Tuesday 06 October 2020 05:21 PM IST : By Meena Pandey

इन कपल्स ने माना कि लॉकडाउन में उन्होंने की पार्टनर से चीटिंग

Quarrel

वक्त बदलता है। पहले हसबैंड बासी पड़ रहे रिश्ते में नयापन लाने के लिए किसी ‘वो’ को तलाश लेते थे, अब इस डगर पर औरतें भी मदमस्त गजगामिनी की तरह निकल पड़ी हैं। जिंदगी की एकरसता उसे भी उबाती है। मुंबइया में बोले तो अपुन का मूड चेंज करने को या दिल बहलाने के लिए फ्लर्टिंग का ख्याल अच्छा है। लॉकडाउन के दौरान यह बात और भी स्पष्ट हो गयी। इसमें झिझक या शरम कैसी? आदमी ऐसे रिश्तों में जाते हुए कभी झिझका है भला? सारी शरमोहया की वसीयत औरत के नाम कर दी गयी। पर इस दौर में उसने सब उतार फेंका है। लानतों-मलानतों की उसे कोई परवाह भी नहीं है। यह उसका सोचा-समझा फैसला है। ना तो वह बहकी है, ना उसे किसी ने बहकाया है। पूरे होशोहवास में समाज की आंखों में आंखें डाल कर डटी खड़ी है। औरतों ने ऐसे डेटिंग एप्स तलाश लिए हैं, जो घर बैठे-बैठे उनकी फ्लटिंग की इस ख्वाहिश को पूरा कर रहे हैं।

जरूरत आविष्कार की मां है। इस मुहावरे पर खरी उतरती ग्लीडन एक्स्ट्रा मेरिटल डेटिंग एप 2010 में फ्रांस में इस्टैब्लिश हुई, जिसने अब हिंदुस्तान में अपने पांव जमा लिए हैं। यह उसी का दिया ज्ञान है कि आज की 21वीं सदी की स्मार्ट वुमन के पास फ्लर्ट करने के लिए पार्टनर को ले कर कई ऑप्शन हैं, सोच का खुला आसमान है, जिसमें उसने अपने पंख पसार लिए हैं और उड़े जा रही है। वह अपनी सेक्सुअल चाहतों को जानती है। उसकी इमोशनल जरूरतें, सेक्स इच्छाएं और दिमागी भूख खुली हुई है। वह बहुत कुछ देख-सुन रही है। जो जरूरतें पति से पूरी नहीं हो पा रही हैं, उन्हें वह बाहर ढूंढ़ती है। यहां 39-49 उम्र के स्त्री-पुरुष इस डेटिंग एप के मेंबर हैं, क्योंकि इस उम्र तक पहुंचते-पहुंचते वे अपनी जरूरतों और इच्छाओं को पूरी स्पष्टता और मैच्योरिटी के साथ समझने लगते हैं। तब एक सोचा-समझा रिश्ता कायम होता है।

इस उम्र के दायरे में आनेवाले स्त्री-पुरुष का अट्रैक्शन 16-17 साल के टीनएजर की तरह उन्मादी नहीं होता। उनका पहले मानसिक लगाव होता है। स्त्रियों के लिए यह साइट फ्री है, लेकिन पुरुषों के लिए नहीं। उनको 8,000 से 10,000 रुपए मेंबरशिप फीस देनी होती है। रिश्तों की परिभाषाएं अब काफी बदल गयी हैं। उस पर अचानक हुए लॉकडाउन की तनहाई ने बोर करना शुरू किया। लेकिन डेटिंग एप्स की बदौलत कैसी बोरियत, कहां का बोरडम ! पूरे वक्त वर्क फ्रॉम होम करते या ना करते हुए भी बड़ी उम्र की ये मनमौजी हसीनाएं और पुरुष डेटिंग एप्स पर पूरी तरह एक्टिव रहे। उन्होंने अपनी ये लॉकडाउन इश्क डायरी धड़ल्ले से शेअर कीं। बस अपना यूजर आईडी नेम बदल दिया, पर अनुभव एकदम खालिस है, जो उनकी बेबाकी की मिसाल है।

लव डायरी-1

अपने बदले नाम के जरिए शादीशुदा संबंधों को निभा रही 38 वर्षीय दो बच्चों की मां सोनिया डेटिंग एप मेंबर भी हैं। वे बिना कुछ छुपाए लिखती हैं- 14 साल की रिलेशनशिप और शादीशुदा जिंदगी के बावजूद अगर मैं यह कहूं कि अपने पार्टनर को मैंने 4 बार चीट किया, तो सरप्राइज मत हो जाइएगा। पहली 3 बार अनजाने में हुआ, उसकी कोई प्लानिंग नहीं थी, लेकिन चौथी बार तो मैं जिंदगी में कुछ नया चाहती थी। हमने लॉकडाउन से कुछ महीने पहले ही  एप के जरिए डेटिंग शुरू की थी। यह देख कर मैं हैरान थी कि लॉकडाउन हमें और करीब खींच आया। उस बीच हम पूरे वक्त एक-दूसरे के टच में रहे। जब भी मुमकिन होता हम एक-दूसरे को कॉल और चैट करते रहे। जैसे ही पाबंदियां कुछ ढीली हुईं, हम लोग मिले। जैसी की उम्मीद थी, एक-दूसरे से खुल कर मिले। हमारे संबंध भी बने। हां, संबंध बनाते हुए मुझे गिल्ट महसूस हुआ, लेकिन जो भी हुआ, अच्छा लगा और उसके बाद मैं अपनी बोर जिंदगी में फ्रेशनेस के साथ वापस लौट गयी।

