Friday 30 October 2020 02:49 PM IST : By Nisha Sinha

शरद पूर्णिमा पर क्यों खानी चाहिए खीर

Purnima

सदियों से शरद पूर्णिमा का महत्व दूसरी सभी पूर्णिमाअों से ज्यादा रहा है। आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा 16 कलाअों से युक्त होता है। इस दिन श्री कृष्ण ने महारास रचाया था। इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। दिल्ली स्थित श्री लक्ष्मी नारायण बिरला मंदिर के आचार्य भरत शुक्ल इस पवित्र और फलदायनी पूर्णिमा के लिए कुछ खास बातें बता रहे हैं-

चांद को प्रिय है खीरः चंद्रमा को औषधि का देवता माना गया है। इसलिए इस दिन खीर बना कर चंद्रमा को भोग लगाते हैं। इसे छत पर या ऐसी जगह रखते हैं, जहां चांद की रोशनी छन कर इसमें आती है। इसे ढक कर नहीं रखा जाना चाहिए। खीर रखने का सही समय 12 बजने से 20 मिनट पहले और 12 बजने के 20 मिनट बाद तक का है। आज 11:40 से 12: 20 तक रखें। संभव हो, तो इस समय श्री मद्भगवत गीता के 29वें से 34वें अध्याय तक का पाठ करें।

खीर बनाए जाने का कारण: दूध चंद्रमा का कारक माना जाता है। इसमें चांद के प्रति सबसे अधिक आकर्षण होता है। चंद्रमा का अमृत तत्व इसमें सबसे अधिक मात्रा में अवशोषित होता है। चंद्रमा को दूध सबसे अधिक लुभाता है। किसी कारणवश खीर नहीं बना सकती, तो दूध की बनी दूसरी चीज भी बना का भी भोग लगाया जा सकता है। इस प्रसाद को रात को भी खाया जा सकता है वरना दूसरे दिन खा सकते हैं। परंपरा के अनुसार कुछ लोग 12 बजे के बाद नहीं खाते हैं, तो दूसरे दिन खा लें।

खीर से जुड़ी जरूरी बातें: बनाने के पहले गैस स्टोव को अच्छी तरह साफ कर लें। खीर को ढक कर ना पकाए। खीर को चांद की रोशनी में रखने के लिए चांदी का बरतन सबसे सही है। अगर चांदी का बरतन नहीं हो, तो किसी भी पात्र में रख सकते हैं। खीर से भरे पात्र पर गंगा जल छिड़कने के बाद छत पर रखें।

लक्ष्मी पूजन का मुहूर्तः इस दिन धन और वैभव के लिए लोग लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। कहते हैं कि इसी दिन सागर मंथन के बाद लक्ष्मी जी प्रकट हुई थी। आज के दिन बहुत लोग व्रत भी रखते हैं। आज पूजा के लिए शाम 6ः29 बजे से रात 8ः25 बजे तक का समय सबसे उपयुक्त है।