Thursday 13 August 2020 03:40 PM IST : By Nisha Sinha

इन बातों का ध्यान रखेंगी तो मायके अौर ससुराल दोनों जगह तारीफ मिलेगी

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ससुराल अौर मायके के कुछ नियमों को हर युवती दिल से अपना ले, तो ननद-भाभी, देवरानी-जेठानी, सास-बहू जैसे खट्टे-मीठे रिश्ते स्नेह की मीठी चाशनी से अौर भी मधुर हो जाएंगे। 


मायके में मोहब्बत के कायदे


⇛ भाभियों पर पहले ही अपने परिवार की जिम्मेदारियां होती है, ऐसे में मायके जा रही हैं, तो अच्छी ननद साबित हों अौर किचन में उनका हाथ बटाएं।
⇛ घर में ढेरों बच्चे इकट्ठा हो गए हैं, खूब शोरशराबा हो रहा है, तो इसे भी थोड़ा कंट्रोल करें। सारे बच्चों को बोर्ड गेम खेलने को दें या फिर दिन में एक बार कोई अच्छी मूवी का अानंद उठाएं। इससे घर की शांति कायम रहेगी।
⇛ बेशक शादी के पहले अाप घर की लाड़ली बिटिया रही हैं, लेकिन मस्ती में मायके पहुंचने पर हमेशा अपने माता-पिता को घेर कर नहीं बैठी रहें। अपने भाभी को यह फील कराएं कि अापके माता-पिता पर उनका हक अापसे ज्यादा है।
⇛ नाती-नातिन कभी-कभी ननिहाल जाते हैं इसलिए नाना-नानी के बेहद दुलारे होते हैं। ऐसे में नाना-नानी अौर नाती-नातिन को एक-दूसरे पर प्यार लुटाने दें। अापके भतीजे-भतीजी अपने दादा-दादी से अलग-थलग ना महसूस करें, इसलिए अाप एक अच्छी बुअा बन कर उन बच्चों पर प्यार लुटाएं। यह बात तो अाप भी जानती होंगी कि भले ही अापकी अपनी भाभी से अधिक नहीं बनती हो, भतीजे-भतीजी अापको बेहद प्यार करते हैं अौर अाप भी उन पर उतना ही जान लुटाती हैं।
⇛ ससुराल जाएं, तो सबके लिए छोटे-मोटे उपहार ले कर जाएं। बूढ़े माता-पिता अौर घर के छोटे-छोटे बच्चों के लिए बहुत कुछ लेती रही हैं, तो भाई अौर भाभी के लिए भी कुछ लें। कई बार भाभियों के लिए भी चूड़ियां अौर डिजाइनर बिंदिया ले लेती हैं, ऐसे में भाई साहब को क्यों छोड़ती हैं। उनके लिए डियोडरेंट या पर्स या बेल्ट तो ले ही सकती हैं। अगर बजट ज्यादा नहीं है, तो भाई की फेवरेट मिठाई का डिब्बा ही ले लें।
⇛ भाभियां पूरे परिवार को खिलाते समय अापको भी साथ बिठा कर खाना परोस रही हैं, तो अाप भी दिन के एक वक्त के खाने में उनको परिवार के साथ बैठ कर खाने को कहें अौर उनको गरमागरम फुलके सेंक कर खिलाएं। अापके इस छोटे से प्रयास से ही अापकी भाभियां खिल उठेंगी।
⇛ भाई-भाभी के कमरे में हमेशा नहीं बैठी रहें, ना ही बच्चों को दिनभर उनके साथ छोड़ें। उनको अपना स्पेस दें।
⇛  कभी-कभी अाप भी ईवनिंग स्नैक्स में समोसे मंगवाएं अौर गरमागरम चाय के साथ पूरे मायके को सर्व करें। मां-पापा को अाप पर गर्व होगा, भाई को नाज होगा अौर भाभियां तो अाप पर जान लुटाएंगी।
शादी के बाद ससुराल को लड़कियों का पहला घर माना गया है। यह उनके हमसफर का घर होता है, जिसके साथ उसे जिंदगी गुजारनी है। इसलिए पति के परिवार को दिल से अपनाना अौर उनके हर सुख-दुख को समझते हुए उनका साथ निभाना बेहद जरूरी है। कई बार पति की नौकरी की वजह से ससुराल से दूर जाना पड़ता है। लेकिन जब कभी ससुराल में समय गुजारने का मौका मिले, वहां की घरेलू अौर अार्थिक व्यवस्था को समझते हुए खुद को ढालें। ससुरालवालों के साथ-साथ यह अापकी खुशी के लिए भी बेहद जरूरी है।
