Friday 01 April 2022 01:49 PM IST : By Pooja Samant

कश्मीर फाइल्स में शारदा पंडित का किरदार निभाने वाली भाषा सुंबली से खास मुलाकात वनिता की

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पूरे देश भर में विवेक अग्निहोत्री के निर्माण -निर्देशन में बनी फिल्म 'कश्मीर फाइल्स’ ने कोहराम मचाया है।बच्चन पांडे जैसी मल्टीस्टारर और व्यावसायिक फिल्म को भी सफलता नसीब नहीं हुई चूंकि कश्मीर फाइल्स फिल्म के प्रति फिल्म दर्शक आकृष्ट हुए। अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, दर्शन कुमार, मृणाल कुलकर्णी जैसे मंजे हुए कलाकारों के बीच एक नवोदित अभिनेत्री ने अपने सहज अभिनय के कारण सभी का ध्यान अपनी और खींच लिया। शारदा पंडित का किरदार निभाने वाली इस अभिनेत्री का नाम है भाषा सुम्बली फिल्म कश्मीर फाइल्स में उन्होंने अनुपम खेर की बहू का किरदार निभाया है 

प्रश्नः सबसे पहले आपके बारे में जानना चाहते है?

उत्तरः कश्मीर फाइल्स फिल्म में जो शारदा पंडित का किरदार है वह असल जिंदगी पर आधारित है। मेरा जन्म श्रीनगर में हुआ है, हम वहां के कश्मीरी हिंदू हैं। 1990 के बाद कश्मीर के हालात बिगड़े और हम विस्थापित हुए और फिर आगे की जिंदगी हमें कभी रिफ्यूजी कैम्प में, कभी तम्बुओं में बितानी पड़ी। मेरा पूरा बचपन ऐसे ही विस्थापितों की तरह बीता। आज 30 वर्षों बाद भी कई लोग ऐसे है जो यह मान ही नहीं रहे की हां कश्मीर में जेनोसाईड (मानवहत्याएं) हुआ, अपने परिवारों के साथ कश्मीर के मूल लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा , उन पर क्या क्या आपदाएं बीती यह कहने के लिए मेरे पास अल्फाज नहीं है ! सरकार की तरफ से हमें कोई रियायत कभी थी नहीं , शिक्षा लेकर अपने पैरों पर खड़े होना हर कश्मीरी पंडित परिवारों में हमेशा से टॉप प्रायॉरिटी थी। मेरा बचपन कभी दिल्ली, कभी प्रयागराज, कभी श्रीनगर कभी जम्मू में बेघर बीता, लेकिन हमारा कश्मीरी पंडितों का समुदाय शिक्षित समाज है, और इन बिखरे हालातों में मेरी एजुकेशन चलती रही और फिर जम्मू में मैंने बीए की डिग्री ली।

प्रश्नः क्या अभिनय की प्रेरणा आपको कभी हिंदी फिल्मों से मिली?

उत्तरः नहीं, मुझे अपने बचपन में कोई फिल्म देखने का मौका नहीं मिला , जहां दो वक्त की रोटी, सांस लेना-शांतिपूर्वक जीना आसान नहीं था , फिल्म तो बहुत दूर की बात है। अभिनय परफॉर्मिंग आर्ट है मेरे लिए। मैंने रशियन, भारतीय, यूरोपियन, फ्रेंच लिटरेचर काफी पढ़ा । 15 वर्ष की उम्र में मैंने पहला नाटक लिखा। बुल्लेशाह नाटक का भी मुझ पर प्रभाव रहा और इसी नाटक पढ़ने-लिखने देखने की प्रक्रिया में मुझे अभिनय करना अच्छा लगा।

प्रश्नः कश्मीर फाइल्स 'फिल्म के लिए आपका सिलेक्शन कैसे हुआ?

उत्तरः दीपिका पादुकोण के निर्माण में बनी फिल्म 'छपाक ' में मुझे पहली बार अभिनय का मौका मिला हालांकि रोल बहुत बड़ा नहीं था, कश्मीर फाइल्स मेरी दूसरी फिल्म है। कश्मीर फाइल्स के निर्माता -निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर पर ट्वीट किया था की वे अपनी फिल्म कश्मीर फाइल्स के लिए कास्टिंग कर रहे है और इच्छुक कलाकार ऑडिशन दे। लेकिन उस दौर में कश्मीर में इंटरनेट बैन था, मुझे इस बारे में जानकारी नहीं हुई ! फिर कश्मीर से धारा 370 हट गयी, फिर आगे चलकर विवेक अग्निहोत्री जम्मू आए और तब जाकर मेरी मुलाकात उनसे हुई, उन्होंने मेरा ऑडिशन लिया और मैं उस ऑडिशन में सिलेक्ट हुई। जो त्रासदी फिल्म में दिखाई है वो सच्चाई है और इसका पूरा रिसर्च उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर किया है। 

प्रश्नः फिल्म की अहम किरदार शारदा पंडित को निभाते समय आपको काफी मानसिक तकलीफ हुई, क्या हुआ था?

