Saturday 29 May 2021 05:38 PM IST : By Nisha Sinha

घडिय़ालों को घड़ीभर में काबू कर लेती है अरुणिमा

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बहादुरी की मजेदार प्रेरक कहानी 

आधी रात को लखनऊ की अरुणिमा सिंह को एक कॉल आता है। उनको पता चलता है कि एक घर में एक मगरमच्छ घुस आया है। इस कारण लोग डरे हुए हैं। यह बात अगस्त 2018 की  है। गुडुम्बा इलाके के एक घर में नजदीकी तालाब के पानी ऊपर तक आ जाने के कारण ऐसा हुआ था। टर्टल सर्वाइवल अलाएंस इंडिया में कार्यत अरुणिमा के बारे में सभी को पता है कि वह खतरनाक घडिय़ालों पर जल्दी  काबू पा लेती हैं। यह घडिय़ाल 7 फीट लंबा था। बाढ़ के पानी के कारण इस पर काबू पाना इतना आसान नहीं था। करीब 2 बजे ऐसा लगा कि अब मगरमच्छ काबू में आ जाएगा लेकिन पांच घंटे की मेहनत के बाद निडर अरुणिमा अपनी टीम के साथ मिल कर इस पर काबू पाया और सात बजे तक यह खतरनाक जानवर काबू में आया। एक बार मध्य प्रदेश वन विभाग की ओर से मगरमच्छ को पकडऩे के लिए अरुणिमा की मदद ली गयी। बड़े तलाबों में मगरमच्छों पर काबू पाना आसान नहीं होता है। पर टीम की मदद से यह अभियान सफल रहा। यह जरूर है कि जब लोगों को उम्मीदें होती है, तो वह सिचुएशन थोड़ा नर्वस करता है। पर मेरी कोशिश है कि हर रेस्क्यू ऑपरेशन में जल्द से जल्द जानवर को राहत दिलाया जाए क्योंकि कई बार वे बड़ी तकलीफ में होते हैं। कई बार लोग मुझे तालाब में मगरमच्छ को पकड़ते हुए पिक्चर मांगते हैं लेकिन ऐसी कोई तसवीर नहीं है। इसकी केवल एक वजह होती है कि किस तरह से एनिमल को मुसीबत से निकाला जाए।

तो क्या अरुणिमा हमेशा से ऐसी थी

अरुणिमा को जानवरों से बचपन से प्यार रहा है। उनको तरह-तरह के जानवर आकर्षित करते थे। बचपन में बकरियां बहुत अच्छी लगती थी। धीरे-धीरे दूसरे जानवर से भी मोह होता गया। जंगली जानवरों में इनको चीता भी बेहद पसंद है। ऐसा माना जाता है कि महिलाएं तो छिपकली को देख कर ही चिल्ला पड़ती है, ऐसे में छिपकली की नानी जैसी दिखनेवाली घडिय़ाल को इन्होंने कैसे काबू करना सीख लिया। अरुणिमा के अनुसार, पर्यावरण और जानवरों के साथ करने पर इनसे प्यार हो जाता है और प्यार में डर नहीं लगता। यह जरूर है कि कई बार इन जानवरों नुकीले दांत अरुणिमा के कोमल हाथों को चीर भी डालते हैं। लेकिन वह हाथ छुड़ा कर भागती नहीं।

शुरुआत में इनकी स्टोरी हजम करना आसान नहीं था

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इस जोखिम काम के लिए परिवार के मन में थोड़ी शंका तो थी। पापा और मम्मी दोनों को यह डर सताता कि कुछ अनहोनी ना हो जाए। टर्टल सर्वाइवल अलाएंस एंड वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसायटी इंडिया में प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर के तौर पर कार्यरत अरुणिमा कहती हैं, हर पिता की तरह उन्हें मुझे ले कर डर था। शुरुआत में कुछ रेस्क्यृू ऑपरेशन में वे साथ भी गए। लेकिन जल्दी ही उन्हें मुझ पर भरोसा हो गया। जब कभी मैं रेस्क्यू में सफल होती हूं, उनके चेहरे पर स्माइल होती है। शुरू की बात करें, तो मेरे रिलेटिव्स को यह काम बहुत पसंद नहीं आया। लेकिन मेरे पापा ने मेरा पुरा सपोर्ट किया। उन्होंने मुझे काम करने की पूरी आजादी दी।

महिलाएं कमजोर होती हैं क्या

आम लड़कियों के बारे में ऐसा माना जाता है कि वह जन्म से ही कोमल और डरपोक होती है, क्या अरुणिमा भी इसे सही मानती है। बकौल अरुणिमा, दरअसल लड़कियों को नाजुक मान कर उनकी सुरक्षा की जाती है। इस कारण ऐसी धारणा बन गयी है। वरना महिलाओं ने तो हर क्षेत्र में खुद को साबित किया है। हां, यह जरूर है कि हर लडक़ी को परिवार से उसी तरह का सपोर्ट मिले, जैसा मुझे मिला है, तो भारतीय महिलाएं बुलंदी के रोज नए झंडे गाड़े। मेरा मानना है कि ग्रामीण इलाकों में निचले तबकों की युवतियों तक शिक्षा पहुंचायी जाए, तो महिलाओं की दिशा में यह बड़ा कदम होगा।