, वह भी तो इतनी अासानी से साफ नहीं बच पाएगा। अब वह सोच रही थी कि ये बड़े अमीर, रंगीनमिजाज पुरुष किसी भी लड़की के साथ रंगरलियां मना अपनी पोजिशन सेफ रखने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं। देव जैसे ऐय्याश अादमी को सबक तो मैं भी सिखा कर जाऊंगी, बच्चू याद रखेगा किससे पाला पड़ा था। फिर उसने काफी सोचा अौर देव को सबक सिखाने के लिए एक योजना बना ली।
इस समय सुबह के 11 बजे थे, प्रशांत अाज अॉफिस अाया ही नहीं था। मोही ने जानबूझ कर अॉफिस में देर तक काम किया। रात 9 बजे मोही देव के फ्लैट पर पहुंची। उसकी अाशानुसार सुधा अौर प्रशांत भी देव के घर पर थे। मोही किसी को देख कर भी जरा नहीं चौंकी, तो तीनों हैरान हुए। मोही मुस्करा कर सबको हेलो बोलते हुए अाराम से सोफे पर बैठ गयी। सुधा ने कठोर स्वर में बात शुरू करते हुए कहा, ‘‘मोही, हमें तुम्हारी सारी असलियत पता चल चुकी है, पैसा कमाने का अच्छा तरीका खोजा।’’ मोही बस मुस्करायी, तो सुधा को अौर गुस्सा अाया, ‘‘बेशर्म लड़की, यहां से हमेशा के लिए दफा हो जाअो।’’
देव ने भी अब कहा, ‘‘मोही, बहुत हुअा। अब यहां कभी मत अाना, नहीं तो तुम ही बुरी फंसोगी, मेरा कुछ नहीं जाएगा।’’

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प्रशांत ने कहा, ‘‘अॉफिस भी मत अाना, रिजाइन करो।’’ मोही तीनों का मुंह देख रही थी, उसके होंठों पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी, बार-बार घड़ी देख रही थी। डोरबेल बजते ही वह हंसी, ‘‘देव, दरवाजा तुम खोलना चाहोगे या मैं खोलूं।’’ 
तीनों उसकी हंसी पर गंभीर हुए। देव ने बेचैनी से दरवाजा खोला, शिखा को अाया देख तीनों को एक करेंट सा लगा, ‘‘तुम यहां कैसे?’’
मोही हंसी, ‘‘देव, अपनी वाइफ का वेलकम करो, मैंने इन्हें हर बात बता कर अपनी अांखों से पूरा तमाशा देखने के लिए अाने की रिक्वेस्ट की थी, अौर हां, कुछ फोटोज भी फॉरवर्ड कर दिए थे। ज्यादा हैरान ना हो, तुम्हारी पूरी फैमिली के फोन नंबर तो मैं तुम्हारे ही फोन से कबकी ले चुकी थी, सिर्फ मैं ही गुनहगार नहीं हूं देव, तुम भी उतने ही दोषी हो, एक जवान लड़की की नजदीकी तुम्हें ही तो चाहिए थी, अाजकल कुछ फ्री में मिलता है क्या?’’
देव अौर जोर से चिल्लाया, ‘‘क्या बकवास कर रही हो, मैं तुम्हें देख लूंगा।’’
‘‘देखने में कुछ कसर बची है क्या डियर, रात-दिन देख ही चुके हो,’’ मोही कुटिल हंसी हंसी। प्रशांत अौर सुधा को कुछ समझ ही नहीं अाया कि क्या कहें। मोही हाथ झाड़ कर उठ खड़ी हुई, ‘‘मैं तो अब कभी तुम लोगों से मिलना नहीं चाहूंगी, यह तय है। हां, शिखा जी, जाते-जाते एक सलाह देना चाहूंगी, बड़ा हैंडसम पति है अापका, एक तो यहां अकेला, उस पर मुंबई अौर उस पर रंगीनमिजाज फितरत, अब तक अाप बड़े धोखे में जीती अायी हैं, अागे जरा संभल कर। मैं अकेली ही यह सब झेलती, तो मेरे साथ नाइंसाफी हो जाती। अापका पति भी उतना ही दोषी है, जितनी मैं। मेरे किए की सजा मेरी पोल खोल कर मिली, तो इसके किए की सजा भी अापको इसे यहां देख कर मिल गयी, अब हिसाब बराबर,’’ कह कर हंसते हुए मोही देव के घर से निकल गयी। शिखा के अचानक अाने से जैसे हालात ही बदल गए थे।  शिखा ने थके से स्वर में बैठते हुए घृणा से कहा, ‘‘देव, अाई हेट यू। मेरी नजरों से तुम हमेशा के लिए गिर चुके हो।’’ प्रशांत अौर सुधा गमगीन से बैठे रह गए। देव के लिए यह स्थिति बर्दाश्त के बाहर थी। मोही ने उसकी बरसों की बनायी झूठी इज्जत एक झटके में तार-तार कर दी थी, उनके शादीशुदा रिश्ते को चकनाचूर कर दिया था। शिखा अौर देव दोनों की निगाहें छत पर टिकी थीं, जहां उन्हें जिंदगी अौर घर में अायी दरारें साफ नजर अा रही थीं।