उत्तरः शारदा पंडित पर जो गुजरी उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है ! ऐसे कई दर्दनाक हादसों के बाद ही कश्मीर छोड़कर हमें दिल्ली जाना पड़ा ! शूटिंग के समय मैं यह जैसे भूल गयी की यह फिल्म की शूटिंग हो रही है ! मुझे वे सारे हादसे याद आ गए और मैं पैनिक अटैक की वजह से चिल्लाने लगी, उस दौरान रो -रोकर मेरा बुरा हाल हो गया। निर्देशक विवेक अग्निहोत्री समझ गए कि मुझ पर क्या बीती है, लिहाजा यूनिट मेंबर्स ने मुझे इस नर्वस ब्रेकडाउन से शांत करने की कोशिश की और मुझे होटल में आराम करने भेज दिया। 3-4 दिन के बाद मैं नॉर्मल हुई और फिर आगे शूटिंग कंटिन्यू की गयी।

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प्रश्नः आप कश्मीर निवासी है, इस फिल्म के बाद कितने कश्मीरी विस्थापित पूर्ववत अपने कश्मीर लौट पाएंगे ऐसा आपको लगता है?

उत्तरः इसका जवाब तो आने वाला कल ही दे सकता है। उम्मीद पर दुनिया कायम है, और मेरा विश्वास भी ! 

प्रश्नः इस फिल्म ने देश भर में सफलता का परचम लहराया है, इसकी सफलता के पीछे क्या फैक्टर्स है?

उत्तरः 4 वर्षों की रिसर्च के बाद इस फिल्म को तहे दिल से विवेक अग्निहोत्री सर ने बनाया है और दर्शक जब कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के मुद्दे पर रिलेट हुए, तो यह फिल्म अपने आप माउथ पब्लिसिटी पर सफल हुई। अनुपम खेर, पल्लवी जोशी, मिथुन चक्रवर्ती जैसे नामी कलाकारों के साथ मुझ जैसी नयी कलाकार को भी दर्शकों ने अपनाया। फिल्म की रिलीज के बाद देश के हर शहर में फिल्म यूनिट को आमंत्रित किया जाने लगा, तो मेरी आंखे हमेशा नम हुई, दर्शक मुझे देश की बेटी मानते है। विवेक अग्निहोत्री, पल्लवी जोशी ने फिल्म को किसी बॉलीवुड फिल्म की तरह नहीं शूट किया। फिल्म की कहानी काल्पनिक नहीं रियल है, इसमें दिखायी गयी दर्द, संवेदनाएं, पीड़ा, घटनाएं, त्रासदी रियल है। लोग फिल्म से कनेक्ट हो रहे है। 

प्रश्नः फिल्म की सफलता का आपको व्यक्तिगत रूप से कितना लाभ हुआ?

उत्तरः जैसा मैंने कहा, फिल्म की सफलता का मुझे सबसे बड़ा लाभ मिला , अनगिनत लोगों का प्यार मिला , आशीर्वाद , स्नेह मिला जो कोई अन्य फिल्म करने के बाद नहीं मिलता। दर्शकों का यह प्यार बेशकीमती अनमोल है। फिल्म में मेरी परफॉर्मेंस पॉवरफुल रही ऐसा कहा जा रहा है। इस फिल्म के बाद मुझे कई मेकर्स ने संपर्क किया है , अभी तक मैंने कोई नयी फिल्म साइन नहीं की है।

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प्रश्नः कितनी फैशनेबल है आप?

उत्तरः कश्मीर से विस्थापित होने से पहले मैं अच्छे परिवार से थी , लेकिन आप जानती है हमें कश्मीर छोड़ने पर मजबूर किया गया। तम्बुओं और रेफ्यूजी कैम्प्स में रहनेवाले क्या सोचेंगे फैशन के बारे में ? हालातों का जो सामना करना पड़ा उनके सामने क्या फैशन और क्या लाइफस्टाइल ? दिल्ली में मैंने अपनी डिग्री हासिल की लेकिन जिंदगी जीने का तरीका सादगी भरा रहा है।