Tuesday 15 March 2022 02:57 PM IST : By Ruby Mohanty

मां नानी और नातिन का निटिंग स्टार्टअप

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75 वर्षीय आशा पुरी, 53 वर्षीय नीरू सोंधी और 29 वर्षीय कृतिका सोंधी। ये हैं बुनाई की तीन देवियां, जिन्होंने लोगों के बीच हैंड निटेड बुनाई को एक बार फिर से पॉपुलर करने की कोशिश की है। नयी पीढ़ी भी हाथ की बुनाई को पसंद कर रही है, तभी उन्हें हैंड निटेड स्वेटर्स की ऑनलाइन शॉपिंग पर भी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। 

बुनाई का शौक रखने वाली महिलाएं कृतिका सोंधी से जुड़ रही हैं। वे ज्यादातर स्कार्फ और मफलर बनाती हैं, क्योंकि ये पॉपुलर प्रोडक्ट्स हैं। प्लम, ब्लैक, बॉटल ग्रीन जैसे कलर्स से तैयार नेक वॉर्मर का क्रेज भी इन दिनों ज्यादा दिख रहा है। 

इनसे मिलिए, ये हैं चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर कृतिका सोंधी, चीफ मेंटर आशा पुरी और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर नीरू सोंधी। एक ही परिवार और तीन पीढि़यां। नातिन, नानी और मां। सभी एक साथ एक ही बिजनेस को संभाले हुए हैं। यह ऑनलाइन हैंडमेड स्वेटर की सेलिंग का बिजनेस है। हाथ से तैयार किए खूबसूरत स्वेटर की गरमाहट की बात ही कुछ और होती है। ये तीनों महिलाएं ऊन के साथ-साथ अपनी कल्पनाएं और इच्छाएं बुनती हैं और साथ ही बुरे समय में आर्थिक रूप से मजबूत होने का जज्बा रखती हैं। 

कैसे हुई शुरुआत 

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2018 वर्ष के शुरू की बात है, जब एमबीए ग्रेजुएट कृतिका के पास जॉब नहीं थी, उनके जीवन का वह मुश्किलभरा दौर था। बिना नौकरी के ना समय कटता और ना ही मन खुश होता था। घर में खाली बैठे-बैठे नेगेटिव विचार आते थे। जीवन में क्या करना है, कैसे करना है, कब करना है, जैसी बातें भविष्य पर सवाल खड़े करती थी। इस उदासी में कृतिका अपनी नानी को स्वेटर बुनते हुए देखती, तो उसे अच्छा लगता। रंगबिरंगी ऊन से लिपटी नानी की उंगलियां सलाइयों पर थिरकतीं। सलाइयों पर स्वेटर के फंदे पड़ते, बहुत धैर्य के साथ स्वेटर की एक-एक लाइन पूरी होती। सुबह से दोपहर तक आधा स्वेटर ही बुन पाता था। चाय की चुस्कियों के साथ स्वेटर बनाने का आनंद लेती नानी को देखना कृतिका को अच्छा लगता था। एक बार उसने नानी से यों ही पूछा, ‘‘नानी, क्या आप मुझे निटिंग करना सिखाओगी।’’ कृतिका के पूछनेभर की देरी थी, नानी ने उसे झट से सिलाइयां थमा दीं और कहा, ‘‘यह पकड़ो दुख-सुख की सहेली सलाइयां।’’ एक वह दिन था, और एक आज का दिन है। सलाइयों का साथ कृतिका ने कभी नहीं छोड़ा।

निटिंग ने बदली दुनिया 

कृतिका कहती हैं, ‘‘धीरे-धीरे मुझे बुनाई करते हुए अच्छा महसूस होने लगा। मैंने मफलर बनाना शुरू किया। मुझे अहसास हुआ कि निटिंग वाकई एक तरह की थेरैपी है। इससे मानसिक शांति मिलती है। माइंड रिलैक्स होता है और नींद भी अच्छी आती है। पर सच तो यह है कि स्वेटर बुनना जितना आसान दिखता है, उतना आसान नहीं है। एक-एक प्रोडक्ट बनाने में बहुत समय लगता है।’’ 