लव डायरी-2

अंजुरी (बदला हुआ नाम), उम्र 48 साल, मैरिड, कोई बच्चा नहीं, डेटिंग एप से 2018 से जुड़ी हुई हैं, वे अपना अनुभव इश्क डायरी में कुछ यों बयां करती हैं-  डेटिंग एप से जुड़े मुझे कुछ ही साल हुए हैं। लेकिन मेरी जिंदगी को इसने बदल दिया है। नयी उम्मीदें जगायीं और कॉन्फिडेंस बढ़ा दिया। मैं ज्यादा बिंदास हुई हूं। चैटिंग कर रही हूं, कइयों को फ्लर्ट भी किया। क्या फर्क पड़ता है? लॉकडाउन में बोरियत से निजात पाने के लिए मैंने खुद को एक आदमी के साथ ऑनलाइन फ्लर्ट करते पाया। लेकिन लॉकडाउन शुरू होते ही हमने लंबी-लंबी चैटिंग शुरू की और ऑनलाइन एक-दूसरे के साथ लंबा समय गुजारा। हम लोग महज दिन गुजार रहे थे, पर सब बड़ा मजेदार था। जैसे-जैसे लॉकडाउन ढीला पड़ा हमने मिलना भी शुरू किया। देर तक साथ रहते। संसर्ग भी हुआ, लेकिन जैसे ही सब ठीक होने लगा, हम अपने-अपने रास्ते लग गए।

लव डायरी-3

प्रांजल (बदला हुआ नाम), उम्र 54, 2 बच्चे, डेटिंग एप से हाल ही में जुड़े। वे 2020 में लॉकडाउन के दौरान अकेलेपन से ऊब कर एक डेटिंग एप से कैसे जुड़ गए, वह अनुभव काफी मजेदार है, जिसे उन्होंने अपनी डायरी में लिखा है-  मैं एक महिला से लॉकडाउन के बीच मिला। मेरी वाइफ घर के कामों में बिजी रहती और थक कर सो जाती। मैं काफी बोर हो गया। मुझे एक रास्ता नजर आया। मैं डेटिंग एप पर गया और वहां मेरी मुलाकात इस महिला से हुई। हमने ऑनलाइन जितना समय साथ गुजार सकते थे, गुजारा। हम आपस में मैसेज करते, एक-दूसरे को तसवीरें भेजते और कुछ वीडियो कॉल्स भी कीं। लॉकडाउन के नियमों में ढील दी गयी, तो हम तुरंत मिले। हमने 2 मीटर का सोशल डिस्टेंस बनाए रखा। मुझे नहीं लगता कि हम ज्यादा जुदा रह सकेंगे। वह दिखने में उतनी ही हॉट थी, जितनी  फोटो में नजर आ रही थी। लेकिन हम दोनों ही सोशल डिस्टेंसिंग को ले कर सीरियस हैं, सेफ्टी का ध्यान रखते हैं, हमने सब कुछ ठीक हो जाने तक इंतजार करने का फैसला किया है।

दरअसल स्त्री हो या पुरुष, घर के परमानेंट और ऑनलाइन डेटिंग एप से बन रहे टेंपरेरी रिलेशनशिप के बीच के अंतर को पहचानते हैं। वे दोनों संबंधों में से किसी एक को भी डिस्टर्ब करना नहीं चाहते। ऑनलाइन रिश्ते दिल को सुकून तो देते हैं, मगर बंधन में नहीं बांधते। इन रिश्तों में पड़नेवाले कभी भी उनसे बाहर आ सकते हैं। मैरिड कपल्स दूसरे स्त्री या पुरुष से संबंध का मजे लेने के लिए तो तैयार हैं, मगर अपना घर तोड़ने की बेवकूफी करने को कतई नहीं।

कई बार पार्टनर्स बहुत अलग स्वभाव, चाहतों और शौकवाले होते हैं। इस बात को वे समझते हैं, क्योंकि बहुत प्रैक्टिकल सोच रखने लगे हैं। इसलिए जब साथी के कहीं और संबंध का पता चलता है, तो बहुत हायतोबा नहीं मचती। मामला आपस में ही सुलटा लेते हैं। कपल्स ज्यादा समझदार हुए हैं। वे बेवकूफ बनने या बनाने को अब तैयार नहीं हैं।