⇛ दशहरा, दीवाली या छठ की छुटि्टयाें को परिवार के साथ मनाने के लिए लोग दूसरे शहर में रह रही जॉइंट फैमिली के पास जाते हैं। यह बहुत ही अच्छा है, लेकिन जब अाप कई महीनों के बाद वहां जा रही हैं, तो परिवार के हर सदस्य के लिए अपने बजट के हिसाब से उपहार ले कर जाएं। विशेषकर त्योहारों में कभी भी खाली हाथ नहीं जाएं। लेकिन किसी कारणवश अापको कम अंतराल पर ससुराल जाना पड़ रहा है, तो बड़ों के बजाय केवल छोटे बच्चों के लिए छोटी-मोटी चीजें ही ले जाएं।
⇛ जॉइंट फैमिली में खुले हाथ से खर्चे नहीं किए जाते हैं। सब्जी, दूध, फल समेत कई चीजों को हिसाब से ही इस्तेमाल में लाया जाता है। इसलिए वहां अपनी अौर बच्चों की प्लेट में समझदारी से खाना परोसें।  
⇛ अपने परिवार के साथ अपने कमरे में जा कर नहीं खाएं। पूरे परिवार के साथ बैठ कर ही खाना खाएं। इससे निकटता बढ़ेगी। नयी पीढ़ी को अपने कजिन्स के साथ अपनापन महसूस होगा। 
⇛ शहरों में रहनेवाले बच्चों को गांवों के नियम-कायदे या वहां की व्यवस्था को ले कर पहले ही अवगत करा दें जैसे गांव में बिजली कम अाती है, वहां सुबह समय पर उठ कर सबके साथ खाना होगा, टीवी ना देखने पर कोई मलाल ना करें।
⇛ जॉइंट फैमिली में ज्यादा सदस्य होने के कारण थोड़ी सी चीज को भी प्यार से शेअर किया जाता है। छोटे कमरे में भी अच्छी तरह से एडजस्ट करें या किसी से रूम शेअर करने में हिचकिचाएं नहीं। अाखिर कुछ दिनों की ही बात है, फिर अापका ससुराल भी अापका घर ही है।
⇛ घर में बना खाना ही खाएं। अगर खाना पसंद नहीं अाए, तो केवल अपने लिए बाहर से अॉर्डर करके ना मंगाएं। लेकिन फिर भी बच्चों के कारण मजबूरी में रेस्तरां से खाना मंगवा रही हैं, तो उसकी मात्रा इतनी होनी चाहिए कि घर के बाकी बच्चों से भी उसे शेअर किया जा सके।
⇛ अगर अापको या बच्चों को शेअर करने की अादत नहीं है, तो कोई कीमती समान, महंगे खिलौने, विदेशों से मंगायी गयी वस्तुएं ना ले कर जाएं, क्योंकि किसी के मांगने पर अापने मना किया, तो अापके इस व्यवहार से उनको दुख पहुंच सकता है।  
⇛ जितने दिनों तक अाप ससुराल में हैं, घर की साफ-सफाई में भी हाथ बंटाएं। केवल अपने कमरे की सफाई तक ही सीमित नहीं रहें। घर के कॉमन प्लेस जैसे ड्रॉइंग रूम, डाइनिंग एरिया, बालकनी की डस्टिंग करने से ना हिचकिचाएं।
⇛ शहर में भले ही अाप अाधुनिक पोशाकें पहनती हों, ससुराल में वहां पहनी जानेवाली पोशाकों को सम्मान दें। पारंपरिक पोशाकों को अपनाएं। बदले में अापकी तारीफ ही होगी। 
⇛ 15 दिन या महीनेभर की छुटि्टयों बिताने के लिए गयी हैं, तो घर के खर्चे में अपना योगदान जरूर दें। इससे परिवार के मुखिया के ऊपर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
⇛ किसी की बातों से अाहत हुई हैं, तो उसे मन में रख कर नहीं लौटें। इस बारे में उससे बात करें अौर अापस की तकरार को वहीं खत्म करके अच्छे मन से घर लौटें। इससे बात भी नहीं बिगड़ेगी अौर गलतफहमियां भी दूर होंगी।