नातिन और नानी का यह बुनाई मूवमेंट सोशल मीडिया में वायरल हुआ। कृतिका के फ्रेंड्स भी इस काम में रुचि लेने लगे। पूछना शुरू किया कि वे उनके लिए भी ऑर्डर पर बुनाई कर सकती हैं। अब तक नानी अपनी बुनाई को अपने करीबी लोगों को उपहार के तौर पर ही देती थीं, कभी उन्हें बेचा नहीं। कृतिका को आइडिया आया कि क्यों ना नानी के इस हुनर को सभी के सामने लाया जाए। इन स्वेटर्स को ऑनलाइन बेचा जाए। सभी के घर में दादी या नानी होती हैं, जो अपनों के लिए स्वेटर बुन कर दें। वहां से वेबसाइट विद लव फ्रॉम ग्रेनी का आइडिया शुरू हुआ। कृतिका की मां ने भी उनके इस काम में काफी मदद की। कृतिका का कहना है, ‘‘मां ने हमारे बनाए प्रोडक्ट की मार्केटिंग की। एक महीने में हमें 50 ऑर्डर मिले। यह जनवरी की बात है, जब ठंड अपने पूरे शबाब पर होती है। हमने काफी प्रोडक्ट सेल किए। फिर हमने इंस्टाग्राम के माध्यम से भी प्रोडक्ट सेल करना शुरू किया। हर साल हम विंटर में ही काम करते थे।’’ ऑनलाइन निटिंग का काम शुरू तो हुआ, लेकिन कोविड महामारी की वजह से उनके इस नए काम में बहुत उतार-चढ़ाव आए। जिस कंपनी में कृतिका नौकरी कर रही थीं, वहां से उनकी नौकरी छूट गयी। नौकरी गयी, लेकिन स्वेटर बुनना नहीं छूटा। उन्होंने फिर से नानी के साथ काम करने पर ही अपना फोकस किया। वे जानती थीं कि इस दौर में नौकरी मिलना मुश्किल है। 

आगे का इरादा 

कृतिका के पास कोई दूसरी नौकरी मिलने तक पर्याप्त समय था, उन्हें स्वेटर वाले काम को वेबसाइट के रूप में बदलने का पूरा समय मिला। निटिंग से जुड़ी उनकी वेबसाइट बनी। वेबसाइट बनाने के बाद उनके पास बहुत सारे ऑर्डर आने लगे। कई लॉयल कस्टमर बने। कई महिलाएं दिल्ली से बाहर की भी उनसे जुड़ीं। कई बच्चों ने भी साइट पर उनसे संपर्क किया कि घर में हमारी मां और दादी हैं, जो उनके साथ काम करना चाहती हैं। कोविड और लॉकडाउन से पहले कृतिका और नीरू के साथ निटिंग को ले कर 42 से अधिक महिलाएं जुड़ी थीं, पर कोरोना की दूसरी लहर आने की वजह से इस नए बिजनेस की गति धीमी पड़ गयी। अब 17 महिलाएं इनसे जुड़ी हैं। 

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नानी उर्फ आशा पुरी कहती हैं, ‘‘एक समय था, जब हमारे पास स्वेटर्स के 1000 ऑर्डर थे। हम विंटर क्लोदिंग के अलावा समर क्लोदिंग,एक्सेसरीज, खिलौने आदि भी बनाते हैं। उस समय हमारा प्लान था कि हम बल्क ऑर्डर पर काम करें और विदेशों से भी ऑर्डर लें। पर कोरोना काल में कुछ ना हो पाया। अब स्थितियां फिर से सुधर रही हैं। कृतिका ने वेबसाइट बना कर मेरी परेशानी का हल निकाल दिया। अब जब भी मैं कहीं बाहर गयी, तो वेबसाइट के माध्यम से अपने काम से संपर्क रख सकती हूं। जो ऑर्डर आएंगे, उन्हें समय पर भी पूरा कर सकूंगी। कृतिका की मां नीरू सोंधी का कहना है, ‘‘निटिंग कला है, जिसने सीख लिया, वह इस हुनर को भूल नहीं सकता। हम आने वाले समय में इसे एनजीओ का रूप देंगे। भले ही बिटिया कृतिका विवाह करके अपनी ससुराल चली जाए, पर इस वेबसाइट के मार्फत निटिंग से जुड़ी रहेगी।’’