Wednesday 23 September 2020 05:52 PM IST : By Nisha Sinha

प्रेगनेंट मां इन बातों का ध्यान रखेगी, तो होने वाला बच्चा इंटेलिजेंट बनेगा

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बेबी का ब्रेन वह अंग है, जो मां के गर्भाशय में सबसे पहले विकसित होता है। रिसर्च के अनुसार बच्चे के अाईक्यू पर 50 प्रतिशत प्रभाव जीन्स का होता है अौर बाकी का संबंध उसके अासपास के वातावरण से होता है। इसके अलावा गर्भावस्था में मां के भोजन में शामिल चीजों अौर उसकी भावनाअों में होनेवाले उतार-चढ़ाव का भी बच्चे के दिमागी विकास पर असर पड़ता है। कितना अच्छा हो अगर प्रेगनेंसी के दौरान बरती गयी थोड़ी सूझबूझ से अापके घर भी इंटेलिजेंट बच्चे का जन्म हो—
➢ साइकोलॉजिस्ट का मानना है कि मां के गर्भ में ही बच्चे के भाषा ज्ञान की नींव पड़ जाती है। तीसरा ट्राइमेस्टर अाते-अाते मां के गर्भ में मौजूद शिशु रोजाना घर में होनेवाली बातों को पहचानने लगता है। पेरेंटिंग वेबसाइट बैबल के अनुसार एक शोध के दौरान गर्भवती मांअों को रोजाना थियोडोर गीसेल की किताब The cat in the Hat का एक अंश पढ़ने को कहा गया। बच्चे के जन्म के बाद जब किताब के उसी हिस्से को बच्चे के सामने पढ़ा गया, तो उसने इस कहानी के प्रति तुरंत अपना रेस्पॉन्स दिया। इससे यह पता चला कि गर्भावस्था में ही लर्निंग प्रोसेस शुरू हो जाता है। इससे महाभारत की उस घटना की याद अाती है, जहां अभिमन्यु ने मां सुभद्रा के गर्भ में ही चक्रव्यूह तोड़ना सीख लिया था।
➢ प्रेगनेंट वुमन म्यूजिक सुने, तो बेबी पर इसका पॉजिटिव असर होता है। म्यूजिक एजुकेटर्स पत्रिका की एक रिपोर्ट में यह पाया गया कि जन्म के पहले अगर बेबी को म्यूजिक सुनाया जाए, तो वह लंबे समय तक एकाग्र रह सकता है। एक्सपर्ट भी यह मानते हैं कि म्यूजिक सुनने से सेरोटोनिन नाम का हैप्पी हारमोन रिलीज होता है, जो बच्चे के मन को शांत रखता है, साथ ही उनके दिमाग को लंबे समय तक भटकने नहीं देता है। मां कोई अच्छा कूल म्यूजिक अौर नर्सरी राइम्स को भी म्यूजिक सिस्टम पर प्ले कर सकती है।
➢ गर्भस्थ शिशु से बातें करते रहना भी उसकी इंटेलिजेंस के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। सरल भाषा में मां बच्चे से मीठी-मीठी बातें करे।
➢ दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट की गाइनीकोलॉजिस्ट डॉक्टर साधना सिंघल विश्नोई के अनुसार प्रेगनेंसी में विटामिन डी की कमी होने पर बेबी में अॉटिज्म का खतरा बढ़ जाता है। हर प्रेगनेंट मदर को 20 मिनट सुबह की धूप लेनी चाहिए। शरीर को विटामिन डी मिलेगा। सप्लीमेंट लेना चाहती है, तो डॉक्टर से संपर्क करे। 
➢ कुछ युवतियों को प्रेगनेंसी के दौरान थायरॉइड की समस्या उभरती है। इसका इलाज जरूरी है। अध्ययनों के अनुसार थायरॉइड हारमोन की कमी के कारण बच्चे के अाईक्यू में थोड़ी कमी पायी गयी है। प्रेगनेंसी में थायरॉइड हारमोन अच्छी तरह काम करे, इसके लिए 220 एमसीजी अायोडीन रोज लेना जरूरी है। यह दही, दूध के अलावा अायोडीनयुक्त नमक से भी मिलता है।
