Wednesday 05 March 2025 12:28 PM IST : By Ruby Mohanty

भारत की वंडर गर्ल है जान्हवी, कई भाषाओं में महारत है हासिल

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हरियाणा के एक छोटे से गांव समालखा की रहने वाली जान्हवी पंवार से मिलिए। वे अपनी ठेठ हरियाणवी बोलने के अलावा कई एक्सेंट में अंग्रेजी बोलती हैं। अमेरिकी, ब्रिटिश, ऑस्ट्रेलियन, स्कॉटिश एक्सेंट्स के अलावा फ्रेंच, जैपनीज और स्पैनिश भाषाओं पर उनकी अच्छी पकड़ है। 10 साल की उम्र में उन्हें भारत की ‘वंडर गर्ल’ का खिताब मिला।

भाषा सीखने का उनका अपना स्टाइल है। यह स्टाइल उन्होंने यूट्यूब से सीखा। रही-सही कसर उन्होंने उसी भाषा की फिल्में देख कर पूरी की। वे कहती हैं, ‘‘बचपन से मुझे अलग-अलग भाषाओं के प्रति रुझान था। पिता सरकारी स्कूल में प्राइमरी टीचर हैं। घर में पढ़ने-लिखने का माहौल रहा। चाचा, मामा सभी को पढ़ने का शौक है। पर कभी भी बाध्यता नहीं थी कि घर में अंग्रेजी ही बोलनी है। आमतौर पर मैं घर में सभी से हरियाणवी बोलती हूं, पर पापा से अंग्रेजी में बात करती हूं। इससे मेरी इंग्लिश की प्रैक्टिस होती रहती थी। वैसे अंग्रेजी को महज एक भाषा के तौर पर सीखा जाए तो यह बहुत सहज है। मैंने इसे सीखने के लिए इंग्लिश मूवी का भी सहारा लिया।

‘‘मैं किसी भी भाषा की अोरिजनल मूवी देखती हूं, उसके बाद फिल्म को सबटाइटल्स के साथ देखती हूं। मैंने लंबे समय तक भाषा के प्रोनाउंसिएशन पर काम किया है। इसके लिए मैंने किताबों से भी मदद ली। किसी भी विषय में महारत हासिल करने के लिए थोड़े गहन अध्ययन की जरूरत होती है। आपको अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उस विषय पर रिसर्च करने की जरूरत है। अब मैं अंग्रेजी को 8 तरीके से बोलती हूं। अंग्रेजी में R और T बोलने का अंदाज अलग-अलग देशों में अलग है। मैं हर तरह के एक्सेंट में बोल सकती हूं।’’

जान्हवी 19 साल की उम्र में इंग्लिश में एमए कर चुकी थीं। 21 साल की उम्र में आजकल जान्हवी समालखा गांव के एक कॉलेज में पढ़ाती हैं। वे ऑनलाइन क्लास भी लेती हैं और उनके स्टूडेंट देश-विदेश के मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले लोग और IAS अफसर हैं। वे जान्हवी से सॉफ्ट स्किल और कम्यूनिकेशनल स्किल सीखते हैं। ऐसे भारतीय स्टूडेंट भी हैं, जो विदेश जाते हैं, पर उन्हें विदेश जा कर भाषा को ले कर परेशानी होती है।

जो लोग भाषा सीखना चाहते हैं, उनके लिए जान्हवी कहती हैं, ‘‘भाषा एक स्किल है। उसे सब्जेक्ट की तरह ना पढ़ कर स्किल की तरह पढ़ें। किसी भी भाषा का कोर्स करना ही काफी नहीं होता। उसकी प्रैक्टिस करने की जरूरत है। थोड़ा सा इस क्षेत्र में अपना रुझान दिखाने की जरूरत होती है। मैं चाहती हूं कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ाऊं। आगे भी अंग्रेजी भाषा में रिसर्च करूं। वैसे मेरे 4 रिसर्च कंप्लीट हो चुके हैं। दो नेशनल और दो इंटरनेशनल, दो अंडर रिव्यू भी हैं। मैं चाहती हूं कि मैंने लैंग्वेज सीखने में जो परेशानियां झेली हैं, वैसा लोगों को ना झेलना पड़े।’’

जान्हवी भले ही अंग्रेजी बोलें, पर हिंदी भाषा को ले कर उनके बहुत सुलझे हुए विचार हैं। वे कहती हैं, ‘‘ हिंदी हमारी अपनी भाषा है। पर लोगों को आज भी इस भाषा को बोलने में गर्व नहीं होता। पर सच तो यह है कि हिंदी को हमें उसी लेवल की रेस्पेक्ट देनी होगी, जो रेस्पेक्ट हम अंग्रेजी को देते हैं। मुझे लगता है हम आज भी ब्रिटिशर्स या अमेरिकन्स के सामने हीन भावना के शिकार होते हैं। फ्रांस या जापान को देखें तो लगता है उन्हें अपनी भाषा पर गर्व है। लेकिन उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर काम करना हो तो वे इंग्लिश बोलते और सीखते हैं। इसीलिए हिंदी को भी उतनी तवज्जो चाहिए जितना हम अंग्रेजी को देते हैं।’’

जान्हवी अपने देसी कल्चर पर गर्व करती हैं। भले ही हरियाणवी डायलेक्ट को थोड़ा रूखा माना जाता है, पर उन्हें हरियाणवी बोलने में कोई शर्म नहीं आती है।