Saturday 10 October 2020 04:15 PM IST : By Nisha Sinha

बिहार की दीवारों को मधुबनी आर्ट से सजा रही हैं मधुबनी आर्टिस्ट नूतन झा

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कभी पटना शहर की गंदी अौर बदबू मारती दीवारों का कायाकल्प हो गया है। रंगों की मदद से शहर को सुंदर बनाने में नूतन झा का बड़ा योगदान है। पटना को गंदा शहर माननेवालों की सोच को चैलेंज देने के लिए नूतन और उनके साथियों ने यहां के गली-कूचों अौर चौराहों को मधुबनी पेंटिंग्स से सजाने की ठान ली है।

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उगा हे सुरूज देव, भेल भिनसरवा, अर्घ्य के रे बेरबा, पूजन के रे बेरबा, हो.... (जल चढ़ाने की बेला हो गयी है, पूजा की बेला हो गयी है, हे सूरज देव अब उठ जाइए) छठ का गीत गाते फलों से भरे सूप को हाथों में थामे परवैतिनों (पर्व करनेवाली व्रती) के पैर पटना के दरभंगा घाट से लग कर बहती गंगा मैइया की ओर बढ़ रहे थे। सिर पर प्रसाद की टोकरी लिए और हाथों में दूध का पात्र लिए साथ चल रहे संबंधियों की नजरें रास्ते के दोनों ओर की दीवारों पर सहसा जा टंगीं। पिछले साल जो दीवारें दूधिया सफेद रंग से रंगी थीं, इस बार वे चटख रंगों से बनी मधुबनी पेंटिंग्स से सजी थीं। कहीं काली मोटी मूंछों में लाल-लाल सूरज भगवान विराजमान थे, तो कहीं हरे मोटे केले के गाछ बने थे। कहीं आपस में बंधे पतले-पतले गन्ने उकेरे गए थे, तो कहीं जलते दीप सजे कलशों से लटकते आम बने थे। देखते ही देखते लोग इन दीवारों के सामने खड़े हो कर सेल्फी लेने लगे। खुसफुसाहट शुरू हो गयी कि दीवारों को सजाने का इतना खूबसूरत काम जिसने भी किया हो, बहुत ही नायाब है।

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दरअसल इसका श्रेय पटना युनिवर्सिटी से संस्कृत में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही नूतन झा को जाता है। स्कल्पचर बनाना व पेंटिंग करना हमेशा से नूतन की हॉबी रही है। नूतन कहती हैं, ‘‘2018 में छठ पूजा के समय पटना नगर निगम से मुझे घाटों को मधुबनी पेंटिंग से सजाने का प्रोजेक्ट मिला। काली घाट, कदंब घाट, बंसी घाट और इनकम टैक्स गोलंबर से छठ के समय काफी भीड़ गुजरती है इसलिए इनको मधुबनी पेंटिंग से सजाने का काम मिला। बिहार में छठ पूजा के दिनों में लोग बहुत बिजी होते हैं, इसलिए हमें इस काम के लिए ज्यादा लोग नहीं मिले। बस 5-6 कलाकार जुडे़। हमें 2-3 दिन का ही समय दिया गया था। घाटों को मिथिला चित्रकला से सजाने के काम की खूब तारीफ हुई, तो कई लोगों ने यह कह कर हतोत्साहित भी किया कि मैंने मधुबनी कला को सड़क पर ला दिया। सोशल नेटवर्किंग साइट पर भी मजाक उड़ाया गया। सबसे दुखद था कि ऐसे ताने देनेवालों में इसी क्षेत्र के कुछ वरिष्ठ कलाकार भी थे। लेकिन इसके पीछे मेरी भावना थी कि जो लोग सरकारी दीवारों को गंदा करने का काम करते हैं, उनको रोका जाए। दीवारों का सौंदर्यीकरण इसमें मददगार साबित होगा।’’

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बिहार के बेगूसराय की रहनेवाली 25 वर्षीय नूतन कहती हैं कि बिहार से बाहर रहनेवालों की सोच है कि यहां गरीबी और गंदगी है। मैं चाहती हूं मेरे प्रयास से बिहार को ले कर उनकी सोच को बदलूं। वे बताती हैं, ‘‘जब हमने सड़कों के किनारे की बाउंड्रीज को सजाना शुरू किया, तो काम के दौरान मुसीबतों का सामना भी करना पड़ा। पहले मेरी राय थी सड़कों पर शौच करके उसे गंदा करने का काम नीचे तबके के लोग या फुटपाथ पर रहने वाले ही करते हैं, लेकिन कई इलाकों में पुलिसवालों व संभ्रांत परिवार के लोगों को भी ऐसा करते देखा गया। जब हमने अापत्ति जतायी, तो हमारी बेइज्जती की गयी। जेल में डालने की धमकी भी दी गयी, उठवाने की बात तक कही गयी। पर हमारी टीम ने हार नहीं मानी। दो-तीन तक काम रोकने के बाद फिर काम करना शुरू कर दिया। लेकिन धमकियों के बीच आम नागरिकों का सपोर्ट भी मिला।’’

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नूतन याद करते हुए बताती हैं, ‘‘मैं सड़कों के किनारे धर्म से जुड़ी चित्रकारी नहीं करती थी, क्योंकि बहुत लोग सड़कों को गुटका, पान की पीक, शौच से गंदा करते हैं। लेकिन मेरे पास सड़कों पर लिट्टी-चोखा, चाय, फल बेचने वाले 10-20 लोग आए व कहा कि बिटिया तुम बनाअो, हम देखते हैं कि कौन इसे गंदा करता है। उनके कहने पर हमने पटना के एसके पुरी पार्क के पास पेंटिंग की। कई जगहों पर हमने दीवारों पर मैसेज वाले चित्र बनाए। इनमें गंदगी, फीमल फीटिसाइड आदि को रोकने की भी बात की गयी है।’’

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नूतन ने बताया कि दूसरी कला के बजाय मधुबनी पेंटिंग चुनने की वजह यह थी कि इसे हर तबके व हर उम्र के लोग कर सकते हैं। कई ठेला-रिक्शा चलानेवालों के बच्चे हैं, जो आर्ट की महंगी पढ़ाई नहीं कर सकते, पर उनकी इसमें रुिच है। मेरा काम उनके लिए प्लेटफॉर्म तैयार करना है। मेरे साथ पेंटिंग करने वालों में बच्चे व बुजुर्ग दोनों शामिल रहे हैं। यह सीख कर किया जाने वाला काम है। मैं चाहती हूं कि जरूरतमंद इसे करके दो वक्त की रोटी खा सके। मेरे साथ एक ऐसे व्यक्ति भी जुड़े हैं, जिनको बिटिया की शादी करने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा था। उन्होंने काम करने का आग्रह किया, ताकि कुछ आर्थिक मदद मिल सके। हमें खुशी है कि हम उनकी मदद कर सकें।