➢ गर्भावस्था के दौरान कभी भी अायरन की कमी नहीं होनी चाहिए। ध्यान रहे अायरन की कमी होने से बच्चे की अाईक्यू में कमी अा सकती है क्योंकि अायरन की मदद से ही बेबी की दिमागी कोशिकाअों तक अॉक्सीजन पहुंच पाती है।
➢ अोमेगा-3 फैटी एसिड भी दिमागी विकास में मददगार होता है। यह मछली में पाया जाता है। जो महिलाएं फिश नहीं खाती हैं, वे सोयाबीन अौर पालक को खाने में शामिल करें।
➢ इन खास दिनों में युवतियां अपने खाने में बादाम अौर अखरोट को भी शामिल करें। ये मेवे बड़ों के दिमागी विकास के लिए ही नहीं, गर्भस्थ शिशु के ब्रेन डेवलपमेंट के लिए भी जरूरी माने गए हैं।
➢ प्रेगनेंसी के दिनों में खुद को फिट रखने की कोशिश करें। घर के हल्के-फुल्के कामों से जी ना चुराएं। इन दिनों किए जानेवाले योग अासन या लाइट वेट एक्सरसाइज भी करें। थोड़ा टहलना जरूरी है। शोध करनेवालों ने यह पाया गया है कि जो मांएं अपनी गर्भावस्था के दौरान एक्टिव रहती हैं, उनके बच्चे सुस्त मांअों के बच्चों की तुलना में ज्यादा स्मार्ट होते हैं। अमेरिकन कॉलेज अॉफ स्पोर्ट्स मेडिसिन के अनुसार वर्कअाउट से ना केवल डिलीवरी अासान होती है, बल्कि प्रेगनेंसी के दौरान एक्टिव रहनेवाली मांअों के बच्चे लैंग्वेज स्किल्स अौर बौद्धिक परीक्षाअों में अच्छा स्कोर करते हैं। एक्सपर्ट 30 मिनट की हल्की एक्सरसाइज करने को कहते हैं।
➢ हाल में हुअा एक शोध यह भी बताता है कि प्रेगनेंसी में एक्टिव रहने से बेबी के ब्रेन के हिप्पोकैंपस में न्यूरॉन्स (दिमागी कोशिकाअों) की संख्या को बढ़ावा मिलता है। यह ब्रेन का वह हिस्सा है, जो लर्निंग अौर मेमोरी के लिए जिम्मेदार है। रिसर्च के दौरान एक्टिव अौर नॉन एक्टिव प्रेगनेंट मदर्स के बच्चों में करीब 40 प्रतिशत का अंतर पाया गया।
➢ डॉ. साधना सिंघल विश्नोई के अनुसार प्री-टर्म यानी समय से पूर्व डिलीवरी की स्थिति में प्री-एक्लैम्पसिया या गर्भ में एक से अधिक बेबी होने जैसी जटिलताअों से बचना जरूरी है। कई मामलों में समय से पूर्व प्रसव के लिए स्मोकिंग या अल्कोहल जिम्मेदार होते हैं, इनसे भी बचें। डाइबिटीज अौर तनाव से भी प्री टर्म डिलीवरी हो सकती है। रिसर्च में पाया गया है कि प्री टर्म डिलीवरी होने से मां के गर्भ में बेबी के ब्रेन को विकसित होने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है। ब्रेन के पूरी तरह डेवलप होने के बाद ही डिलीवरी हो, तो बेबी की ब्रेन पावर बेहतर होगी।
➢ एलोपैथ के अलावा अायुर्वेद में भी गर्भवती महिलाअों के लिए विशेष उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाने से बच्चा दिमागी रूप से तेज होता है। अाध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ने का भी पॉजिटिव असर देखा गया है।